पत्रकारों से बातचीत करते हुए दक्षिणी दिल्ली से आप लोकसभा प्रभारी राघव चड्ढा ने कहा कि सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन वाले दिन भाजपा के सांसद एवं दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अपने सैकड़ो गुंडों के साथ सरकारी कार्यक्रम में आकर तोड़फोड़ की, कुर्सियां तोड़ी, होर्डिंग्स फाड़े, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और मंच पर बैठे अन्य मंत्रियों पर पानी की बोतले फेंकी। वहां मौजूद पुलिस अधिकारीयों के साथ गाली-गलोच की, थप्पड़ मारा, और गिरेबान पकड़ा। ये सारी घटनाए सभी मीडिया चैनलों के कैमरे में कैद हुई, सभी मीडिया चेनलों ने टीवी पर इसको दिखाया। लेकिन ये बड़ी ही शर्मनाक बात है की आज मनोज तिवारी पर एफआईआर दर्ज करने की बजाए उल्टा दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। अर्थात जिसने हमला किया उसे छोड़ दिया गया, और जिसपर हमला हुआ उसी पर केस दर्ज कर ली गई।
प्रेस वार्ता में उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ दिल्ली की जनता द्वारा चुने हुए लोकप्रिय मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल हैं, जो कि अगर दिल्ली पुलिस का कोई भी कर्मचारी शहीद होता है तो उसके परिवार को 1 करोड़ रूपए की सहायता राशी देने का काम करते हैं। और एक तरफ भाजपा के नेता जो पुलिस अधिकारीयों को पीटते हैं, उनको गन्दी गन्दी गलियां देते हैं, गाल पर थप्पड़ रसीद करते हैं! लेकिन बवजूद उसके दिल्ली की पुलिस बेशर्मो की तरह भाजपा के साथ कड़ी नज़र आती है। ऐसा लगता है कि दिल्ली की पुलिस ने पेंट के नीचे खाकी निक्कर पहन रखा है, और पुलिस जनता के लिए नहीं बल्कि भाजपा के नेताओ के लिए काम कर रही है!
राघव चड्ढा ने बताया की लाख कोशिश के बावजूद भी जब हमारी शिकायत दिल्ली पुलिस ने नहीं दर्ज की तो मजबूरन कल आम आदमी पार्टी के नेताओ का एक डेलिगेशन दिल्ली पुलिस कमिश्नर से मुलाकात करने गया। हमने पुलिस कमिश्नर के समक्ष अपने वक्तव्य रखे, की किस प्रकार से दिल्ली पुलिस केवल ईमेल के माध्यम से ही भाजपा सांसद मनोज तिवारी की एफआईआर दर्ज कर लेती हैं, और हमारी लाख कोशिश के बावजूद भी हमारी एफआईआर दर्ज नहीं की जाती। इसपर कमिश्नर साहब का बड़ा ही चौकाने वाला बयान आया कि, हमने जो फुटेज देखे है उनमे कही भी ऐसा नहीं दिखाई दे रहा कि मनोज तिवारी ने किसी पुलिस अधिकारी पर हाथ उठाया है, या उनके साथ कोई बदतमीजी की है। उससे भी बड़ी चुकानी वाली बात उन्होंने ये कही कि वो पुलिस अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे है कि उनके साथ किसी भी प्रकार की कोई बदतमीजी नहीं हुई है। दुनिया भर के साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद दिल्ली पुलिस कमिश्नर का ये बयान बड़ा ही हास्यास्पद है, जिसमे एक साधारण व्यक्ति को भी दिखाई दे रहा है कि मनोज तिवारी पुलिस अधिकारी को पीट रहे हैं, परन्तु पुलिस कमिश्नर को ये दिखाई नहीं दे रहा।
उन्होंने कहा कि ये कोई पहले बार नहीं दिल्ली पुलिस और भाजपा ने मिलकर आम आदमी पार्टी के खिलाफ षड्यंत्र नहीं किया है। इससे पहले भी दर्जनों बार भाजपा ने हमारे खिलाफ षड्यंत्र किये हैं। हर बार न्यायालय में जाकर इनको मुंह की खानी पड़ी है। और हमें पूरा यकीन है कि इस केस में भी भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली की पुलिस को हार का सामना करना पड़ेगा। हम पुरजोर तरीके से कोर्ट में इस अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे।
हमारी लड़ाई तो ज़ारी रहेगी पर सवाल ये उठता है कि क्या दिल्ली पुलिस के नियम और कानून भाजपा के लिए अलग और दिल्ली की जनता के लिए अलग हैं। जहाँ एक और भाजपा संसद के ईमेल पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली, वही सवाल ये उठता है की दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जब मंच से भाषण दे रहे थे, उस समय मनोज तिवारी और उनके गुंडों ने मुख्यमंत्री पर बोतलें फेंकी, उन बोतलों में एसिड भी हो सकता था, किसी की जान भी जा सकती थी। क्या एक चुने हुए मुख्यमंत्री की सुरक्षा करना दिल्ली की पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है। क्या किसी भी व्यक्ति को एक सरकारी कार्यकर्म में अपने कुछ गुंडों के साथ बिना किसी रोक टोक के घुसने की आज़ादी है!
प्रेस वार्ता में मौजूद पार्टी की पूर्वी दिल्ली से लोकसभा प्रभारी आतिशी ने कहा सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन वाले दिन मनोज तिवारी और उनके गुंडों ने जो अलोकतांत्रिक और अमानवीय कृत्य किया उसके बाद हमने एक प्रेस कोंफेरेंस के माध्यम से कहा था कि अब ये दिल्ली पुलिस का इम्तिहान है की वो किस पर पहली FIR करती है! मनोज तिवारी के उन गुंडों पर जिन्होंने सरकारी कार्यक्रम में आकर तोड़फोड़ की, मनोज तिवारी पर जिनसे पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की, या एक बार फिर अपने आकाओं के कहने पर दिल्ली की पुलिस फिरसे झूठे और फर्जी केस में आम आदमी पार्टी के नेताओ को फ़साने का काम करेगी! अंततः वही हुआ जिसका डर था! दिल्ली के पुलिस ने मनोज तिवारी और उनके गुंडों पर केस न करके उल्टा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ ही केस दर्ज कर डाला!