ऋषी कपूर, इरफान खान की बॉलीवुड की यादें – विशेष एपिसोड.

By विष्णु सैनी, अर्पणा सैनी

बॉलीवुड की यादें – विशेष एपिसोड

दोस्तों, जीवन में कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनसे हम प्रत्यक्षतः कभी नहीं मिलते पर वे अपने व्यक्तित्व व किरदार से हम से बहुत करीब से जुड़ जाते हैं या कहें कि हमारे जीवन का एक हिस्सा बन जाते हैं।

बचपन से संगीत और फ़िल्मों को हमने अपने जीवन की आवश्यक दिनचर्या बना ली है, और बॉलीवुड हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है, पिछले दो दिनों में बॉलीवुड ने दो महान अदाकारों को भावभीनी विदाई दी है और ये दोनों ही ऐसे अदाकार है, जिन्होंने भारतीय सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कैफ़ी आज़मी साहब का एक शेर याद आता है..

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नही कोई

एक ऐसा ही कलाकार था, इरफान खान.।

राजस्थान के जयपुर शहर में जन्मे इरफान का बचपन संघर्ष पूर्ण रहा, आप शायद जानकर हैरान होंगे कि इरफान एक अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी के नाम से जाने जाते, अगर सी के नायडू टूर्नामेंट में चयनित होकर भाग लेने के लिए वो अपने परिवहन का खर्चा उठा पाते, लेकिन कहते है ना तकदीर वहाँ ले ही आती है जहां का दाना पानी लिखा होता है, NSD से ऐक्टिंग सीखकर इरफान मुंबई की ओर मुखातिब हुए, और लंबे संघर्ष के बाद “सलाम बॉम्बे” में एक छोटे रोल से अपना फिल्मी कैरियर प्रारंभ किया।

दूरदर्शन के कई प्रमुख धारावाहिकों जैसे चाणक्य, भारत एक खोज, चंद्रकांता में उन्होंने भूमिका अदा की। स्टार प्लस और सेट मैक्स पर भी उन्हें कई सीरिअल मिले, उनकी कुछ फिल्म जैसे कमला की मौत, एक डॉक्टर की मौत काफी सराही गई, मगर 2001 की “द वारियर” उनके फिल्मी कैरियर की महत्तवपूर्ण फिल्म थी जिसने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर भी पहचान दिलाई।

महेश भट्ट की “रोग” ने उन्हें बॉलीवुड में पहचान बनाने में सहायता की, उन्हें कई अच्छी फ़िल्मों में विलेन के रोल मिले और 2008 में हॉलीवुड फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर की अपार सफलता ने उन्हें हॉलीवुड से कई अच्छे काम दिलाए, और सुनहरी आँखों वाला यह अदाकार अपनी एक अलग छवि बनाने में सफल हुआ।

 

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 1993 की सुपरहिट फिल्म “जुरासिक पार्क” के टिकट के पैसे ना जुटा सकने वाला यह कलाकार 2015 में इसी फिल्म सीरीज के चौथे संस्करण में बतौर अदाकार नजर आया था।

2011 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया, 2013 में *पान सिंह तोमर ” में जहां उनकी अदाकारी की काबिलियत से नैशनल फिल्म अवार्ड में बेस्ट ऐक्टर अवार्ड मिला 2018 की “हिन्दी मीडियम” ने उन्हें बेस्ट ऐक्टर का फिल्म फेयर अवार्ड दिलाया, इसी फिल्म से प्रेरित” अंग्रजी मीडियम” उनकी आखिरी फिल्म थी, जो इसी वर्ष मार्च में रिलीज हुई थी।

29 अप्रैल 2020 को इरफान खान ने 53 वर्ष की उम्र में बॉलीवुड और इस संसार को अलविदा कहा, इस महान अदाकार को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि।

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा.
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा.

“प्यार हुआ इकरार हुआ” गाने में बरसाती में लिपटा एक तीन साल का बच्चा अपने दो भाई बहनो के साथ सड़क पर चलता हुआ आप सभी को याद होगा, जी हां दोस्तों, ये वही बच्चा था जो आगे चलकर “चिंटू बाबा” और “चॉकलेट बॉय ” के नाम से जाना गया।
ऋषि कपूर, का आज आकस्मिक निधन बॉलीवुड के रुपहले पर्दे को अंधकार मे डुबो गया, बॉलीवुड के आसमान ने आज एक और सितारा खो दिया।

फिल्म “बॉबी” से रातों रात शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने वाला यह प्रतिभाशाली कलाकार, यूँ तो बॉलीवुड के जाने माने घराने मे पैदा हुआ, और उसके लिए फ़िल्मों में आना कोई मुश्किल काम नहीं था मगर शायद आप यह नहीं जानते हों कि उनके पिता राजकपूर क्यूंकि महंगे सुपर स्टार राजेश खन्ना को फिल्म के लिए वहन नहीं कर पाते, इसलिए ऋषि कपूर को “बॉबी” फिल्म मिली, जिससे राजकपूर हीरो की फीस तो बचा ही पाए, साथ “मेरा नाम जोकर” से अपने ऊपर आए कर्ज को भी चुका सके। इस फिल्म से ऋषि ने फिल्म फेयर बेस्ट ऐक्टर अवार्ड भी जीता था।
ऋषि कपूर एक संपूर्ण कलाकार थे, उन्होंने अपनी अदाकारी से कम समय में ही हर उम्र और हर वर्ग को अपना प्रसंशक बना लिया था ।


जब बॉलीवुड का रुपहला पर्दा सुपर स्टार राजेश खन्ना, और उभरते सितारे अमिताभ बच्चन से जगमगा रहा था, ऐसे समय में ऋषि कपूर ने अपनी अलग पहचान बनाई।

कर्ज, सरगम, प्रेम रोग, लैला मजनू, सागर में जहां ऋषि ने बतौर रोमांटिक हीरो काम किया, वहीं अमर अकबर एंथनी, हम किसी से कम नहीं, रफू चक्कर, कभी कभी, दूसरा आदमी जैसी फ़िल्मों में बतौर सहायक कलाकार भी वे दूसरे कलाकारों से बेहतर नजर आए।

हिना, चाँदनी, दामिनी, दीवाना, बोल राधा बोल, जैसी सदाबहार फ़िल्में देने के बाद 1999 में उन्होंने कुछ साल बतौर डायरेक्टर काम किया, और फिर अदाकारी की अपनी दूसरी पारी संभाली।
” हम तुम एक कमरे में बंद हो”.. ” एक हसीना थी, एक दीवाना था” ,…”सागर जैसी आँखों वाली..”.. “ओ हंसीनी…”, “बचना ए हसीनों..”..जैसे कई गाने ऋषि कपूर की यादों के साथ हमेशा बजाये जाते रहेंगे।

ऋषि कपूर को और करीब से जानने के लिए आप उनकी ऑटोबायोग्राफी “खुल्लमखुल्ला ” पढ़ना ना भूले, जिसमें उन्होंने पर्दे के पीछे के कई रोमांचक किस्सों को बयां किया है।

और जाते जाते बस इतना ही …

ज़िन्दगी में बड़ी शिद्दत से निभाया अपना किरदार
कि
पर्दा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहीं..

TenNews परिवार की तरफ से भारतीय सिनेमा के इन दो दिग्गज कलाकारों को ऋषि कपूर साहब के इस गाने से भावभीनी श्रद्धांजलि… “ओम शांति ओम.. शांति शांति ओम”


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