विलक्षण प्रतिभा “लेखराज माहेश्वरी” : हेंडीक्राफ्ट को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने से लेकर लाखों लोगों को रोजगार देने का अनूठा सफर !

Ashish Kedia / Rohit Sharma

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भारत यूँ तो एक बेहद विशाल देश है परन्तु इतने बड़े और वृहद् देश में कम ही ऐसी विभूतियाँ हैं जिन्होंने जमीनी स्तर से शुरुआत करके अपने क्षेत्र में एक बड़ा और अनूठा मुकाम हासिल किया।  ऐसी ही एक अनोखी शख्सियत हैं भारत और राजस्थान के सुप्रसिद्ध हेंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर लेखराज माहेश्वरी।
ग्रेटर नॉएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में चल रहे इंडिया हेंडीक्राफ्ट एंड गिफ्ट फेयर दिल्ली स्प्रिंग 2018 संस्करण के दौरान टेन न्यूज़ ने उनसे ख़ास बात की और उनके जीवन के विभिन्न पहुलुओं को समझने का प्रयास किया।
राजस्थान के बाड़मेर में जन्मे लेखराज माहेश्वरी 16 वर्ष की छोटी आयु से ही अपने पुश्तैनी व्यापार हैंडलूम और हेंडीक्राफ्ट में अपने पिताजी के साथ जुड़ गए।  1971 की भारत पाक लड़ाई के बाद हजारों लोग जब पाकिस्तान से पलायन करके बाड़मेर आए तो जिला प्रसाशन से सहयोग दिलाकर उनके रिकॉर्ड और ठहरने की व्यवस्था में सहयोग प्रदान करने में लेखराज माहेश्वरी ने अग्रणी भूमिका निभाई।

 

इस विषय में बात करते हुए वह कहते हैं, “1971 की लड़ाई में करीब 1 लाख विस्थापित भारत आए जिसमे करीब ५०००० कच्छ भुज में स्थापित हुए।  इनमे मेघवाल जाती के लोग अपने साथ कसीदकारी का सामान लाए।  उनके पास रोजी रोटी का कोई साधन नहीं था लिहाजा उनकी दयनीय स्थिति देखते हुए मैंने उन सभी का सामान खरीदकर दिल्ली जाकर बेचना शुरू किया।  1972-80 तक मैंने जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली में घर-घर जाकर सामान को प्रचलित किया।  1978-80 में हमने समस्त भारत के सभी बड़े शहरों में दिल्ली, मुंबई, मद्रास, कलकत्ता, बैंगलोर, गोवा, चंडीगढ़, अमृतसर, अहमदाबाद व् अन्य कई शहरों में प्रदर्शनियां लगाकर हेंडीक्राफ्ट के सामान को पुरे देश में प्रचलित किया।  इस तरह अबतक लगभग 150000 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ “.
लेखराज माहेश्वरी हेंडीक्राफ्ट के प्रचार प्रसार के लिए सिर्फ भारत तक नहीं सीमित रहे परन्तु विदेशों में इसकी मांग बढे इसके लिए 1991 में इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्विट्ज़रलैंड जाकर प्रचार प्रसार किया जिससे विदेशों में इसकी मांग बढ़ी और आज हजारो परिवार राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से व्यापार करते हुए बड़े निर्यातक बन गए हैं।
लेखराज माहेश्वरी का सामजिक योगदान सिर्फ रोजगार तक सिमित नहीं है परन्तु शिक्षा के क्षेत्र में भी इन्होने भरपूर योगदान किया हुआ है।  वर्ष 2006 में MBV जयपुर विद्यालय को 9000 गज जमीन सिर्फ 1 रूपए टोकन मनी में दिलवाया और उस उपलक्ष्य में समाज की ओर से समान्नित भी हुए।
समाज के लिए उल्लेखनीय कार्य को देखते हुए लेखराज माहेश्वरी का समय समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मान भी हुआ जिनमे 1990 में बाड़मेर जिला प्रसाशन द्वारा सम्मान, 1995 में मिजोरम के महामहिम राज्यपाल द्वारा सम्मानित होना और 96 में जयपुर नगर निगम द्वारा सम्मानित होना महत्वपूर्ण है।
लेखराज जी द्वारा प्राप्त सम्मानों की एक लम्बी फेहरिश्त है तो वहीँ दूसरी ओर उनके द्वारा कई संस्थाओं में भी अनेकों महत्वपूर्ण पदभार ग्रहण किये गए हैं।  वर्ष 2013 से 2015 तक ईपीसीएच के अध्यक्ष भी रहे लेखराज माहेश्वरी तथा अभी भी विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थाओं में आधिकारिक दायित्यों का निर्वाहन पूर्ण लगन और मेहनत के साथ करते रहते हैं।
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