राष्ट्रिय स्वच्छता अभियान एक बड़ी चुनौती : श्रवण कुमार शर्मा.

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भारत की पहली अंतरिम सरकार आज़ादी से पहले सितम्बर १९४६ में बनी थी ,जिसमें जवाहर लाल नेहरु प्रधान मंत्री थे,तबसे देश ने अनेक प्रधान मंत्री देखे है , जिनमें इंदिरा गांधी और अटलजी जैसे यशस्वी लोग भी शामिल हैं.पर किसी प्रधान मंत्री को स्वयं झाड़ू से सफाई करते नहीं देखा है .इससे पाता लगता है कि गांधीजी के बाद मोदी ऐसे पहले लोकप्रिय राजनेता हैं जो सफाई को इतना महत्व देते हैं .इसमें कोई संदेह नही है कि भारत दुनिया के सबसे गंदे देशों मै से एक है ,हमारे अधिकांश कस्बे. नगर , ग्राम ,सार्वजनिक स्थान ,सरकारी कार्यालय, मंदिर , अस्पताल और सड़के अदि बेहद गंदे हैं ,आबादी का बड़ा हिस्सा जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं खुले मं शौच जाते हैं . बरसो से समझाने और सरकारी योजनाओ का गरीब आबादी पर कोई असर नहीं है . कहते हैं कि रोम साम्राज्य के पतन में गंदगी और बीमारियों का बड़ा हाथ था.भारत के राजनीतिक नेतृत्व ने स्वच्छता और स्वास्थ्य को कभी गंभीरता से नहीं लिया है ,परिणाम सामने हैं ,विषय कठिन है ,बिना राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग के बड़े परिणाम संभव नही हैं .शहरो की सफाई के लिए स्थानीय निकायों को जुडना होगा .अधिकांश राज्य सरकारों का इस कार्यक्रम मै झुकाव दिखाई नहीं पड़ा है. मोदीजी की लगन सराहनीय है,काश, हमारे राज्यों के मुख्यमंत्री भी उनका अनुसरण करें,

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