नोएडा : किसान बिल के विरोध में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन, पुलिस ने कार्यकर्ता लिए हिरासत में

ABHISHEK SHARMA

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केद्र सरकार द्वारा किसानों के पक्ष में लाए गये बिल के विरोध में नोएडा आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सेक्टर 19 स्थित सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पर जमकर प्रदर्शन किया।

आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि भारतीय संसद में पारित एग्रीकल्चर ऑर्डिनेंस (कृषि अध्यादेश) से जय जवान और जय किसान के नारा लगाने वाले देश में किसानों की बदहाली मे एक और काला अध्याय जोड़ने का काम केंद्र में बैठी भाजपा सरकार के द्वारा किया गया है। केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को किसानों की कोई चिंता नही है किसान विरोधी ये काला क़ानून उसका जीता जागता प्रमाण है।

आम आदमी पार्टी गौतमबुद्ध नगर के जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र जादौन के नेतृत्व में पार्टी के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय सेक्टर 19 में संसद में पास हुए किसान विरोधी बिल के विरोध में सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देने के लिए इकट्ठा हुए थे लेकिन नोएडा पुलिस ने जबरन जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र जादौन, नोएडा महानगर अध्यक्ष एडवोकेट प्रशांत रावत एवं दादरी प्रभारी हरदीप भाटी को पुलिस पकड़ कर थाना सेक्टर 20 ले आयी।

आप प्रवक्ता संजीव निगम ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस आम आदमी की आवाज को दबाना चाहती है लेकिन आम आदमी अब जाग चुका है और वो बिल्कुल डरने वाला नही है।

जिलाध्यक्ष भूपेंद्र जादौन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कहा गया कि सच यह है कि कृषि जो हमारा देश की जीवन रेखा है, 80 प्रतिशत लोग जो गांव में रहते हैं वो कृषि पर निर्भर हैं, उसको पूँजीपतियों के हाथों में देने के लिए यह बिल लाया गया है। इस बिल की वजह से धान गेहूं व अन्य फसलों पर मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जायेगा, बिल में पूँजीपतियों को खुली छूट दे दी गई है कि आप आइए और कृषि क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लीजिए।

एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार एयरपोर्ट बेच रही एलआईसी बेच रही बैंक बेच रही एयर इंडिया बेच रही BPCL बेच रही और रेलवे बेच रही अब किसानों से खेती को भी छीना जा रहा है।

दादरी प्रभारी हरदीप भाटी व नोएडा महानगर अध्यक्ष प्रशांत रावत ने कहा कि इस बिल के अनुसार अब किसी भी जरूरी वस्तु को कहीं भी इकट्ठा किया जा सकता है। जरूरी वस्तुओं का जितना चाहे उतना भंडार किया जा सकता है और जब मन चाहे उसे बेचा जा सकता है। इससे काला बाज़ारी और बेतहाशा महँगाई बढ़ेगी।

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