दिल्ली एनएमओपीएस पदाधिकरियों ने गिनाई नयी पेंशन स्कीम की खामियाँ, सरकार के खिलाफ संघर्ष की तैयारी

Ashish Kedia (Photo/Video By Lokesh Goswami Ten News )

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नयी पेंशन स्कीम को लेकर लम्बे समय से विवाद चल रहा है केंद्रीय कर्मचारियों में इसे लेकर भारी रोष देखने को मिला है। कई केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने इस के विरोध में आंदोलन भी आयोजित किये। अलग अलग आंदोलनों के बाद कई विभाग के कर्मचारियों ने साथ मिलकर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम नाम से एक देशव्यापी संस्था का गठन किया। टेन न्यूज़ ने ज्यादा जानकारी के लिए एनएमओपीएस दिल्ली प्रान्त के पदाधिकारियों से बातचीत की।

नयी पेंशन स्कीम से कर्मचारियों को किस तरह की परेशानी है ?

नई पेंशन स्कीम कोई पेंशन स्कीम नहीं है और शेयर मार्किट प्लान या इन्वेस्टमेंट प्लान है। इसमें कर्मचारी की तनख्वाह का 10% हर महीने काट लिया जाता है और सरकार दावा करती है की वो भी इसमें 10 प्रतिशत पैसा डालती है। इसके बाद इसको विभिन्न शेयर स्कीम्स में निवेश किया जाता है। हालात ऐसे हैं की सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट तक उस पैसे का उपयोग नहीं कर सकते। रिटायरमेंट के बाद भी पूरा पैसा कर्मचारी को नहीं मिलेगा। सरकार कहती है की करीब 60 % पैसा मिलेगा जबकि असलियत में सिर्फ 55 % पैसा मिल रहा है। अब तो हमारी तनख्वाह से पैसा भी कट रहा है, निवेश हो रहा है और मिल भी कुछ नहीं रहा। फॅमिली पेंशन भी अब तक पूर्ण रूप से लागू नहीं की गई है। इस तरह की कई परेशानियाँ इस नयी पेंशन स्कीम में हैं जिसका हम विरोध करते हैं।

पुरानी पेंशन स्कीम क्या आपको लगता है इतने लम्बे वक़्त बाद भी उपयुक्त रहेगी या तरह के बदलाव की आवश्यकता है ?
पुरानी पेंशन स्कीम का मार्किट से कोई लेना देना नहीं है। नयी पेंशन स्कीम जब से लागू हुई है हमारी बेसिक पे का 10% काटा जाता है और सरकार भी इतना ही पैसा इसमें मिलाती है। इसमें न तो सरकार का फ़ायदा है ना कर्मचारियों का। एक कर्मचारी 25-28 साल की उम्र में नौकरी चालू करता है उसका पैसा पेंशन के लिए 36-37 साल कंपनियों के पास जमा किया जाता है और फिर नयी स्कीम के अनुसार वो कम्पनिया कर्मचारियों को पेंशन देंगी। जबकि पुरानी स्कीम में सरकार रिटायरमेंट तक कोई पैसा नहीं डालती थी और उसके बाद कर्मचारी और उसके परिवार को जीवन पर्यन्त पेंशन देती थी। नयी स्कीम सिर्फ प्राइवेट कंपनियों को लाभ पहुंचाएगी और शेयर बाजार के ऊपर नीचे होने से कर्मचारियों और सरकार को बड़ा नुकसान होगा।

सरकार से आपकी वार्ता का क्या नतीजा रहा ?
सरकार इस विषय में विचार कर रही है परन्तु अभी कोई ठोस आस्वाशन नहीं दिया गया है। इसलिए हम यह नहीं कह सकते की सरकार ने अभी नई पेंशन स्कीम को वापिस लेने के लिए कोई सहमति जताई हो।

एनएमओपीएस  के गठन में इतनी देरी क्यों हुई और क्या इसकी विभिन्न राज्यों में शाखाएँ भी हैं ?
हर राज्य में इस लड़ाई को अलग अलग स्तर पर लड़ा जा रहा था। हालाँकि सरकारों की इस आंदोलन को लगातार दबाने की कोशिशों के बीच एक संगठित संस्था की आवश्यकता महसूस हुई और इसी क्रम में नवम्बर 2017 में एनएमओपीएस का गठन नवम्बर 2017 में किया गया।

आज हमारे साथ 15 लाख से भी ज़्यादा कर्मचारी हमारे साथ जुड़ चुके हैं। आगे के आंदोलन में बड़ी संख्या में लोग सामने आएँगे ऐसी उम्मीद है।

भाजपा सरकार से आपको कितनी उम्मीदें हैं ?
सरकार परेशानियों को समझ रही है और इस विषय में पॉजिटिव नजर आ रही है। शेयर मार्किट जैसी पालिसी होने की वजह से सभी को इसकी दिक्कतें साफ़ नजर आ रही है।

पुरानी स्कीम से तुलना में किस तरह के नुकसान होने की सम्भावना है ?
इसमें कोई गारंटी नहीं है की हमे कितना पैसा मिलेगा। पहले तय हुआ करता था की पेंशन कितनी मिलती थी लेकिन यहाँ ऐसा कुछ नहीं है। जबसे हमे इस बारे में जानकरी मिली है हम इसके पुरजोर विरोध में लगें हैं जो आगे भी जारी रहेगा।

सबसे बड़ी खामियां आप क्या मानते हैं नयी पेंशन स्कीम की ?
पहली चीज की इसमें कोई गारंटी नहीं है जबकि ये एक सामजिक सुरक्षा का मुद्दा है। ये एक जोखिम से भरा इन्वेस्टमेंट प्लान है। दूसरा इसमें फैमली पेंशन की सुविधा नहीं है। कर्मचारी को 20 साल की सेवा के बाद ग्रेचुटी मिलनी चाहिए जिसे भी सरकार ने ख़त्म करने की कोशिश की थी परन्तु सर्वोच्च न्यायलय के फैसले के बाद यह जारी रही।

आंदोलन की आगे की रणनीति कैसी होगी ?
आगे की रणनीति के तहत हम लोग 28 अक्टूबर 2018 को सभी सांसदों के निवास पर एक दिन के आंशिक अनशन करेंगे। तब भी हमारी मांगे नहीं मानी जाती तो हम संसद का घेराव करेंगे और आमरण अनशन तक जाने के लिए तैयार। हमारी मांगे बिलकुल जायज है और उन्हें पूरा किया जाना चाहिए।

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