आखिर कब रुकेगी पशुता, कब होगें जागरुक

पत्रकार बृजेश कुमार

मनुष्य एक बुद्धिजीवी पशु है । परन्तु कभी -कभी ऐसी घटनायें देखने को मिली है । मनुष्य ने पशुता की सारी हदें पार कर दी है। ऐसी घटनायें पूरी मानवता को शर्मशार कर जाती है। घटना केरल के मल्लपुरम की है। जहां कुछ अराजक तत्वों ने हथिनी को अनानास के साथ पटाखे खिला दिया। हथिनी गर्भ से थी। काफी देर तक पीड़ा से हथिनी बदहवास हो गयी , भागती रही और अंत में जाकर हाथी ने वेल्लियार नदी मे अपने सूड़ को पानी के अंदर करके खडी हो गयी। और दम तोड दिया। जब तक रेस्कूय किया गया हथिनी के पेट मे पल रहा गर्भ भी मर चुका था और हथिनी भी।
ऐसा नही है कि यह वन्य जीवों की पहली हत्या थी । इस तरह की हत्यायें पहले भी होती रही है ।हाथी के दाँत से काफी महंगे जवाहरात बनायें जाते हैं। जिसकी कीमत विश्व के बाजारों मे करोडों मे है। जिसकी मांग पश्चिमी देशों और चीन मे ज्यादा है। इसके आलावा वन्य जीवों की हड्डी से तमाम कामोंत्तेजक दवायें भी बनायी जाती रही है। इसमें हिरन बाघ जंगली सुअर अन्य अनेक जीव है। जिसकी हत्या की जाती रही है। । इसी वजह से वन्य जीवों की हत्या की जा रही है ।इस तरह के अपराध को रोकने के लिये तमाम कानून बनाये गये हैं। परंन्तु रोक लगाने मे सफल नही हो सका।
भारत सरकार ने साल 1972 वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था।जिसका मुख्य उद्देश्य वन्य जीव के शिकार,मांस,खाल के व्यापार पर रोक लगाना था। हालांकि 2003 में इसका नाम बदलकर
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 2002 कर दिया गया।साथ ही दंण्ड को भी कठोर कर दिया गया है।
मानव प्रकृति का दोहन तेजी से कर रहा है। और तमाम नियम कानून अवैध तश्करों के लिये कोई मायने नही रखते है। धडल्ले से तश्कर व्यापार मे लगे हुये हैं।यहा पर तमाम ऐसे लोग भी है जो चिकन बिरियानी खाकर बडे बडे मंचो पर वन्य जीव संरक्षंण की बात करते है । और, उन्हे बिना चिकन बिरियानी और पैग के नींद नही आती। यही दोहरा चरित्र ऐसे लोगों को बढावा देता है।चाहे फिल्म इंडस्ट्री से जुडे हो अन्य लोग।
हाथी की गलती क्या थी ।बस इतनी सी वह भूखा था। इस वजह से अनानास के जाल मे फंस गया। यह बात केरल की है । जहां शिक्षा का प्रतिशत सर्वाधिक है और कह सकते है पूर्ण शिक्षित है। । कैसे कोई इतना निर्मम हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बयान का जिक्र इस मामले मे आवश्यक हो जाता है।यह केवल हाथियों की हत्या नही है। जो मल्लपुरम मे प्रसिद्ध है ।पंचायत सडक पर बेतरतीब तरीके से जहर फेंकता है।ताकि एक समय मे सैकडों पक्षी और कुत्ते मर जाय।यह बेहद ही खतरनाक क्षेत्र है,केरल सरकार ने कोई कार्यवाही नही की है।
भारत मे प्राचीन काल से ही हाथी शान की सवारी माना जाता रहा है। बडे बडे राजा महाराजा हाथी को अपने वाहन के रुप मे प्रयोग करते थे। यहां तक की अपनी एक गज सेना होती थी। आजादी के बाद बात 1978 की है जब बिहार के बेलची मे 1978 के आस पास 11 किसानों की हत्या की गयी ।वहां पर बाढ का पानी भरा हुआ था। इस समय हाथी पर बैठकर इंदिरा जी पहुची थी।इसके आलावा जौनपुर का प्रसिद्ध कजली का मेला हाथिओं के बिना पूरा नही होता।जयपुर मे आमेर फोर्ट के पास कुडा गांव एलीफैंट बिलेज के नाम से प्रसिद्ध है।जहां देशी विदेशी लोग हाथी सफारी का आन्नद उठाते हैं।इसी तरह हाथिंयों का उपयोग भारत मे शान शौकत के रुप मे किया जाता रहा है।हाथियों की हत्या की वजह क्या होती है । जिसका जिक्र मैने पहले ही कर दिया है कि तश्करी के मामले की वजह से ऐसा अक्सर होता है।बात फरवरी की है। जब एक तश्कर पं बगाल के सीलीगुडी स्टेशन से 13 किलो हाथी दाँत के साथ गिरफ्तार किया गया।जिसकी कीमत 29लाख 500 रूपये थी। इसके आलावा छत्तीसगढ के बलरामपुर से 8 लोगों को गिरफतार किया गया।आरोपी के पास से 16 -16 किलो के दो हाथी दाँत बरामद किये गये। इस मामले में हाथी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्यवाही की गयी।इसके आलावा आप भारत के सबसे बडे चंदन तश्कर वीरप्पन को भूले नही होगें। जिसने हजारों हाथियों को मार डाला। और हजारों चंदन के पेड तश्करी के लिये काट डाला।
गणेंश जिसने पशुता की हदें पार कर दी थी। घोडे को मार मारकर पैर तोड़ दिया था । डाक्टरों ने घोडे के पैर काटकर कृत्रिम पैर लगाये। और गणेंश को गिरफ्तार किया गया। परन्तु कुल मिलाकर मामला शिफर ही रहा।
ऐसे मामलों मे अक्सर यही देखा गया है कि कुछ दिनों तक मीडिया में बना रहता है। धीरे धीरे मामला शान्त हो जाता है ।फिर लोग चिकन बिरयानी खाकर मजे से दूसरे मुद्दे पर बहस करते रहते है और हम चांव से सुनते भी है। कि क्या शानदार लक्षेदार भाषण दिया। सारे प्रवक्ता कि ऐसी की तैसी कर दिया। फिर हम तभी जागते है जब कोई नया मामला होता है। चाहे महिला सुरक्षा हो, चाहे दलित का मामला हो य़ा बंधुआ मजदूरी से जुडा मामला ।किसान आत्महत्या य़ा अन्य कई प्रकार के मामले जो सामाजिक हित से जुडे हों।
मल्लपुरम का मामला भी राजनीति से अछूता नही रहा। इस मामले मे कुछ नेताओं के बयान बेहद अफसोस जनक रहे। प्रकाश जावेडकर का बयान इस मामले मे उत्साह जनक रहा है ।उन्होने कहा है कि हम अपराधियों को पकडने मे कोई कसर नही छोडेंगे।यह भारतीय संस्कृति नही है कि जानवरों को पटाखे खिलाकर मारों। हालांकि गिरफ्तारी शुरू हो गयी । परन्तु अब देखना है कि हम इस मामले के बाद जागेंगें या फिर सो जायेंगें।


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