जीडीपी की गिरती तीसरी तिमाही दर को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

ROHIT SHARMA / HARINDER SINGH

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देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में धीमी पड़कर 4.7 फीसदी रही , यह सात साल का सबसे न्यूनतम दर है। जिसको लेकर आज कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आज प्रेस वार्ता करते हुए कहा की कल जीडीपी की तीसरी तिमाही के आंकड़े आये हैं। हमेशा तीसरी तिमाही के आंकड़े सबसे मजबूत होते हैं। एक तो खरीफ़ की फसल, जो इस बार अच्छी हुई , दूसरा यह त्योहारों का समय रहता है  |

साथ ही उन्होंने कहा की इस समय खपत भी होती है , मांग भी बढ़ती है, बिक्री भी होती है, इसलिए पिछले दशकों से तीसरी तिमाही का जीडीपी सबसे उपर रहता है | जीडीपी पिछले सात सालों में सबसे कम रहा और निरंतर सात तिमाही में यह गिरती जा रही है , यह एक चिंता का विषय है |  हमेशा वो डबल डिजिट में रहती थी , पिछली बार भी सिंगल डिजिट में रही और इस बार भी सिंगल डिजिट में है। दशकों में ऐसा नहीं हुआ, जो अब निरंतर हो रहा है |

हालांकि आंकड़ा 4.7 का है, पर नॉमिनल जीडीपी जिसमें मुद्रास्फीति, इन्फ्लेशन फैक्टर इन होती है , वो 7.7 है | हम सरकार के कल के दावे को खारिज करते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट अब खत्म हो रही है और अब आगे सुधार हो रहा है।अगर सरकारी खर्चे को देखें, रक्षा, प्रशासन, सेवा क्षेत्र को निकाल दें, तो जीडीपी 3.7% है |

साथ ही उन्होंने कहा की देश में निवेश निरंतर कम हो रहा है , इस तिमाही में निवेश 0.6% है , ये गिरावट 9.8% के मुकाबले है। हम सरकार ये पूछना चाहते हैं कि इसके बावजूद वो ये कैसे कह रही है कि हम रिकवरी के रास्ते पर हैं?

सरकार वार्षिक जीडीपी 5% बता रही है , निवेश के बाद सबसे बड़ी चिंता विनिर्माण की है, जहाँ से रोजगार पैदा होते हैं। यह -0.2% है। इसका मतलब है कि निर्माण नहीं हो रहा, कारखाने बंद पड़े हैं

जीएफसीएफ निवेश से ही सम्बंधित है , यह 5.2% गिरा है। एफडीआई के आँकड़ों से देश का लाभ नहीं हो रहा, क्यों वो जमीन पर दिख नहीं रहा। एनएसएसओ के डेटा के अनुसार मांग में लगातार कमी आ रही है

भाजपा सरकार के बजट के आँकड़े सही नहीं है। सरकार को राजस्व ₹11 लाख करोड़ आया है और बजट ₹26 लाख करोड़ का है, बजट राजस्व पर ही निर्भर होता है। अब क्या तीन महीने में ₹15 लाख करोड़ आएंगे? अगर नहीं आते हैं, तो यह बहुत बड़ा घाटा है। सरकार वास्तविकता को न नकारे

भाजपा सरकार गरीबों के हाथ में पैसा दे। मनरेगा के कार्य दिवस बढ़ाकर 150 और मजदूरी ₹500 करे। अगर ये नहीं होता तो इसका मतलब है कि भाजपा सरकार को गरीबों की कोई परवाह नहीं है

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