मूवी रिव्यु : रेप पीड़िता के सामाजिक संघर्ष और इंसाफ की लड़ाई है “भूमि”

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Lokesh Goswami New Delhi :

फ़िल्म भूमि आज सिनेमा घरो में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में दर्शाया गया है कि रेप पीड़ित लड़की को भी इस समाज में अपनी जिंदगी जीने का हक़ है। जब वो लड़की इंसाफ मांगती है ,तो अदालत में उससे कैसे घिनोने सवाल पूछे जाते है।तो बेटी के परिवार वालों को इंसाफ की जगह उन्ही की बेटी के करैक्टर पर सवाल उठाए जाते हैं ।

फिल्म में संजयदत्त अरुण सचदेव का रोल करते है जो अपनी बिना मां की बेटी भूमि ( अदिति राव हैदरी) के साथ आगरा में रहता है। अरुण अपनी बेटी को इतना चाहता है कि उसकी शादी पर हर बाराती को अपनी जूतों की दुकान से जूते गिफ्ट करके पहनाता है, लेकिन जब अचानक बारात घर से लौट जाती है, तो उसे पता लगता है कि धौली (शरद केलकर) ने अपने गुंडों के साथ मिलकर उसकी बेटी का रेप किया है।

जब संजयदत्त अरुण सचदेव अपनी बेटी के साथ हुए रेप की रिपोर्ट लिखाने पुलिस स्टेशन जाता है तो पुलिस बड़ी मुश्किल से शिकायत दर्ज करने को राजी होती है।

एक आम भारतीय की तरह अरुण और भूमि पुलिस और अदालत के चक्कर भी लगाते हैं और इंसाफ की लड़ाई जारी रखते हैं और तो और भूमि और अरुण सब कुछ भुला कर नई जिंदगी जीना चाहते हैं, तो दुनिया उन्हें जीने नहीं देती। आखिर बाप-बेटी अपने साथ हुए अन्याय का बदला किस तरह लेते हैं और उनके साथ कैसे इंसाफ होता है यही कस्मकश है भूमि मूवी की।

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