प्रशांत भूषण ने बिजली कम्पनियों के फ्रॉड को दी दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती, की SIT जांच की मांग।

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  • अडानी, एस्सार ग्रुप जैसे बड़ी कम्पनियाँ भी हैं इसमें शामिल, हजारों करोड़ का घोटाला।

  • 20 सितम्बर को होगी दिल्ली हाई कोर्ट में अगली सुनवाई।
वरिष्ठ अधिवक्ता और स्वराज अभियान अध्यक्ष प्रशांत भूषण ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करके कुछ बिजली कंपनियां द्वारा बिजली उपकरण और ईंधन में 400 फीसदी से अधिक ओवर-इनवॉइसिंग के फ्रॉड में शामिल होने का ख़ुलासा किया है। घपले के जरिये इन कम्पनियों ने टैक्स हेवन में पंजीकृत अपने प्रमोटर कम्पनियों तक पैसा पहुँचाया और ईंधन की कीमत पर आधारित बिजली की दरों में बढ़ोतरी की।
राजस्व ख़ुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने 2014 में अडानी ग्रुप को और 2015 में एस्सार ग्रुप को नोटिस भेजा था जिसमें आये दस्तावेज भी घपले की पुष्टि करते हैं। यह याचिका इन्डोनेशियाई कोयला आयात और बिजली उपकरणों के आयात पर अत्यधिक मूल्यांकन के मामले में अडानी समूह, एस्सार ग्रुप और रिलायंस एडीएजी समूह की कंपनियों सहित दर्जन से ज्यादा कंपनियों की जांच के लिए दायर की गयी है। जुलाई 2014 में सीबीआई और सीबीए के द्वारा शुरूआती जांच को पूर्व निर्देशक रंजीत सिन्हा के कार्यकाल में दबा दिया गया था। भ्रष्टाचार विरोधी कानून और फेमा उल्लंघन के बावजूद मोदी सरकार ने अब तक इस मामले में कोई कार्यवाई नहीं की है।
स्वराज अभियान के राष्ट्रिय अध्यक्ष प्रशांत भूषण ने कहा “यह एक बहुत ही गंभीर मामला है जिसमें हजारों करोड़ों का खेल हुआ है और जिसका असर सीधा आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। सीबीआई ने कुछ अडानी ग्रुप के खिलाफ प्रारंभिक जांच दर्ज की थी, जो रंजीत सिन्हा के कार्यकाल के दौरान बंद थी, जो अब एसआईटी द्वारा जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि इन फर्मों द्वारा ओवर-इनवॉइसिंग दिखाकर बैंकों से अधिक ऋण ली गयी। इससे टैरिफ बढ़ा के उपभोक्ताओं के साथ भी धोखाधड़ी की गयी और इन कंपनियों के शेयरधारकों का पैसा भी विदेश में बंद हो चुका है जिससे उनके साथ भी धोखा हुआ है।“
ज्ञात हो कि न्यायधीश हरी शंकर ने खुद को इस केस से हटा लिया है क्यूंकि उन्होंने इनमें से कुछ कंपनियों की वकालत पहले कर रखी है।
स्वराज अभियान ने मांग किया है कि अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच करके दोषियों को सज़ा हो।
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