भारत बंद का दिल्ली में कोई असर नहीं – दिल्ली एवं देश भर में सभी बाज़ार पूरी तरह खुले रहे

Ten News Network

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किसान आंदोलन द्वारा पूरे देश में भारत बंद के आंदोलन का देश भर में व्यापारिक गतिविधियों और माल के परिवहन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। रोज़मर्रा की तरह दिल्ली और देश भर के बाज़ारों में पूरी तरह से व्यापारिक गतिविधियां चालू रहीं ! दिल्ली के सभी थोक बाज़ारों एवं रिटेल मार्केटों में अन्य दिनों की तरह सामान्य रूप से कारोबार हो रहा है ! ज्ञातव्य है की व्यापारियों के शीर्ष संगठन कनफेडेरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कल व्यापारियों द्वारा आज के भारत बंद में शामिल न होने की घोषणा की थी वहीँ दूसरी ओर देश के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सबसे बड़े संगठन आल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (ऐटवा) ने भी दिल्ली सहित देश भर के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के भारत बंद में शामिल न होने की घोषणा की थी जिसके फलस्वरूप आज दिल्ली सहित देश भर में व्यापारिक और ट्रांसपोर्ट गतिविधियां चालू रहीं !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की दिल्ली में लगभग 10 लाख से अधिक एवं देश भर में 7 करोड़ से अधिक व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले एवं कारोबार हुआ ! देश के सभी राज्यों जिनमें प्रमुख रूप से दिल्ली, महाराष्ट्र , गुजरात , राजस्थान , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , पश्चिम बंगाल , उत्तर प्रदेश , उत्तर पूर्वी राज्य , तमिलनाडु, केरल , आंध्र प्रदेश , झारखंड , बिहार, जम्मू कश्मीर आदि सभी राज्य शामिल हैं जहां थोक एवं रीटेल बाज़ार पूरी तरह खुले रहें और कारोबारी एवं ट्रांसपोर्ट गतिविधियाँ और दिनों की तरह ही चली ।

ऐटवा के अध्यक्ष श्री प्रदीप सिंघल और राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महेंद्र आर्य ने दावा किया कि देश में परिवहन व्यवसाय भी अन्य दिनों की तरह आज भी पूरी तरह से चालू है। देश भर में लगभग 30 हजार ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और लगभग एक करोड़ ट्रांसपोर्ट कंपनियाँ और कोरिअर कंपनियाँ हैं। लगभग 90 लाख ट्रक और अन्य परिवहन वाहन प्रतिदिन सड़कों पर निकलते हैं जिसमें से लगभग 20 लाख ट्रक प्रतिदिन विभिन्न राज्यों के बीच तथा बाकी परिवहन वाहन शहरों में माल की आवाजाही के लिए इस्तेमाल होते हैं और आज दिन भर भी ट्रांसपोर्ट द्वारा माल की आवाजाही पूरी तरह जारी रही !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने किसान आंदोलन को देश के विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा हाईजैक करने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की अपने निहित स्वार्थों के चलते विभिन्न राजनैतिक दल किसानों के हमदर्द होने का नाटक कर रहे हैं ! ये सभी राजनैतिक दल कहाँ थे आज से 12 दिन पहले कहाँ थे और तब क्यों नहीं इन्होने कृषि बिलों पर शोर मचाया ! यह बेहद खेदजनक है कि किसानों को अपनी राजनैतिक पिपासा के लिए ये सभी राजनैतक दल मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं ! उन्होंने कहा की देश का किसान बेहद समझदार है और वो इन दलों के झांसे में आने वाला नहीं है !

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि फार्म कानूनों ने मंडियों में कारोबार करने वाले व्यापारियों को बिचौलियों के रूप में कहा है जो बेहद आपत्तिजनक है। ऐसे सभी व्यापारी जो कृषि मंडियों में काम करते हैं वो सेवा प्रदाता हैं और बिचौलिए नहीं हैं और वे न केवल किसानों को उनकी फसल बेचने में मदद करते हैं बल्कि उन्हें किसानों को अग्रिम राशि या वित्तीय सहायता भी प्रदान करते हैं जब भी किसानों को इसकी आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि कैट तीनों कृषि कानूनों का गहराई से अध्ययन कर रहा है और जल्द ही सरकार को एक विस्तृत ज्ञापन सौंप कर उचित संशोधन की मांग करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल आव्हान के तहत देश के कृषि बाजार को विदेशी कंपनियों या घरेलू बड़ी कंपनियों के हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए और किसानों को इस क्रम में अपने खेतों से वंचित नहीं होना चाहिए, इसका विशेष ध्यान सरकार को रखना होगा !

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि तीनों कृषि कानून कृषि क्षेत्र से जुडी सभी वस्तुओं जिनमें लगभग 30 करोड़ टन खाद्यान्न, लगभग 32 करोड़ टन फल और सब्जियाँ, लगभग 19 करोड़ टन दूध सहित एक अरब टन से ऊपर कृषि उत्पादों के बाजार वाली कृषि अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि 12 हजार अरब लेकिन देश की 12 हजार अरब रुपये के देश के खुदरा बाजार की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे ! उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि मंडियों के बाहर कृषि का व्यवसाय करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के पास न केवल पैन कार्ड होना चाहिए, बल्कि उसे पंजीकृत भी होना चाहिए। किसान के घाटे की खेती को लाभदायक खेती में बदलने के लिए सभी उपाय किए जाने चाहिए! किसानों के सभी प्रकार के विवादों को निपटाने के लिए कृषि न्यायालयों की स्थापना की जानी चाहिए। इन कदमों से निश्चित रूप से न केवल किसानों को लाभ होगा बल्कि दूसरी ओर देश की कृषि प्रणाली में भी पारदर्शिता आएगी, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी!

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