गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में बनेगा बौद्ध म्यूजियम , विदेशी प्रयटकों को करेगा आकर्षित : कुलपति भगवती प्रकाश शर्मा
Ten News Network
ग्रेटर नोएडा :– गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय एक बड़ी पहल करने जा रहा है , इस पहल से देश -विदेश के पर्यटक गौतमबुद्ध नगर जिले में आएंगे। जी हाँ गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में गौतम बौद्ध म्यूजियम बनने जा रहा है।
वही इस मामले में गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति भगवती प्रकाश शर्मा ने टेन न्यूज़ को बताया कि शुद्र पूर्व में इंडोनेशिया से लेकर जो तक्षशिला दक्षिणपूर्व एशिया देश है । उसके बाद देखें जापान , चीन , श्रीलंका आदि जो बौद्ध देश है , एक प्रकार से विश्व की बहुत बड़ी मानवता बौद्ध मत की अनुरायी है ।
साथ ही उन्होंने कहा कि बौद्ध मत का जन्म भारत में हुआ है , साथ ही विश्व के सभी देशों में बुद्ध मत का प्रसार भारत से हुआ । पिछले ढाई हजार वर्षों में बौद्ध मत का प्रसार हुआ , आज इंडोनेशिया से लेकर अफगानिस्तान तक , चीन से तिब्बत होते हुए श्रीलंका तक सम्पूर्ण भारत मे अनेक आर्कोलॉजी और मोनीमेंट्स मौजूद है। साथ ही उन सबका ठीक से यहाँ मुसजिम बने । उदाहरण के लिए कनिष्क के काल मे , पेशावर में 700 फीट ऊँचा स्तूप बना है बौद्ध मत का आज भी पाकिस्तान में वो साजे की ढेरी के नाम से है।
मेरे कहने का मतलब यह है कि इंडोनेशिया से पाकिस्तान , अफगानिस्तान तक ये विभिन्न प्रकार के बौद्ध मत के मोनीमेंट्स है और उनके परावेश है, उन सभी को लेकर थ्रीडी प्रिंटिंग के माध्यम से म्यूजियम बनाने की योजना गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय की है ।
उन्होंने कहा कि हमारे गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन विद्या लैब भी है , विश्वविद्यालय की बहुत सी पीएचडी बौद्ध अध्ययन में हो रही है। हम देखते है कि बौद्ध मत में जिस कोरोना महामारी की बात की है , जो आज ग्लोबल वेलबिंग की दृष्टि से बौद्ध मत उसी प्रकार से सारी समस्याओं से लोगों को मुक्ति दिला सकता है , जो बौद्ध के काल मे लोग को दिलाई थी। ऐसा साउंड और विज़न , प्रोग्राम और उसके साथ साथ ऐसा म्यूजियम , स्लाइडशो और सम्पूर्ण बौद्ध मत को सजीव करने का गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय का लक्ष्य है।
बौद्ध दर्शन से अभिप्राय उस दर्शन से है जो भगवान बुद्ध के निर्वाण के बाद बौद्ध धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों द्वारा विकसित किया गया और बाद में पूरे एशिया में उसका प्रसार हुआ। क्रियाशील सत्य की धारणा बौद्ध मत की मौलिक विशेषता है। उपनिषदों का ब्रह्म अचल और अपरिवर्तनशील है। बुद्ध के अनुसार परिवर्तन ही सत्य है।