प्रधान मंत्रि नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्रि मंडल का प्रथम विस्तार किया है , इसकी मोटे तौर पर सराहना हुई है (कांग्रेस पार्टी और टेलीविज़न मीडिया की कुछ सतही और औपचारिक किस्म की टिप्पणियों के अलावा).गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर परिकर को देश का नया रक्षा मंत्रि बनाया गया है , इसे सभी ने appreciate किया है. श्री परिकर एक ईमानदार परन्तु efficient प्रशासक की ख्याति प्राप्त कर चुके हैं. इस समय भारतीय सेनाएँ कठिन चुनोतियों का सामना कर रही हैं . UPA सरकारों के दस वर्षों ने सेनाओ को आधुनिक तकनीक और आधुनिक हथियारों से वंचित बना दिया है , यहां तक कि गोला बारूद की भी कमी है.UPA के पिछले रक्षा मंत्री की ईमानदारी का केवल एक ही योगदान रहा है की उन्होंने एक भी रक्षा डील को आगे नहीं बढ़ने दिया .अरुण जेटली के पास अब भी ३ महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं . अच्छा होता कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय किसी अन्य योग्य सांसद को दिया गया होता और अरुण जेटली अपनी core competence , वित्त पर अधिक ध्यान दे पाते . इस मंत्रालय का महत्त्व इस बात से स्पष्ट होता है कि इंदिरा गांधी ,लाल कृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज जैसे राजनीतिग्य इस मंत्रालय को संभाल चुके हैं.राजस्थान के सांसद Col. राज्यवर्धन सिन्ह राठोर को इस मंत्रालय में राज्य मन्त्री बनाना किसी को समझ नहीं आया, वे खेलकूद मंत्रालय के लिए उपयुक्त होते,यह मंत्रालय पहले से ही काफी उपेक्षित है. सबसे धमाकेदार परिवर्तन रेल मंत्रालय में किया गया है, जहाँ सदानंद गौडा को हटा कर सुरेश प्रभु को चार्ज दिया गया है.कांग्रेस कि सरकारों ने इस मंत्रालय को बेहद खस्ता हाल में पहुंचा दिया है.`Prabhu is a rare talent in the government— a hard worker,a details man and also blessed with broader vision` माधव राव सिंधिया के बाद रेल भवन को एक सही रहनुमा मिला है. सदानंद गोडा इस मंत्रालय के हिसाब से ज्यादा ही सज्जन इंसान हैं और रेलवे की अफसरशाही उनके नियंत्रण से बाहर थी, मोदी जो आधुनिकीकरण और काम मै तेजी चाहते थे,वह उनकी योग्यता से बाहर था.कानून मंत्रालय में भी उनका उपयोग होना संभव नहीं है.मंत्रि मंडल में उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान तथा अन्य प्रदेशों को प्रतिनिधत्व दे कर राज्यों और जातियों के मध्य संतुलन बनाने कि कोशिश की गयी है समावेशी राज्नीति के माध्यम से ही समावेशी विकास संभव है .उत्तराँचल से कोई मंत्रि न होना आश्चर्यजनक है . मोदी सरकार का ध्यान शिक्षा मंत्रालय पर है या नहीं , इसका आभास नहीं होता है . लगता है पूरा जोर infrastructure development पर ही रहेगा.नितिन गडकरी और रवि शंकर प्रसाद का बोझ कुछ कम किया गया है , जो ठीक है. आगे काम देख कर शायद और भी निर्णय लेने होंगें . राजीव प्रताप रूडी कि वरिष्ठता और योग्यता का उपयोग करना अभी शेष है.मुख़्तार अब्बास नकवी को अल्प संख्यक कल्याण का काम देना हास्यास्पद सा है.गिरिराज सिंह के एक बयान और मीडिया के कुछ भाग के हाय्हल्ला के कारण उनका पूरा राजनीतिक भविष्य समाप्त नहीं किया जा सकता , इसी भांति आगरा के दलित सांसद के प्रति कांग्रेस का विद्वेष समझ के परे है , नॉएडा के लोग प्रसन्न है कि उनके सांसद कि योग्यता कि पहचान की गयी है. पर , प्रक्रिया अभी प्रगति में है और लगता है चलती रहेगी. श्रवण शर्मा
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