नोएडा प्राधिकरण ने लिया नई तकनीकों का सहारा , ख़राब सड़को के मलबे से दुरस्त होगा नोएडा – ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे

ROHIT SHARMA

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नोएडा :– नोएडा प्राधिकरण द्वारा नोएडा में विकास करता आ रहा है | साथ ही नई नई तकनीक के द्वारा कम लागत में नोएडा में कार्य किए जा रहे है | वही नोएडा प्राधिकरण अब नई तकनीक से नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेससवे का रखरखाव करेगा | जी हाँ एक्सप्रेसवे की जहाँ पर सड़क खराब होगी उस हिस्से को उखाड़कर जो मटीरियल निकलेगा उसी में 20 फीसदी नया बिटुमिन (तारकोल) मिलाकर सड़क बना दी जाएगी।

यूएस और यूके की तर्ज पर नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे का रखरखाव होगा। जहां पर सड़क खराब होगी उस हिस्से को उखाड़कर जो मटीरियल निकलेगा उसी में 20 फीसदी नया तारकोल मिलाकर सड़क बना दी जाएगी।

खासबात यह है की सड़क बनाने की इस प्रक्रिया में प्रदूषण नहीं होगा और खर्च में 30-40 फीसदी की बचत होगी। यह सामान्य सड़क से ज्यादा मजबूत होगी।

दरअसल आमतौर पर सड़क की लाइफ 5 साल होती है, लेकिन इस तकनीक से 8 साल तक सड़क ठीक रहेगी। जिसको लेकर नोएडा प्राधिकरण  के सीईओ आलोक टंडन ने इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इसके बाद अब आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) तैयार होते ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस तकनीक के इस्तेमाल से एक मिनट में डेढ़ मीटर तक सड़क बनेगी और एक बार में 100 मीटर तक की सड़क एक साथ फाइनल तैयार होगी ।

आपको बता दे की दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कुछ जगहों पर इस तकनीक पर आधारित सड़क बनाई गई थी। नोएडा में पहली बार इसका इस्तेमाल होगा। इन दिनों रांची में रिंग रोड बनाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

इस तकनीक से क्या होगा  फायदा

-सड़क उखाड़कर बनाए जाएगी। इससे सड़क की ऊंचाई नहीं बढ़ेगी और उखड़े हुए मटीरियल का इस्तेमाल हो सकेगा।

-इसका खर्च सामान्य सड़क बनाने की अपेक्षा 30 प्रतिशत कम आएगा और समय में भी 40 प्रतिशत की बचत होगी।

-80 प्रतिशत रिसाइकल वेस्ट में मात्र 20 फीसदी नया बिटुमिन (तारकोल) मिलाना होगा।

-सामान्य सड़क से 3 साल ज्यादा चलेगी। सामान्य सड़क की लाइफ 5 साल होती है। इसकी 8 साल होगी।

-सामान्य सड़क से ज्यादा बेहतर होगी। झटका नहीं लगेगा। लेवलिंग बेहतर होगी।

वही इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी एमपी सिंह ने बताया की  नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे को इस हॉट इनप्लेस रिसाइकलिंग तकनीक से बनाया जाएगा। इसकी सैद्धांतिक मंजूरी हो गई है। आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) तैयार कराकर जल्द से जल्द टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी। यह तकनीक प्रदूषण फ्री है। इसमें तीन यूनिट अलग-अलग स्टेज में एक साथ काम करती हैं। साथ ही इस कार्य में समय और खर्च की बचत भी 30-40 फीसदी तक होगी ।

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