आरसीईपी के खिलाफ किसानों का दिल्ली में विरोध प्रदर्शन , दूध उद्योग बर्बाद होने की चिंता

Rohit Sharma / Rahul Kumar Jha

नई दिल्ली (04/11/2019):– रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) में भारत के शामिल होने के विरोध में आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया । वही अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की चिंता है कि अगर भारत आरसीईपी की संधि में शामिल होता है, तो देश के कृषि क्षेत्र पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इतना ही नहीं भारत का डेयरी उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा ।

आपको बता दे कि आरसीईपी में भारत के शामिल होने पर किसान संगठनों की कड़ी आपत्ति है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी सदस्य योगेंद्र यादव का कहना है कि ये संधि होती है तो देश के एक तिहाई बाजार पर न्यूजीलैंड, अमेरिका और यूरोपीय देशों का कब्जा हो जाएगा और भारत के किसानों को इनके उत्पाद का जो मूल्य मिल रहा है, उसमें गिरावट आ जाएगी। इसी मद्देनजर देश में करीब 250 किसान संगठन जिला और स्थानीय स्तर पर इसके विरोध में प्रदर्शन करेंगे।

साथ ही उन्होंने कहा है कि देश में किसानों की हालत पहले से ही बहुत खराब है. फसल नष्ट होने, सही दाम न मिलने और कर्ज के बोझ से दबे होने के कारण किसानों के आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। किसानों की दुर्दशा को नजरअंदाज कर सरकार किसानों को बर्बाद करने वाले आरसीईपी पर हस्ताक्षर करने जा रही है। आरसीईपी पर भारत के हस्ताक्षर करने के बाद देश का डेयरी उद्योग पूरी तरह से तबाह हो जाएगा।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संजोयक वीएम सिंह का कहना है कि मौजूदा समय छोटे किसानों की आय का एकमात्र साधन दूध उत्पादन ही बचा हुआ है, ऐसे में अगर सरकार ने आरसीईपी समझौता किया तो डेयरी उद्योग पूरी तरह से तबाह हो जायेगा और 80 फीसदी किसान बेरोजगार हो जाएंगे । हालांकि उन्होंने कहा कि हमारी प्रधानमंत्री से मांग है कि किसानों के हित में आरसीईपी समझौते से डेयरी और कृषि को पूरी तरह से बाहर रखा जाए।

हालांकि बैंकॉक में रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप पर सहमति बनने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी करार में ही शामिल होगा । बैंकॉक में चल आसियान शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ओपनिंग स्पीच में भी आरसीईपी का जिक्र नहीं किया । उन्होंने केवल वर्तमान व्यापार समझौतों में सुधार की बात ही की।

क्या है आरसीईपी

बता दें कि आरसीईपी एक ट्रेड अग्रीमेंट है जो कि सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में कई सहूलियत देगा। इसके तहत निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं देना पड़ेगा या तो बहुत कम देना होगा , इसमें आसियान के 10 देशों के साथ अन्य 6 देश हैं।

किसान संगठनों का कहना है कि भारत में ज्यादातर किसानों के पास 2 से 4 गाय हैं, जिनके दूध से उनका परिवार चलता है। वहीं, दूसरी ओर न्यूजीलैंड के किसानों के पास 1000-1000 की संख्या में गाय हैं. आरसीईपी समझौता होने से 90 फीसदी वस्तुओं पर आयात शुल्क जीरो हो जाएगा, इससे भारतीय उद्योगों और किसानों की कमर पूरी तरह टूट जाएगी।

आरसीईपी के तहत मुक्त व्यापार करार में डेयरी उत्पाद को शामिल करने का प्रस्ताव है, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर आरसीईपी लागू हो गया और बाहर से दूध का आयात किया गया तो भारत के दूध के किसान पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे।

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