बौध धर्म गुरु श्री दलाई लामा का BIMTECH के छात्रों को व्याख्यान

ग्रेटर नॉएडा, 01 दिसम्बर 2013

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने आज BIMTECH की और से आयोजित व्याख्यान “सफलता और ख़ुशी” पर छात्रों एवं विभिन्न लोगों को संबोधित किया. कार्यक्रम का आयोजन “जेपी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स” में दोपहर 1:30 से हुआ जिसमें BIMTECH के छात्रों के अलावा कॉर्पोरेट जगत की हस्तियाँ एवं मीडिया जगत से लोग मौजूद थे.

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए BIMTECH के संचालक डॉ हरिवंश चतुर्वेदी ने धर्म गुरु को ग्रेटर नॉएडा एवं BIMTECH के बारे में बताया, उन्होंने विषय को समझाते हुए बताया की आज के समय में काफी अनुसन्धान चल रहा है की सफलता और ख़ुशी को कैसे परिभाषित करना चाहिए, कौन उसे परिभाषित करेगा और क्या परिभाषाएं समय के साथ बदलती रहती हैं??
श्रीमती राजश्री बिरला ने दलाई लामा का स्वागत करते हुए कहा की दलाई लामा एक आध्यात्मिक शक्ति हैं तथा हम बहुत ही खुशकिस्मत हैं की आज वो हमारे बीच हैं. TIME पत्रिका ने उन्हें “सभी संतों का एक संत” कहा था. जब भी हम श्री लामा की छवि के बारे में सोचते हैं तो हमें एक हँसता हुआ खुशमिजाज इन्सान ही दिखाई देता है.
दलाई लामा ने अपना व्याख्यान शुरु करते हुए पुरानी बातें याद करते हुए कहा की किस तरह नेहरूजी ने उनकी मदद की थी, और 1959 में वो मसूरी में बिरला गेस्ट हाउस में रुके थे. उन्होनें अपने आप को एक बेघर शरणार्थी बताया. अहिंसा के बारे में उन्होंने कहा की यह 1000 साल पुराना सिद्धांत है जो आज भी प्रासंगिक है. उन्होनें कहा की मजबूत मन से ही सभी के लिए सद्भाव की भावना आ सकती है जो की अहिंसा की पहली सीढ़ी है. धर्म निरपेक्षता के बारे में उन्होंने कहा की सभी का सम्मान, यहाँ तक ही नास्तिकों का सम्मान ही आपको एक सच्चा धर्म निरपेक्ष इन्सान बनती है. इन्सान को पाखंडी (hypocrite) होने से बचना चाहिए क्यों की पाखंडी इन्सान दुसरो का शोषण करता है. सैधांतिक जीवन खुश एवं सफल रहने का मूल मंत्र है.  और मैं इन्हीं सिद्धांतों में विश्वास को बढ़ावा देता हूँ. हमें सबसे पहले खुद में सद्भाव की भावना जागृत करनी होगी तभी हम दूसरों के प्रति सद्भाव की भावना पैदा कर पाएंगे.
उन्होंने कहा की जो लोग बचपन में परिवार और मां की देखरेख में पलते हैं उनमें असुरक्षा की भावना नहीं होती है और वो ज्यादा खुश रहते हैं जबकि दुसरे लोग जो असुरक्षा की भावना से ग्रसित होते हैं वो दुसरो को डराने लगते हैं और घृणा फैलाते हैं. उन्होनें मजाक में कहा की खुश रहने के बावजूद भी मेरी पथरी पिघली नहीं, इसलिए अच स्वास्थ्य सबसे जरुरी है खुश रहने के लिए. स्वस्थ शरीर स्वस्थ परिवार बनाता है और स्वस्थ परिवार से स्वस्थ देश बनता है.
धर्म निरपेक्षता के बारे में बोलते हुए उन्होनें कहा की भारत एक जीता जागता उदहारण है धर्म निरपेक्षता का और सारे धर्मों के लोग खुशी ख़ुशी साथ रह सकते हैं.
बहुत सारे लोग जिनके पास बहुत धन दौलत है, वो भी दुखी रहते हैं, इसलिए खुश रहना और धनि होना दो अलग अलग बातें हैं.

तिब्बत के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा की हालाँकि उन्होंने सक्रिय राजनीती से सन्यास ले लिया है इसलिए वो राजनीतिक मामलों पर नहीं बोलते हैं, पर आजादी को सिर्फ देश को आजाद कराने से जोड़ना संकीर्ण मानसिकता है, हमें संस्कृति को सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए.


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