“An Empty Rhetoric by the Congress Party” by Shri Arun Jaitley, Minister of Finance & Corporate Affairs.

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by Shri Arun Jaitley, Minister of Finance & Corporate Affairs.

कांग्रेस पार्टी विचारों के दिवालियेपन की शिकार है। वे अपना ही नुकसान करने की कला में सिद्धहस्त हो गए हैं। इसका ताजा उदाहरण कांग्रेस प्रवक्ताओं द्वारा 07 जुलाई, 2016 को किया गया वह प्रेस कांफ्रेंस है जिसमें उन्होंने 46,000 करोड़ रुपये के दूरसंचार घोटाले का आरोप लगाया है

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भारत सरकार की सुव्यवस्थापित नीति के अनुसार, टेलीकॉम सेवा प्रदान करनेवाली कंपनियां राजस्व साझेदारी के हिसाब से भारत सरकार को लाइसेंस और स्पेक्ट्रम उपभोक्ता शुल्क का भुगतान करती हैं। फरवरी 2016 की एक सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2006-07 से 2009-10 के बीच छह टेलीकॉम प्रदाताओं ने अपना राजस्व 46,000 करोड़ रुपये तक कम करके बताया, जिसके चलते केंद्र सरकार की लाइसेंस और स्पेक्ट्रम उपभोक्ता शुल्क में हिस्सेदारी लगभग 5,000 करोड़ रुपये तक घट गई। कैग की यह रिपोर्ट इस साल फरवरी में दूरसंचार विभाग को प्राप्त हुई जबकि इसके सहायक दस्तावेज जून, 2016 में विभाग को प्राप्त हुए। इन दस्तावेजों की छानबीन की जा रही है ताकि दूरसंचार विभाग इस मामले में आगे की कार्रवाई कर सके। संसदीय प्रक्रिया के अनुसार, कैग की यह रिपोर्ट अभी लोक लेखा समिति के समक्ष लंबित है।

 

प्रासंगिक प्रश्न यह है कि कैसे यह एनडीए सरकार का घोटाला है? दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा कम करके बताने की समीक्षाधीन अवधि कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के समय की है। यूपीए सरकार ने, ठीक अपनी नाक के नीचे, इसे होने दिया। कैग की फ़ाइनल रिपोर्ट ने इसके बारे में फरवरी, 2016 में बताया और केवल तीन सप्ताह पहले ही इससे संबंधित दस्तावेज कैग द्वारा दूरसंचार विभाग को भेजे गए हैं। इस तथ्य के बावजूद कि यह मुद्दा पीएसी के समक्ष लंबित है, दूरसंचार विभाग जो कि इन दस्तावेजों का अध्ययन कर रही है, इस पर कार्रवाई करेगी। वर्तमान सरकार द्वारा फिर इसमें सही और गलत की बात क्या है? यह अनियमितता कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के दौरान हुई थी जिसके लिए वर्तमान सरकार कार्रवाई करेगी।

 

प्रश्न, मगर, कांग्रेस पार्टी की दयनीय दशा है। इस तथ्य को जानते हुए भी कि यह अनियमितता कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के समय हुई थी, कांग्रेस के प्रवक्ता इसे एनडीए सरकार का टेलीकॉम घोटाला बताने के लिए एक तथ्यहीन प्रलाप कर रहे हैं। कर्कशता, बौद्धिक दुर्बलता और एक आक्रामक बयानबाजी, कांग्रेस की रणनीति मालूम पड़ती है। यह अफ़सोस की बात है कि पार्टी हताशा की इस अवस्था को प्राप्त हो रही है।


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