अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जेपी हॉस्पिटल की चिकित्सक डॉ. रेणु जैन ने दीं गर्भाश्य कैंसर संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां

Galgotias Ad

कई शोधों से पता चला है कि महिलाओं को अधिकांश गंभीर बीमारियां सुस्त जीवनशैली और शुरुआती अवस्था में बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज किए जाने के कारण होती हैं। कई बार देखा गया है कि बीमारी के गंभीर हो जाने तक महिलाएं उसेटालने का काम करती हैं जिसका उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ता है। गर्भाश्य कैंसर ऐसी ही एक बीमारी है जिसकेलक्षणों को महिलाएं अक्सर नजरअंदाज करती हैं। चिकित्सकीय आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक 70 महिलाओं में से एक महिला को गर्भाश्य का कैंसर होता है। यह संख्या बताती है कि स्त्रियों को होने वाले अनेक रोगों में यह एक बहुत ही गंभीर बीमारी है जो महिलाओं की मृत्यु का कारण तक बन सकती है। इस बीमारी के होने का प्रमुख कारण समय पर बीमारी का पता न चल पाना और जानकारी होने के बाद समय पर बीमारी का सही ईलाज न हो पाना है। इस बीमारी की सबसे अहम बात यह है कि जब तक यह बीमारी गंभीर नहीं हो जाती तब तक यह पकड़ में नहीं आती। आंकड़े यह भी बताते हैं कि 75 फीसदी महिलाएं बीमारी के बढ़ जाने के बाद ही इसकी जांच कराती हैं और केवल 19 फीसदी महिलाओं को इस बीमारी का पता पहले चल पाता है। जिन महिलाओं को इस बीमारी का पता गंभीर अवस्था हो जाने के बाद लगता है उनमें से अधिकांश महिलाओं की मृत्यु पांच साल की अवधि के बीच हो जाती है। अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जेपी हॉस्पिटल में सेवारत आब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकॉलोजी विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रेणु जैन ने गर्भाश्य कैंसर से संबंधित महिलाओं के मन में उठने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों की जानकारियां प्रदान दीं।

1.प्रश्न-गर्भाश्य कैंसर किस उम्र की महिलाओं को होता है?

यह बीमारी किसी खास उम्र में नहीं होती बल्कि यह किसी भी महिला को किसी भी उम्र (जेपी हॉस्पिटल में एक साल की बच्ची के गर्भाश्य कैंसर का ईलाज कर उसकी जान बचाई गई है) में हो सकती है। गर्भाश्य कैंसर से संबंधित जागरूकता में कमी भी इस बीमारी के गंभीर होने का एक महत्वपूर्ण कारण है।

2.प्रश्न-गर्भाश्य कैंसर होने के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?

प्रत्येक 5 महिलाओं में से एक महिला को गर्भाश्य कैंसर आनुवांशिक रूप से मिलता है। BRCA1 और BRCA2 जीन में इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है। यह ब्रेस्ट कैंसर की संभावना को भी बढ़ाता है।

3.प्रश्न-अगर परिवार में पूर्व में किसी को पेट, स्तन या गर्भाश्य कैंसर हो चुका है तो यह इतिहास परिवार की किसी अन्य महिला सदस्य में होने की संभावना को कितना प्रभावित करता है?

अगर किसी महिला के नजदीकी रिश्तेदार को पेट, स्तन या गर्भाश्य कैंसर पूर्व में हो चुका है तो परिवार की अन्य महिला सदस्यों में इस बीमारी के होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। ऐसी अवस्था में महिलाओं को बीमारी के लक्षण सामने आने पर तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क कर जांच करानी चाहिए।

4.किसी महिला को गर्भाश्य कैंसर के लक्षण का पता चल जाए तो उसे क्या करना चाहिए?

गंभीर और जानलेवा बीमारियों से पूर्ण सुरक्षा तभी संभव है जब आप इसका समय पर सही जांच और ईलाज कराएं। इसलिए जब भी आपको इस बीमारी के लक्षण पता चले तो बिना किसी संकोच के परिवार में किसी महिला सदस्य या नजदीकी रिश्तेदार, दोस्त या सहकर्मी या फिर डॉक्टर को बताएं। जितनी जल्दी आप इसका उपचार शुरू करेंगी उतनी ही जल्द बीमारी पर विजय पा सकेंगी।

5.गर्भाश्य कैंसर के लक्षण क्या हैं?

जेपी हॉस्पिटल में सेवारत आब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकॉलोजी विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रेणु जैन ने कहा कि शुरुआती अवस्था में इसके लक्षणों का पता लगाना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे गंभीर होती है। आमतौर पर इस बीमारी का शुरुआत में पता नहीं चल पाता। 95 फीसदी महिलाओं को शुरुआती दौर में इस बीमारी का स्पष्ट पता नहीं लग पाता। वैसे इस बीमारी के निम्न लक्षण हैं-

  •        पेट में सूजन
  •        श्रोणि या पेट में दर्द
  •        खाने-पीने में कठिनाई, भूख कम लगना
  •        तेजी से पेशाब आना या बार-बार पेशाब आना

इस लक्षणों के अलावा अत्यधिक थकान/ अपच/ स्वभाव में चिड़चिड़ापन/ पेट की ख़राबी/ पीठ के निचले हिस्से और पैरों में दर्द/ कब्ज या दस्त/ वजन घटना/ मासिक धर्म में अनियमितता और सांस की तकलीफ भी गर्भाश्य कैंसर के लक्षण हैं। अगर ये लक्षण दो हफ्ते से अधिक समय तक रहें तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।

6.गर्भाश्य कैंसर की जांच कैसे की जाती है?

जब तक किसी महिला को बीमारी के लक्षण न दिखाई दे तब तक बीमारी के बारे में पता करने की कोई विश्वसनीय पद्धति नहीं है। वैसे स्त्री रोग संबंधी जांच प्रक्रिया में दो तरह से गर्भाश्य कैंसर की जांच की जाती है। पहला खून की जांच, जिसके द्वारा शरीर में प्रोटीन के स्तर का पता लगाया जाता है जिसे CA-125 पद्धति कहते हैं। अल्ट्रासाउंड दूसरा तरीका है।

7.गर्भाश्य कैंसर की सर्जरी कैसे की जाती है?

जेपी हॉस्पिटल की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रेणु जैन ने बताया कि इस बीमारी की सर्जरी गायनेकॉलॉजिक ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा की जाती है। गायनेकॉलॉजिक ऑन्कोलॉजिस्ट वे चिकित्सक होते हैं जो इस तरह की गंभीर बीमारियों के सटीक ईलाज में निपुण होते हैं। इनको स्त्री रोग एवं प्रजनन संबंधी बीमारियों की पूरी जानकारी होती है। जेपी हॉस्पिटल में स्त्री रोग विशेषज्ञों की टीम से परामर्श लेकर आप स्त्री रोग संबंधित सभी बीमारियों से अपने आपको दूर व सुरक्षित रख सकती हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.