Greater Noida (10/11/18) : दुनिया में सबसे ऊँची प्रतिमा आज के समय में हमारे देश में स्वतंत्र सेनानी लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की है जो कि कुल 182 मीटर ऊँची है। इस प्रतिमा के बनने के बाद देश में तरह-तरह के सवाल मोदी सरकार पर दागे जा रहे है। कई लोगों का मानना है मोदी सरकार ने 3 हजार करोड़ रूपये बेकार में सरदार पटेल की प्रतिमा में लगाए हैं अगर सरकार इतने पैसे किसी स्कूल और विश्विद्यालय को बनाने में खर्च करती तो निश्चित ही बहुत लोगों को ज्ञान मिलता और लोगों का भविष्य बनता।
वहीं दिल्ली की अखिल भारतीय मौर्य महासभा का कहना है कि मोदी सरकार ने सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण करके बुद्ध का अपमान किया है। उनका मानना है कि बुद्ध का जन्म भारत में हुआ था और देश के लोग विदेश में जाते हैं तो उनकी पहचान बुद्ध के देशवासियों के नाम से होती है।
अखिल भारतीय मौर्य महासभा के राष्ट्रिय अध्यक्ष अजय मौर्य का कहना है कि वे किसी की महानता को कम करना नहीं चाहते हैं लेकिन विश्व में सबसे ऊँची प्रतिमा होने का गौरव चीन में बनी स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा 153 मीटर थी, दूसरी विश्व में सबसे ऊँची प्रतिमा म्यांमार में बनी लेक्यून सेटक्यार 116 मीटर है वहीं तीसरी सबसे ऊँची प्रतिमा जापान में बनी उशिकु दायबुत्सु 110 मीटर थी लेकिन 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा सरदार पटेल की, जो कि 182 मीटर ऊँची है, का अनावरण करके तथागत बुद्ध को जो कि विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा होने का गौरव रखती थी उसे समाप्त कर दिया है। इस मामले को लेकर उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने विश्व को शांति का सन्देश देने वाले तथागत बुद्ध का अपमान तो किया ही है साथ ही साथ विश्वभर में बुद्ध को मानने वाले करोड़ों अनुयायियों की भावनाएं आहत की हैं।
उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जब विदेशी दौरे पर जाते हैं तो साथ में तथागत बुद्ध की प्रतिमा साथ में लेकर जाते हैं और वहां जाकर कहते हैं की हम तथागत बुद्ध और सम्राट अशोक की जन्मभूमि से आए हैं, लेकिन उन्होंने अपने ही देश में तथागत बुद्ध का अपमान किया है।
अखिल भारतीय मौर्या महासभा ने मांग की है कि आने वाले चुनावों से पहले देश में सरदार पटेल की प्रतिमा से ऊँची तथागत बुद्ध की प्रतिमा बनाई जाये जिससे कि तथागत बुद्ध का खोया हुआ गौरव फिर से प्राप्त हो सके।