बाराही मेला में सजी कवियों की महफ़िल

GREATER NOIDA LOKESH GOSWAMI जिंदगी की टूटे न लड़ी, प्यार कर ले घडी दो घडी …. संतोष आनंद को सुन भावुक हुए श्रोता ग्रेटर नोएडा : सूरजपुर में चल रहे बाराही मेला में कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया जिसमे मशहूर कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं के दिलो को छू लिया।  इस मौके पर फ़िल्मी गीतकार संतोष आनंद ने अपने गीत सुनाकर समां बाँध दिया।  “क्रान्ति” फिल्म का ” जिंदगी की टूटे न लड़ी, प्यार कर ले घड़ी  दो घड़ी”  उनके इस गीत को सुन श्रोता भी भावुक हो गये।  इसके बाद “एक प्यार का नगमा है , मौजों की रवानी है , जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है ” गीत सुन पूरा दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़हाट से गूंज उठा।  माँ पर उन्होंने कविता पाठ करते हुए सुनाया, “माँ से  अच्छा कुछ नहीं होता, माँ तू ही परमेश्वर है, मेरे मनमंदिर में तेरी ज्योत उजागर है। श्रृंगार रस पर संतोष आनंद ने सुनाया “तुम्ही से प्यार करता हूँ, तुम्ही पे जान देने आया हूँ, आखिरी वक़्त है, इंतिहान देने आया हूँ।”    कार्यक्रम में संतोष  आनंद ने लगातार 1 घंटे से ज्यादा कविता पाठ किया।  युवा कवि  अमित शर्मा ने अपनी रचना ” तन्हाई वीरानियों को महफ़िल बना डाला, माँ की दुआओं ने मुझे काबिल बना डाला” और  कवि व एडवोकेट  मुकेश शर्मा ने पारिवारिक सम्बन्धों पर अपनी रचना ” पूरा दिन निकल गया ख्वाब सजाने में, रात निकल गयी नींद को पाने में, उस घर के दरवाजे के बाहर मेरे नाम की तख्ती भी नहीं लग सकी, जिसको पूरी उम्र लग गयी सजाने में ” सुनाकर   श्रोताओं की खूब तालिया बटोरी।वीर  रस के कवि प्रभात परवाना ने अपनी रचनाएं ” यदि देश बचाना है तो हमें भगत सिंह बनना होगा” और “देश भक्ति अगर पागलपन है, तो हम पागल ही अच्छे हैं” सुनाकर उपस्थ्ति लोगों में जोश भर दिया।  कवि दुर्गेश मिश्रा ने श्रृंगार रस में अपनी रचना ” साथी से, न सुराही ही से, न जाम से मिले , सुकून मिलता है तेरा नाम लेने से” सुन श्रोता आनन्दित हो गए।  इसके अलावा गौरी मिश्रा ने बेटियों पर अपनी रचना सुनाकर सबका दिल जीत लिया।  हास्य रस के कवि लाफ्टर चैंपियन  सबरस मुसरानी ने अपने हास्य व्यंग से  लोगों को खूब गुदगुदाया। शायर प्रेम सागर ‘प्रेम’ की शायरी का लोगों ने खूब लुत्फ़ उठाया।  कार्यक्रम का संचालन युवा कवि  अमित शर्मा द्वारा  किया गया ।  इस  मौके पर शिव मंदिर सेवा समिति के पदाधिकारियों ने कवियों को प्रतीक चिन्ह भेंट किया और  शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इसके अलावा बाराही मेला में सांस्कृतिक मंच पर लक्ष्मी नारायण कला मंच के कलाकारों ने संदीप अरोड़ा के कुशल निर्देशन में “लैला-मजनू” नृत्य नाटिका का सजीव मंचन कर दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया।  मजनू के संवाद ” संगमरमर से तराशा हुआ ये शोख बदन इतना दिलकरा है कि छूने  का मन करता है ”  सुन दर्शकों ने खूब तालियां बजाई।  नाटक का  मार्मिक दृश्य जिमसें मजनू को पत्थर से मार कर लहुलूहान किया  जा रहा है और लैला गा  रही है  ” कोई पत्थर से न  मारे मेरे दीवाने को” देख दर्शक भी  ग़मगीन हो गए।  इस नाटिका में संदीप अरोड़ा, रश्मि गोसाई, राहुल गौतम, मधु कपूर, राजन गौतम, ऋतू गोसाई, किरण, कविता, पूनम, विनोद और मिली ने अभिनय किया। बाराही मेला ग्राउंड में लगे झूले,सर्कस, खाने पीने के स्टाल्स में मनोरंजन के लिए लोगो की भारी भीड़ उमड़ी।  इस मौके पर शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष धर्मपाल प्रधान, ओमवीर सिंह बैसला, मूलचंद  शर्मा,  बिजेंद्र ठेकेदार , विनोद सिकन्द्राबादी , नवीन देवधर आदि  मौजूद रहे।

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