श्री रामलीला साइट 4 में 55 फीट पर विशाल धनुष तोड़ हुआ सीता स्वयंवर, मुख्य अतिथि प्रवीण तोगड़िया ने दोहराई राम मंदिर निर्माण की मांग

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Ashish Kedia

(Photo/Video : Saurabh Shrivastava)

ग्रेटर नॉएडा के इकोटेक साइट 4 में श्री रामलीला कमिटी द्वारा चल रहे भव्य रामकथा मंचन में सोमवार रात सीता-स्वयंवर और लक्ष्मण- परशुराम संवाद आकर्षण का केंद्र रहे।
सोमवार को रामलीला के पांचवे दिन मुख्य अतिथि के रूप में रामलीला प्रांगण में पहुंचे विश्व हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया और उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मिनिस्टर राजेंद्र प्रताप।
विश्व हिन्दू परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने इस अवसर पर लोगों को सम्बोधित करते हुए भगवान् श्री राम के आदर्शों का बखान किया और  राम मंदिर के निर्माण का आवाहन किया।

प्रवीण तोगड़िया ने कहा, “विकास तो कांग्रेस -बसपा कोई भी कर सकता है हमे तो राम मंदिर का निर्माण करना चाहिए।  संसद में कानून बना कर सरकार को राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ़ करना चाहिए।”

मीडिया प्रभारी विनोद कसाना ने बताया आज रामलीला का मंचन धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर,परशुराम -लक्ष्मण संवाद जनकपुरी में स्वागत,चारों भाइयों का विवाह और विदाई समारोह का मंचन किया गया ।

महासचिव विजेंद्र सिंह आर्य ने बताया मंचन के शुरुआत में सीता स्वयंवर का मनोहरी मंचन किया गया। जिसमे जनकपुर राजदरबार दिखाया गया जहाँ सीता के विवाह के लिए शिव धनुष का महायज्ञ होनाहै । श्री राम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के साथ राजदरबार पहुँचते हैं। अन्य देश -विदेशों से भी राजा पहुँच रहे हैं। राजा जनक अपने संवाद में कहते हैं एक बार सीता ने बड़े आराम से शिव धनुष को उठा लिया और आंगन से घर के अंदर ले आयीं थी। तभी मैंने प्रतिज्ञा की थी कि सीता का विवाह उसी से करूँगा जो शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा । अगले दृश्य में राजा जनक के आज्ञा पर धनुष यज्ञ आरम्भ होता है ।

आपको बता दे की रामलीला का यह अभिन्न अंग राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ बालकांड से लिया गया है। यह तुलसीदास द्वारा रचित है। इस काव्यांश में सीता-स्वयंवर के समय का वर्णन है। शिव धनुष भंग होने का समाचार सुनकर परशुराम क्रोधित होकर सभा में उपस्थित हो जाते हैं। वह उस व्यक्ति पर बहुत क्रोधित होते हैं, जिसने उनके आराध्य देव शिव का धनुष तोड़ा है। वह उसे दण्ड देने के उद्देश्य से सभा में पुकारते हैं। यहीं से राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद का आरंभ होता है। स्थिति को बिगड़ती देखकर राम विनम्र भाव से उनका क्रोध शान्त करने का प्रयास करते हैं। परशुराम को राम के वचन अच्छे नहीं लगते। लक्ष्मण अपने भाई के साथ ऋषि का ऐसा व्यवहार देखकर स्वयं को रोक नहीं पाते। इस तरह इस संवाद में उनका आगमन भी हो जाता है। वह परशुराम जी पर नाना प्रकार के व्यंग्य कसते हैं।

 

मीडिया प्रभारी विनोद कसाना ने बताया मेला ग्राउंड में बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के झूले लगाए गए हैं। साथ ही खानपान स्टाल्स भी लगा हुआ है।

इस मौके पर अध्यक्ष मंजीत सिंह , महासचिव बिजेंद्र सिंह आर्य, मनोज गर्ग, ओमप्रकाश अग्रवाल , सौरभ बंसल, विनोद कसाना , के.के. शर्मा, कुलदीप शर्मा , मुकुल गोयल, अमित गोयल, हरेन्द्र भाटी, जतन भाटी, सुभाष चंदेल, श्यामवीर भाटी, अजय रामपुर आदि मौजूद रहे।

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