बुरा ना मानो होली है : गौतम बुद्ध नगर में साल भर चढ़ा किसका रंग और किसने मिलाया भंग । शब्दों की पिचकारी से :

Ashish Kedia

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शांती और सद्भाव की असीम मूर्ती महात्मा बुद्ध के गौरवशाली नाम से नामांकित यह जिला वर्ष 2017-18 में एक बेहद अनूठे साल से गुजरा । कई बरसों से लंबित रही जेवर हवाई अड्डे की मांग को इस साल पंख लगे और आखिरकार यहां के निवासियों का यह सपना धरातल पर मूर्त स्वरूप लेना शुरु कर चुका है ।
अगर वर्ष को हिन्दू कैलेंडर से शुरू किया जाए तो चैत्र नवरात्र के साथ ही जिले में अनेकों बदलाव शुरु हो गए । पिछली होली के आगमन के साथ ही तीन नए जनप्रतिनिधियों ने अपने अपने क्षेत्र की कमान संभाल ली । जहाँ किसी ने सोशल मीडिया से लेकर जनता के बीच अलग अलग तरीकों से अपनी अनूठी पहचान बनाते हुए वक़्त गुजारा, वही किसी ने जनता की कक्षा से कुछ दूरी बना कर रखना ही ठीक समझा ।  संगठन और पद की जिम्मेदारियों के बीच मुश्किल तालमेल बिठाते हुुुए एक अन्य प्रतिनिधि महोदय अपनी विरासत संभालने और बढ़ाने में ज्यादा व्यस्त नजर आए ।
इस बरस जनपद को नए कप्तान और मुखिया भी मिले । वक़्त के साथ दोनो के तालमेल ने उन्हें स्वकथित जोड़ी नंबर वन के रूप में स्थापित कर दिया  । जहाँ एक ने भू माफिया के खिलाफ जंग को नए आयाम तक पहुंचाया वहीं दूसरे साहब कुशल नेतृत्व में बदमाशों को कभी अंदर तो कभी ऊपर भेजने के लिए जाने गए । बेहद मिलनसार और मृदभाषी दोनों विभूतियों ने जिले की नब्ज को तेजी से पकड़ा और अंदर तक टटोल मर्ज और इलाज ढूंढ निकालने शुरू किए । हालांकि पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली की बात की जाए तो फौरी तौर के सारे बदलाव भी सिर्फ उच्च स्तर तक सीमित रहे और थानेदार साहब लोग पूरे साल रंग में खूब भंग झोंकते नजर आए।

सदाबहार अथॉरिटी :

शहरों की रखरखाव की जिम्मेदार ऑथोरिटी ने पिछले सालों के मानकों को पूर्णतः बरकरार रखा और सभी प्रकार के लोगों को शिकायतों के ढेरों अवसर दिए । किसानों का धरना हो, सफाईकर्मियों की हड़ताल चाहे विभिन्न आर डब्लू ए से नित नए मुद्दों पर होती रार हो, सभी कुछ यहां के निवासियों को नॉस्टैल्जिक करता रहा।
ग्रेटर नोएडा एक शहर के रूप में अपनी खस्ताहाली के नित नए आयाम छूता नजर आया। जगह जगह लगे पोस्टर्स ने शहर को बदरंग करने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी है । अतिक्रमण मुक्त करने के सारे अभियान खानापूर्ति शब्द को इस्तेमाल करने का एक और अवसर बन कर रह गए । मेट्रो में सफर करने की उम्मीद नए शुभ मुहूर्त तक के लिए बढ़ा दी गई  ।
नोएडा में एक ही दिन की ज़ोरदार बारिश ने विश्वस्तरीय शहर बनने की उम्मीदों को मकानों – दुकानों के अंदर तक जा कर धोया । कूड़े को लेकर रार छिड़ी रही तो प्रदूषण ने भी व्यवस्था का खूब कचड़ा कराया । हालांकि अनियमितता के नए कीर्तिमान स्थापित करती हुई मल्टी लेवल पार्किंग ने भी आखिरकार अपने दरवाजे आंशिक रूप से खोल  दिये।
एलिवेटेड रोड के रूप में एक नई सौगात मिली तो भीड़ से मुक्ति मिलते ही जोर से दबने वाले एक्ससिलेटर ने खूब दुर्घटनाओं को जगह दी।

फ्लैट की उम्मीदों पर फिर फिरा पानी

हालांकि इन सबके बीच फ्लैट खरीददारों और निवेशकों का एक बार और अपने घरों में होली मनाने का सपना टूटा। सियासी पिचकारियों से वादों के खूब रंग छुटे पर कोई भी चढ़ नही पाया।

कुल मिलाकर उस फाल्गुन से इस फाल्गुन तक नोएडा – ग्रेटर नोएडा कई रंगों से गुजरे । अब इस बरस चुनाव का रंग चढ़ने से पहले और क्या क्या रंग चटक होते हैं ये देखना रोचक होगा।

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