किसानों ने अपनी माँगों को लेकर ग्रेटर नोएडा में निकाला मार्च , किया प्रदर्शन
Abhishek Sharma
Greater Noida (14/02/19) : ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को लेकर व बजट के विरोध में भारतीय किसान यूनियन एलजी गोलचक्कर से चलकर सूरजपुर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। किसान एलजी गोलचक्कर से सूरजपुर मार्ग पर इस दौरान जाम की स्थिति बनी रही। सभी किसानो व कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए। धरने प्रदर्शन में सैकड़ो किसान जिलाधिकारी कार्यालय पर मौजूद हुए। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद रहा।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय सचिव महेंद्र सिंह चौरोली ने बताया कि किसान अपने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए सड़क पर उतरे हैं। उन्होंने कहा की केंद्र सरकार ने जो अंतरिम बजट पेश किया है उसमे किसानों के लिए कुछ भी नहीं है। सालाना 6 रूपये सरकार किसानों को देगी जिसके हिसाब से 16 रूपये प्रतिदिन सरकार किसानों को दे रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन हमेशा किसानों के लिए संघर्ष करती हुई आ रही है। प्रदेश की जनसँख्या का 65 फीसदी हिस्सा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ा हुआ है।
किसान के अत्यधिक परिश्रम के बाद भी उसको उसकी मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाता है। किसानों पर कर्ज का भार बढ़ता जा रहा है। एनएसएसओ की रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई दूसरा धंधा मिले तो 50 फीसदी किसान खेती छोड़ने को तैयार हैं। प्रदेश के किसानों की समस्याओं की सूची लंबी होती जा रही है। किसानों द्वारा उगाई फसलों का उन्हें उचित रेट नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है। किसानो फसल में लगाईं गई पूँजी भी नहीं निकाल पा रहे है।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी चीनी मीलों को निर्देश में उल्लेख किया गया था कि 14 दिन में अगर कोई मिल भुगतान नहीं करती है तो ढुलाई भाड़ा नहीं काट सकती। निर्देश के बावजूद भुगतान न करने वाली चीनी मीलों द्वारा सरकार के निर्देह का उल्लंघन करते हुए किसानों से ढुलाई भाड़ा काटा गया है। समय पर भुगतान न करने वाली मीलों से ढुलाई भाड़ा अविलंब वापिस कराया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र के ब्याज के निस्तारण के लिए उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को अधिकृत किया गया है। सरकार द्वारा अविलंब किसानों को ब्याज देने के निर्देश दिए जाएं।
उन्होंने कहा कि शुगर केन एक्ट में गणना आयुक्त को ब्याज माफ़ करने वाली शक्ति प्रदान करने वाली धारा को समाप्त किया जाए। राज्य में सोयाबीन, दलहन, बासमती, धान, मक्का, आलू सहित फल एवं सब्जयों को भी समर्थन मूल्य के अधीन लाया जाए। आलू के समर्थन मूल्य कम से कम 1200 प्रति क्विंटल किया जाए। राज्य सरकार द्वारा दूध के दाम भी तय किए जाएं। गाय और भैंस दोनों के दूध के दाम सामान रूप से निश्चित किए जाएं। पशुपालक किसानों को बैंक के क्रेडिट स्कीम के अंतर्गत लाया जाए।