घाटे में चल रहे प्राधिकरण को शॉपिंग मॉल पर लगे विज्ञापन से नहीं थी राजस्व की फ़िक्र, खबर चलने के बाद रुका खेल

ROHIT SHARMA / ASHISH KEDIA

Galgotias Ad

(03/04/18) नोएडा :–नोएडा में विज्ञापन पॉलिसी की आड़ में प्राधिकरण के अधिकारियों का बड़ा खेल चल रहा है। ऐसा प्रतीत होता है की प्राईवेट कम्पनियो से साठगांठ कर प्राधिकरण के अधिकारी पहले से ही घाटे में चल रहे प्राधिकरण को करोड़ो का राजस्व का चूना लगा रहे हैं ।

नोएडा में सिर्फ दो ही मॉल को महज कुछ हजार स्क्वायर फिट के एरिया में विज्ञापन लगाने की परमिशन हैं लेकिन कई ऐसे भी मॉल हैं जिनके पास ऐसी कोई परमिशन नही है। मॉल प्रबंधन और प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से वहाँ लगातार विज्ञापन का खेल कर करोड़ो के वारे न्यारे किये जा रहे हैं।  जिन मॉल को महज कुछ हजार स्क्वायर फिट की परमिशन है वो भी मिलीभगत के चलते लाखो स्क्वायर फिट पर विज्ञापन लगा करोड़ो के खेल में लगे हैं।

आप तस्वीरों में कई मॉल्स पर लाखों स्क्वायर फिट पर होर्डिंग और विज्ञापन देख सकते हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि प्राधिकरण और मॉल के अधिकारी कैसे मलाई काट रहे हैं ।

दरअसल नोएडा में जीआईपी मॉल ने 10200 sq/ft की परमिशन ली है और नोइडा के ही डीएलएफ मॉल ने 11800 sq/ft की परमिशन ली है। 218.63 रुपये पर स्क्वायर फिट के हिसाब से इन्हें नोएडा प्राधिकरण में हर महीने जमा करना पड़ता है ।यही से शुरू होता है विज्ञापन के करोड़ो का खेल, पहले बात करते हैं नोएडा के जीआईपी मॉल की जहा लगभग1 लाख स्क्वायर फिट से ज्यादा एरिया में विज्ञापन लगा है इतना ही नही जीआईपी का ही दूसरा मॉल गार्डन गिलेरिया पर कोई परमिशन न होने के बाबजूद पूरा मॉल विज्ञापनों से ढका हुआ है। सवाल उठता है की आखिर ये पैसा  किसकी जेब में जा रहा है?

अब बात करते है नोएडा के डीएलएफ मॉल की वहा भी महज़ 11800 sq/ft एरिया पर विज्ञापन लगाने की अनुमति है परन्तु यहां भी लाख स्क्वायर फिट से ज्यादा एरिया में विज्ञापन लगे हुए हैं। इसके अलावा लॉजिक्स मॉल, शोप्रिक्स मॉल और वेब मॉल के पास तो कोई परमिशन ही नही है।आखिर ये मॉल किसकी सह पर प्राधिकरण का करोड़ो का राजस्व  का नुकसान कर किसकी जेब भर रहे हैं, यह अवश्य जांच का विषय है।

वही इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी राजेश सिंह ने बताया की  सिर्फ दो मॉल के पास परमिशन है, लेकिन बांकी कैसे विज्ञापन लगा रहे हैं इसकी जबाबदेही किसी के पास नही है।

यह मानना मुश्किल है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे खेल के बारे में किसी को जानकारी ना हो। जो विज्ञापन लगाए ही दिखाने के लिए जाते हैं वो अधिकारियों की पैनी नजर से कैसे बचें रह सकते हैं ?

जानकारी के लिए बता दे की अथॉरिटी के परियोजना अभियंता विज्ञापन का सारा काम देखते है और पालिसी के हेड हैं। वर्क सर्किल दो के परियोजना अभियंता एससी मिश्रा।

हालांकि आज एक निजी चैनल पर यह खबर चलने के बाद अधिकारियों की नींद टूटी। आज इस मामले में प्राधिकरण के अधिकारीयों ने कार्यवाही करते हुए नोएडा के दो मॉल में लगे सभी विज्ञापन को हटाया | साथ ही इन मॉल के प्रबंधन के खिलाफ करीब 13 लाख का जुर्माना भी लगाया गया |

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