पूर्व सेना प्रमुख ने कहा- राजनीतिक समाधान ही कश्मीर की जरूरत
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक सोमवार को पुणे के काटराज में सरहद कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस में थे. कॉलेज में कश्मीरी छात्रों की संख्या बहुत अधिक है जहां उन्होंने कश्मीर के मौजूदा हालात और उसके सुधार पर बात किया.
उन्होंने कहा कि श्रीनगर के आस-पास की स्थिति बहुत ही भयावह है. लोगों में आक्रोश बढ़ा है, पहले से ज्यादा संख्या में लोग आंदोलन कर रहे हैं और पत्थरबाजी की घटना भी बढ़ी है. महिलाओं का सड़कों पर उतरना कोई अच्छा संकेत नहीं है हमें इसका समाधान करना है, लेकिन सब कुछ सेना के जरिए संभव नही है. इसमें ऐसे नेताओं की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है जो वहां के लोगों के साथ संवाद स्थापित कर सकें खासकर उन लोगों से जो पीड़ित हैं.
कश्मीर मुद्दे का हल केवल भारतीय सेना का कार्य नहीं है इस विवाद का निपटारा राजनीतिक स्तर पर किया जाना चाहिए और यही विवाद का अंतिम हल है. हमें वहां कि परिस्थितियों को समझना होगा और पता करना होगा कि ऐसी क्या मजबूरी है जिस वजह से लोगों में गुस्सा है और वो पत्थरबाजी करते हैं उसके बाद कार्रवाई करना चहिए.
आज की स्थिति 1990 से बेहतर है. उस समय हम घाटी में चुनाव नहीं करा सके लेकिन आज चुनाव हो रहे हैं. अब हमें लोगों को ऐसा सुशासन देने की जरूरत है जो घाटी के लोगों के जीवन में बदलाव लाए और वहां की स्थिति को सामान्य बना सके.
सरकार घाटी के लोगों के साथ बातचीत करने में और वहां के लोगों का विश्वास हासिल करने में असफल रही है. वहां के लोगों के पास नौकरी नहीं है, शिक्षा नहीं है और सरकार का कोई सहयोग भी नहीं है. स्थितियों को देखते हुए केंद्र को एक सहायक की भूमिका निभानी चाहिए.
घाटी से जुड़े मसले पर अभी तक जो भी किया गया वह पर्याप्त नहीं है. वहां के लोगों को शिक्षित करना और उनको रोजगार के अवसर प्रदान करना चाहिए. कोई भी उद्योग कश्मीर जाना नहीं चाहता, पर्यटन को रोकना पड़ा. सुशासन के लिए यह एक बड़ा प्रश्न है. हमें इन सभी गतिविधियों को फिर से शुरू करने के बारे में कदम उठाना चाहिए.
कश्मीरी युवाओं की एक बड़ी संख्या काम करना चाहती है. पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि मैं पूरे आत्मविश्वास से कहता हूं कि 10 में से केवल एक या दो लोग ही पत्थरबाजी करने वाले हैं, बाकी अपने परिवारों के लिए काम करना चाहते हैं. इसलिए हमें पर्याप्त अवसर प्रदान करना होगा.