जिले में जोर पकड़ेगा अतिरिक्त मुआवजे को लेकर किसान आंदोलन

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किसानों से सीधे जमीन खरीदने वाले बिल्डरों को भी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की तरह किसानों को 64 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देना पड़ सकता है। पूर्व में हुए समझौते के दौरान बिल्डरों ने किसानों के सामने शर्त रखी थी कि अगर प्राधिकरण कोर्ट के दायरे में आने वाले 39 गांव के किसानों के अतिरिक्त किसी गांव के किसान को 64 फीसदी मुआवजे का लाभ देता है, तो वह भी अपने किसानों को देंगे। प्राधिकरण आगामी बोर्ड बैठक में कुछ गांवों को इसका लाभ देने जा रहा है, जिसके बाद बिल्डरों से प्रभावित किसान भी अपनी लड़ाई तेज करेंगे।

उल्लेखनीय है कि जिले में अंसल और वेब सिटी को शासन से किसानों के साथ सीधे समझौते के जरिए जमीन खरीदने का लाइसेंस दिया था। दोनों बिल्डरों द्वारा दर्जन भर से अधिक गांवों में जमीन समझौते जरिए खरीदी है। इन किसानों द्वारा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के किसानों की तरह ही 64 फीसदी बढ़ा मुआवजा की मांग की ा रही है। वेब सिटी और अंसल बिल्डर की साइटों पर महीनों किसानों का धरना चला है। वेब सिटी ने किसानों के साथ समझौता कर लिया है, मगर अंसल का समझौता नहीं हो सका है। किसान संघर्ष समिति का कहना है कि दोनों बिल्डरों का कहना है कि प्राधिकरण उन्हीें किसानों को 64 फीसदी का लाभ दे रहा है, जिसमे हाईकोर्ट ने आदेशित किया है। अगर प्राधिकरण 39 गांवों के अतिरिक्त किसी गांव के किसान को मुआवजा देता है, तो बिल्डर भी अपने किसानों को मुआवजा देगा। दूसरी तरफ, किसानों के भारी दबाव के बाद ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण सिरसा, घंघोला, थापखेड़ा, हजरतपुर और रामपुर के किसानों को 64 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने का प्रस्ताव आगामी 20 नवम्बर को होने वाली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। माना जा रहा है कि प्राधिकरण इस प्रस्ताव को मंजूरी दिला लेगा। इसके बाद किसानों के लिए बिल्डरों से अतिरिक्त मुआवजा प्राप्त करने का रास्ता साफ हो जाएगा। किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता मनवीर भाटी का कहना है कि अगर प्राधिकरण इन पांच गांवों को बढ़ा मुआवजा देता है, तो बिल्डरों पर बढ़ा मुआवजा देने को लेकर दबाव बनाया जाएगा। अगर बिल्डर बढ़ा मुआवजा नहीं देते हैं, तो किसान आंदोलन की राह पकड़ेंगे।

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