पिछले पांच सालों साल के स्काॅलरशिप फंड की जांच होगी।

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ग्रेटर नोएडा;सतेन्द्र सिंहद्ध छात्रवृत्ति घोटाले में विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों, काॅलेजों और दलालों की मुश्किलें और बढ़ने जा रही है। शासन ने पिछले पांच सालों के दौरान शासन से मिले फंड की जांच कराने का फैसला लिया है। लिहाजा, डीएम के निर्देश पर विभागों में रखे डाॅक्युमेंट को स्कैनिंग करके सुरक्षित रखा जा रहा है, ताकि कोई एजेंसी जब जांच करेगी, तो उसे पूरा डेटा उपलब्ध कराया जा सके।
गौरतलब है कि जिले में छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर पिछले पांच महीने से जांच चल रही है। जिला प्रशासन ने सेम्पल जांच करके शासन को भेज दिया है और उसके आधार पर शासन से आर्थिक अपराध शाखा से जांच कराने की मांग की गई है। जिसमें पिछड़ा कल्याण विभाग की जांच आर्थिक अपराध शाखा से कराए जाने को लेकर शासन ने हरी झंडी भी दे दी है, जो जल्द ही जांच शुरू करने वाली है। वहीं, बताया जा रहा है कि स्काॅलरशिप का घोटाला कई सालों से किया जा रहा था। जिसमें करोड़ों रुपए का गबन किया गया है। इसलिए शासन ने पिछले पांच सालों के दौरान स्काॅलरशिप स्कीम के तहत मिले फंड की जांच कराने के लिए अनुमति प्रदान की है। शासन ने इसके लिए समाज कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक विभाग और पिछड़ा कल्याण विभाग को विभाग में उपलब्ध सभी डाॅक्युमेंट को सुरक्षित रखने का निर्देश दिये है। लिहाजा जिलाधिकारी के निर्देश पर सभी विभागों के डाॅक्युमेंट का कम्प्युटराइजेशन किया जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी आरपी मिश्र का कहना है कि एक सप्ताह के अंदर डाॅक्युमेंटेशन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। वहीं, मेरठ मंडल के कमिशनर भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि शासन के निर्देश पर पिछले पांच साल में मिले स्काॅलरशिप के फंड की जांच कराई जाएगी। यदि विभाग के पास पांच साल का डेटा उपलब्ध नहीं है, तो कम से कम तीन साल के दौरान मिले फंड की जांच शत प्रतिशत कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि जांच में भले ही देर हो, लेकिन पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी, ताकि बाद में इस तरह का घोटाला दुबारा न किया जा सके। सभी दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों, दलालों और कालेजों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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