समाजसेवक दीपक श्रीवास्तव ने बेविनार के माध्यम से नवदुर्गा के सभी अध्याय से लोगों को किया जागरूक
ROHIT SHARMA
सदविचार मंच तथा भगीरथ सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में दीपक श्रीवास्तव द्वारा सरल हिंदी काव्यनुवादित श्रीदुर्गासप्तशती के द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ अध्याय की सस्वर प्रस्तुति हुई।
वेबिनार कार्यक्रम का सञ्चालन कृष्ण कुमार दीक्षित एवं आर एन पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में देश के अनेक शीर्षस्थ विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति एवं उद्बोधन हुए।
कार्यक्रम का प्रारम्भ आर एन पाण्डेय द्वारा वेदों में शाक्त तत्व को वर्णित करते हुए मन्त्रों के मूल स्वरुप से हुआ। तत्पश्चात दीपक श्रीवास्तव द्वारा रचित श्रीदुर्गासप्तशती के द्वितीय एवं तृतीय अध्याय के सरल हिंदी काव्यानुवाद की प्रस्तुति हुई।
छन्दों का क्रम मूल श्रीदुर्गासप्तशती के श्लोकों के क्रम में ही था। द्वितीय अध्याय में असुरों द्वारा देवताओं पर विजय प्राप्त कर लिए जाने के पश्चात सभी देवताओं के तेज से जगदंबा का प्रकटीकरण एवं देवताओं द्वारा उन्हें विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र एवं संस्थाओं तथा आभूषणों से सुसज्जित किए जाने की प्रस्तुति ने कार्यक्रम का वातावरण अलौकिक कर दिया।
दीपक श्रीवास्तव ने बताया कि जब भी हमारे जीवन में कोई संकट अथवा संघर्ष आता है तो असुरों द्वारा देवताओं पर किए गए आक्रमण के समान ही हमारी स्थिति हो जाती है, किंतु माता की शक्ति हमारे अंदर ही है उन शक्तियों को जब व्यक्ति एकत्रित करता है तभी उस पर संकट से पार होने की संभावना बनती है।
तृतीय अध्याय में वर्णित महिषासुर एवं सेना संहार की काव्यात्मक अभिव्यक्ति ने प्रत्येक श्रोता के तन-मन को तरंगायित कर दिया।
तृतीय अध्याय की काव्यात्मक प्रस्तुति के पश्चात चतुर्थ अध्याय में वर्णित देवताओं द्वारा देवी स्तुति के सभी 27 श्लोकों की मूल संस्कृत स्वरुप की प्रस्तुति आर एन पाण्डेय द्वारा की गई। तत्पश्चात शशि तिवारी ने कहा की हमारे ग्रन्थों में जो वर्णन मिलते हैं उनके अर्थ बड़े गहरे होते हैं तथा उन्हें आभ्यान्तर से समझने की आवश्यकता होती है।
तदुपरान्त दीपक श्रीवास्तव ने चतुर्थ अध्याय की काव्यात्मक अभिव्यक्ति की तथा उन्होंने बताया कि 27 श्लोकों के काव्यानुवाद में 36 छंद प्रयुक्त हुए हैं।
वरिष्ठ समाजसेवी अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि दीपक श्रीवास्तव श्रीदुर्गासप्तशती का काव्यानुवाद का प्रयास अद्भुत है तथा भविष्य में इससे आम जनमानस को बहुत लाभान्वित होगा। श्री जी एम अग्रवाल जी ने कहा कि श्रीदुर्गासप्तशती के बीज मन्त्र अत्यंत प्रभावशाली हैं। यदि कोई पूरा पाठ न भी कर सके तो भी केवल बीज मन्त्रों को पढ़ने से ही वह देवी कृपा का अधिकारी हो जाता है। श्री गणेश दत्त शर्मा जी कहा कि हमारे शरीर में जो दिव्य आत्मा है, वही वस्तुतः देवी है तथा जो विकार जैसे काम-क्रोध-लोभ इत्यादि हैं वही राक्षस अर्थात आसुरी शक्तियां हैं। देवी का अनुभवमात्र ही इन दुर्गुणों का नाश कर देता है। डॉ कल्पना भूषण ने कहा कि उनके घर में सभी लोग देवी के भक्त हैं।
सद्विचार मंच के संस्थापक-अध्यक्ष भूदेव शर्मा ने कहा कि इस कार्यक्रम से ऐसा लगा जैसे नवदुर्गा का पर्व शायद पहले कभी ऐसा नहीं मनाया गया। उन्होंने यह भी बताया कि स्तुति का अर्थ गुणों एवं चरित्र का गुणगान करना है। उन्होंने कहा कि काव्यानुवाद के शब्दों, छन्दों एवं लय का चुनाव अद्भुत है। श्री सर्वेश मित्तल जी ने कहा कि आज का दिन बहुत मंगलमय है। संस्कृत भाषा का ज्ञान न होने के कारण अनेक लोग केवल पाठ तो कर लेते हैं किन्तु अर्थ से अनभिज्ञ रह जाते हैं। ऐसे में यह काव्यानुवाद सभी के लिए अत्यन्त उपयोगी एवं परम काव्य सदृश है। कार्यक्रम में उपस्थित दीपक श्रीवास्तव के पिता डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव जी ने कहा कि काव्यात्मक प्रस्तुति अलौकिक है तथा उनके लिए ये गौरव के पल हैं। नेपाल सरकार के वरिष्ठ अधिकारी श्री राम चंद्र पाण्डेय जी ने कहा कि नवरात्री के अवसर में श्रीदुर्गासप्तशती के काव्यरूप की अनुपम प्रस्तुति अत्यन्त आनंदायक रहा।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पद्मश्री शीला झुनझुनवाला, कुसुमाकर सुकुल, प्रो. भूदेव शर्मा, आर एम गर्ग, अवधेश कुमार सिंह, वी के शर्मा, गणेश दत्त शर्मा, प्रो. लल्लन प्रसाद, श्री जी एम अग्रवाल, शशि तिवारी, अशोक श्रीवास्तव, देवेंद्र मित्तल, प्रतुल बशिष्ठ, राम चंद्र पाण्डेय, एस सी जोशी, अरविन्द सिंघल, राजेश सिंघल, डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव, राम जोशी, सुशील टंडन, निधि बबूटा, इत्यादि अनेक गणमान्य विभूतियाँ उपस्थित रहीं ।कार्यक्रम के अंत में कृष्ण कुमार दीक्षित जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।