आदर्श रामलीला : “भरत मिलाप” देख भावुक हुए दर्शक

Galgotias Ad

सूरजपुर : सूरजपुर में आदर्श रामलीला कमेटी के तत्ववाधान में चल रहे आदर्श रामलीला के छठवें दिन भरत कैकयी संवाद, राम भरत मिलाप का मंचन वृन्दावन से आये कलाकारों ने व्यास सतीश कुमार मधुप जी के कुशल निर्देशन में किया। इससे पहले कमेटी द्वारा मंच पर मुख्य अतिथि मुस्लिम समुदाय के असगर , सगीर अहमद, सलीम मेंबर, अब्दुल, युनुस और शमशाद का शौल ओढाकर सम्मान किया गया। अपने उद्बोधन में मुस्लिम समाज के अब्दुल जी ने कहा राम के आदर्शों पर चल कर ही विश्व में शांति कायम की जा सकती है।

तत्पश्चात मंचन की शुरुआत गुरु वशिष्ठ के बुलावे पर भरत शत्रुघ्न के अयोध्या पहुँचने से होती है। भरत कैकयी के कक्ष में पहुँच कर माँ को प्रणाम करते हैं और पिता की कुशल क्षेम पूछते हैं। कैकयी दशरथ के परलोक सिधारने की बात बताती हैं। इतना सुनते ही भरत दहाड़ मार कर गिर पड़ते हैं। तत्पश्चात भरत ने भ्राता राम की कुशल क्षेम पूछी तो कैकईं ने उत्तर दिया बेटा मैंने तेरे पिता से तुम्हारे लिए राजपाट और राम को 14 वर्ष वनवास भेजने का वरदान माँगा था । राम, सीता और लक्ष्मण वनवास गए। इतना सुनते ही भरत चौपाई के मध्यम से माँ को भला बुरा कहते हैं “वर मांगत मन भई न पीरा , गरी न जीऊ मुंह पड़े न कीरा ” अथार्थ “हे माँ जिस समय तुमने वर मांगे उस समय तुम्हारे मन में दुःख पीड़ा क्यों न हुई और तुम्हारी जीभ क्यों न गली उसमे कीड़े क्यों न पड़ गए “. अगले प्रसंग में राम भरत मिलाप का मंचन देख दर्शक भावुक हो गए। भला-बुरा कहने के बाद राम को वापस लाने के लिए भरत वन की ओर चल देते हैं । अगले दृश्य में वन पहुंचकर भरत रोते हुये दौड़कर राम के पास पहुँचते हैं और ‘हे आर्य’ कहकर वे राम के चरणों में गिर जाते हैं । राम ने भरत और शत्रघ्न दोनों भाइयों को हृदय से लगाया और पि ता माताओं कीकुशलता पूछी। जवाब में भरत रोते हुए बोले ‘भैया हमारे पिता स्वर्ग सिधार गये। मेरी माता ने जो पाप किया है, उसके कारण मुझ पर भारी कलंक लगा है, मैं किसी को अपना मुख नहीं दिखा सकता। मैं आपकी शरण में आ गया हूँ। आप अयोध्या का राज्य सँभाल कर मेरा उद्धार करें। मैं आपका छोटा भाई, आपके पुत्र के समान हूँ, माता के द्वारा मुझ पर लगाये गये कलंक को धोकर मेरी रक्षा करें।’ जब राम-भरत मिलाप हुआ तो भरत राम से लिपटकर रोने लगे। वह दृश्य बहुत मार्मिक था। भरत ने राम से कहा कि अयोध्या पर राज करने का अधिकार सिर्फ आपको है, आपकी जगह कोई भी नहीं ले सकता और राम से अयोध्या वापस चलने की ज़िद करने लगे। इस दृश्य में भाईयों के बीच के प्रेम को दर्शाया गया। राम ने कहा कि मैने पिताजी को वचन दिया है कि मैं 14 वर्ष का वनवास पूरा करके ही अयोध्या लौटूंगा। तब भरत राम की ‘चरण पादुकाएं’ सिर पर रखकर अयोध्या की ओर चल पड़ते हैं। इस अवसर पर आदर्श रामलीला कमेटी सूरजपुर के अध्यक्ष बाबू राम जिंदल, मंत्री जयदेव शर्मा, कोषाध्यक्ष योगेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष ईश्वर सिंह, संयोजक भोपाल भाटी, संरक्षक श्रीचंद भाटी, मूलचंद शर्मा, सतपाल शर्मा आदि मौजूद रहे।

Comments are closed.