दोनों सभाओं में आरक्षण बिल पास होने पर टेन न्यूज़ के सामने रखी गणमान्य नागरिकों ने अपनी मंशा

Abhishek Sharma / Photo & Video By Baidyanath Halder

Greater Noida (10/01/19) : आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। यूथ फॉर इक्विलिटी ने संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

बता दें कि मोदी सरकार की ओर से देश भर के गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाला ऐतिहासिक विधेयक बुधवार को राज्यसभा में भी पास हुआ। लोकसभा और राज्यसभा से इस बिल के पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सामाजिक न्याय की जीत बताया और कहा कि यह देश की युवा शुक्ति को अपना कौशल दिखाने के लिए व्यापक मौका सुनिश्चित करेगा तथा देश में एक बड़ा बदलाव लाने में सहायक होगा।

पीएम मोदी ने कई ट्वीट में लिखा, ‘‘खुशी है कि संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो गया है जो सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के लिए संविधान में संशोधन करता है। मुझे देखकर प्रसन्नता हुई कि इसे इतना व्यापक समर्थन मिला।

सामान्य वर्ग के लोगों को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण को लेकर टेन न्यूज़ ने ग्रेटर नोएडा की महिलाओं से ख़ास बातचीत करते हुए इस फैसले पर उनका राय जानी। 10 फीसदी आरक्षण पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद रही सामजिक कार्यकर्ता अंजू पुंडीर, साधना सिन्हा व रूपा गुप्ता।



वरिष्ठ समाज सेविका रूपा गुप्ता ने मोदी सरकार द्वारा लिए गए 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को लेकर कहा कि 2019 के लोक सभा चुनावों में ज्यादा समय नहीं बचा है। बीजेपी ने 2014 के चुनावों से पहले अपने घोषणा पत्र में कहा था कि उनकी सरकार बनने के बाद 100 दिनों में सवर्णों के लिए आरक्षण लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मै इस फैसले को अच्छा या बुरा नहीं कहूँगी बल्कि ये आरक्षण की प्रथा ही खत्म कर देनी चाहिए जिससे कि सभी लोगों का संपूर्ण और समान विकास हो सके। हमारे देश में इतने रोजगार होने चाहिए कि किसी भी जाति विशेष को आरक्षण की जरूरत ही न पड़े।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में नौकरियों की कमी है जिसकी देश के युवाओं को बेहद जरूरत है। आरक्षण जैसे तमाम मुद्दों पर राजनैतिक पार्टियां लोगों को बांटने का काम कर रही हैं। देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। इस ओर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए। पढ़े लिखे नौकरी की तलाश में भटक रहे जिनकी स्थिति देखकर अत्यंत पीड़ा होती है।

अंजू पुंडीर ने आरक्षण पर अपनी राय देते हुए कहा कि मै मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करती हुँ। कहीं न कहीं मोदी सरकार को सवर्णों की याद आयी तो सही। चाहे वह 3 राज्यों में चुनाव हारने के बाद ही क्यों न आयी हो। ये एक अच्छा फैसला है ,हालांकि आरक्षण के इस फैसले को सवर्णों का नाम दे दिया है। इसमें स्वर्ण ही नहीं बल्कि सामान्य वर्ग में आने वाली सभी जातियां हैं। उन्होंने कहा कि मेरी सोच के हिसाब से सभी के लिए आरक्षण नहीं होना चाहिए। आरक्षण केवल उन लोगों को मिले जो इसके असली हकदार हैं।

उन्होंने कहा कि सवर्णों को आरक्षण जो दिया गया है इसमें सरकार ने सालाना 8 लाख से कम आय के लोगों को शामिल किया है। इस हिसाब से देश के सवर्णों की 80 फीसदी आबादी को आरक्षण मिल सकेगा। 8 लाख रूपये सालाना एक अच्छी कमाई कही जा सकती है। ढाई लाख सालाना आय से ऊपर तो लोगों को टैक्स का भुगतान करना पड़ता है तो ये मेरी समझ से बाहर है।

साधना सिन्हा ने बताया कि सवर्णों के लिए आरक्षण की घोषणा की गई है, इस फैसले से ख़ुशी जरूर हुई लेकिन इसके पीछे जो मंशा है सरकार की वो समझ से बाहर है। ये पूरी तरह से राजनीतिक फैसला लिया गया है। इस फैसले के पीछे साफ़ जाहिर हो रहा है कि सरकार ने सवर्णों की वोट पाने के लिए ये दाव फेंका है। इसलिए ये फैसला लिया गया है।


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