यू .पी में ये कौन सा खेल है सुधीर बाबू

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 यू .पी में ये कौन सा खेल है ……     सुधीर बाबू

जिसमें जिसकी हत्या हुई, उसका पता ही नही कौन है ये| किसने की यें हत्यायें |आरोपी एक या अनेक|ना कोई सुराक लगा अभी तक| किसने की ये हिम्मत, इतना बड़ा करनेें दिया गया जुर्म? इंसान हैवान कैसे बन गया ? इंसानीयत हुई शर्मशार |अभी तक नही पकडा कोई आरोपी |ग्रेटर नोएडा की पुलिस ने टेक दिये घुटने |एक फरवरी से आठ मार्च 2016 तक उन्नीस लाशें मिली ग्रेटर नोएडा पुलिस को नही पकड़ पाई हत्या को अंजाम देने वाले हत्यारे को हत्यारा एक या अनेक पुलिस खुद है इस उलझन में 19 हत्यायें हो चुकी है अब तक लाशें आज अपनी पहचान को तरस रही है मामला इतना संगीन है की जिस जगह की बात की जा रही है वह है इस शहर जिसके दम से उत्तर प्रदेश की सरकार चलती है नम्बर एक शहर है ग्रेटर नोएडा .ग्रेटर नोएडा मगर ये क्या इस शहर में इतना खौफ़ कैसे है मुख्यमंत्री साहब आपका ध्यान किधर है लगातार क्राइम बढ रहा है आपके शहर में आपको क्या पता ही नही कहीं पत्ता ही साफ़ ना हो जाये आपकी पार्टी का इस शहर से
जुर्म अपनी चर्मसीमा पर है पुलिस बेवस हो चुकी है कुछ दिन पूर्ब ही नोएडा में साइबर क्राइम पर निगरानी का एक ब्यापक पहरा बिठाया गया है फिर इस शहर में ये क्या हो रहा है की पुलिस अब तक नही पकड़ पा रही है लड़कियों की हत्या करने वाले उस भेडिये गिरोह को आखिर क्यों  ग्रेटर नोएडा पुलिस ने अपनी पूरी दम लगा दी लेकिन अभी तक नही पकडा गया एक भी कातिल पुलिस खुद कह रही है कि नही पता चल पा रहा है की कितने कातिल है एक या अनेक हत्या किस मकसद के लिये की जा रही है कुछ भी सुराक तक नही लग रहा है आखिरकार लड़कियों को ही निसाना क्यों बनाया जा रहा है गंभीर चुनौती है ग्रेटर नोएडा पुलिस के सामने यहाँ तक पुलिस ने आसपास के गाँवो तक खाक छान मारी मगर कोई सुराक पुलिस के हाथ ही नही लग रहा है की ये लड़कियां कहाँ की है इनकी हत्या इस अंजाने शहर में क्यों की जा रही है हत्यारे का क्या मकशद है इसके पीछे कुछ पता नही चल पा रहा है आसपास के गाँव .मोहल्ले सेक्तरो में तमाम थानो तक पुलिस ने पता किया कोई लडकी की गुमशुदी की रिपोर्ट ही नही है बल्कि कोई लड़की गयब ही नही हुई है फिर ये इतनी लाशें कहाँ की है किन लड़कियों की  हत्या करने वाला हत्यारा इतना चालाक है की जिस लडकी की हत्या करता है उसका चेहरे का हुलिया ही बदल देता है और पुलिस को लाश सडी गली अवस्था में मिलती है वो भी भीड़ भाड़ वाले इलाके में आखिर ऐसा कैसे हो जा रहा है की पुलिस को इसकी भनक तक नही लगती है की कोई लाश अचानक कैसे पहुंच जाती है सड़क के किनारे वो भी जो सबसे ब्य्सत सड़क है पुलिस कातिल को तो छोडियो लडकी कहन की कोई पता ही नही लगा पा रही है सवाल गंभीर है कि क्या ये सभी लाशें दूर दराज शहर की है या दूसरे राज्यों की .पर कहाँ की कितनी दूर की क्या कोई बिहार .उत्तर प्रदेश .राजस्थान जैसे यहाँ इतनी दूर लाशें कौन लेकर आ सकता है वो भी ग्रेटर नोएडा में आखिर कैसे क्या ये मुमकिन है या फिर कोई सिरफिरा है या कोई गैंग जो लड़कियों को धोखे से बहला भुसलाकर लाता है फिर उनको मौत के घाट उतार देता है सवाल बहुत सारें है क्या ये सभी कत्ल अलग अलग वजहों से किये गये अलग अलग जगहों पे क्या ऐसा तो नही कातिल ग्रेटर नोएडा पुलिस को उल्झाने के लिये अलग अलग तरीके से कत्ल को अंजाम दे रहा है इस अनसुल्झी गुत्त्थी का सिलसिला शुरू होता है इसी साल 2 जनवरी से जब पुलिस को पहली लाश मिलती है तब उसको लगता है की ये मामला आम कत्ल का हो सकता है लेकिन पुलिस के कान खडे हो जाते है जब एक के बाद एक लाश मिलनी शुरू हो जाती है इस तरह से लड़कियों कि लाशों का शिलशिला थमजाता है 8 मार्च को जब पुलिस को ये लाश मिलती है एक गर्भवती महिला की वो भी परी चौक के नजदीक एक पार्क में जहाँ पर लोगों का हर वक्त तांता लगा रहता है तो वहीं कुछ चंद दूरी पर पुलिस चौकी है जो हर समय एक प्रहेरी के रूप में स्थापित है इतनी भीड़ पार्क में फिर लाश का मिलना किसी पहेली से कम नही लगता है और पुलिस को इस बाबत कुछ पता ही नही की उसके आसपास क्या हो रहा है अभी तक दो महीनों में 19 लाशें सुराग के नाम पर जीरो बंटा शँन्हाटा कुछ भी सबूत हाथ नही लगा पुलिस के की जिससे वो कातिल तक पहुंच पायें
मामला बडा पेचीदा है कहीं लड़की की लाश बगैर कपडो के थी तो कहीं चेहरा बुरी तरह जला हुआ आखिर क्यों  जब पुलिस लाश की पहेली सुलझाना चाहा भी पहली लाश का तो फारेंसिक मेडिसीन टीम ने ये कहते हुए पुलिस से पल्ला झाड़ लिया कि लाश की हालत बहुत खराब है सिर्फ हम पोस्टमाट्रम से मौत की उजह का पता लगना मुस्किल होगा आखिर क्यों क्या यही यू .पी पुलिस हाईटैक पुलिस है सवाल और भी है जब इनका ही जवाब नही तो बाकी का क्या

                      सुधीर बाबू
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