दिल्ली विधान सभा सदस्य – परफॉर्मेंस को लेकर प्रजा फाउंडेशन संस्था ने जारी किया रिपोर्ट कार्ड

Rohit Sharma (Photo/Video) By Lokesh Goswami Ten News Delhi :

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प्रजा फाउंडेशन ने एक बार फिर अपना तीसरा रिपोर्ट कार्ड जारी किया है, फाउंडेशन का ये रिपोर्ट कार्ड दिल्ली सरकार के विधायकों के परफॉरमेंस पर आधारित है। गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा के 70 में 66 सीटों के साथ आम आदमी पार्टी के सर्वाधिक विधायक है।

जिसको लेकर आज प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के ने प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि दिल्ली के चुनाव अभियान में स्थापित राजकीय पक्षों से एक अलग पक्ष होने का दावा आप पार्टी ने किया था , साथ ही दिल्ली के लोगों ने आप पार्टी को भारी मतों से जिताया भी। दिल्ली में भ्र्ष्टाचार मुक्त , कुशल और उत्तरदायी सुशासन प्रदान करने वाली सरकार स्थापित करने का स्पष्ट जनादेश आप पार्टी को मिला।

हालांकि 2016 में विधायकों का कुल अंक 58.83 प्रतिशत था जोकि 2018 में घटकर 55.39 प्रतिशत रह गया है। साथ ही विधायकों का प्रदर्शन 2017 के 57.59 प्रतिशत से घटकर 2018 में 55.94 प्रतिशत हो गया है । विधायकों तक नागरिकों की पहुँच भी 2017 के 64.91 प्रतिशत से घटकर 2018 में 50.38 प्रतिशत हो गई है ।

वही उनका कहना है कि आप पार्टी के किसी भी विधायक को 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त नही हुए है । सभी विधायक शिक्षा , जलापूर्ति , पर्यावरण एवं नागरिकों तक पहुँच के विषय मे कुछ नया कर सकते थे, परन्तु इन मुद्दों को महत्व नही दिया गया जितना इन्हें वास्तव में मिलना चाहिए था ।

उनका कहना है कि 2015 के आखिरी विधानसभा चुनावों के बाद अपराधिक मामलों में विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली सरकार के कुछ विधायकों पर अभी मामले दर्ज है , जिसके कारण उनका प्रदर्शन घटता नज़र आ रहा है । साथ ही दिल्ली जल बोर्ड और शिक्षा विभाग जो राज्य सरकार के अधीन आते है , इन्हें सही तरह से संचालित किया जा सकता था , हालांकि आप पार्टी ने दिल्ली की जनता की अपेक्षाओं पर खरी नही उतर पायी। दिल्ली के अंदर पानी न मिलने की समस्या की शिकायतों की संख्या 2015 में करीब 34 हज़ार थी जो 2017 में बढ़कर करीब 52 हज़ार हो गयी है । अगर शिक्षा के विषय मे दो साल के अंदर अच्छा प्रदर्शन नही हुआ है ।

वही दूसरी तरफ आप पार्टी के दो विधायक देवेन्द्र कुमार सहरावत और प्रमिला टोकस नव दो साल के अंदर एक भी सवाल नही पूछा । जिससे दिल्ली की जनता में इनका काफी ग्राफ घट चुका है ।

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