नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के चांदबाग इलाके में हिंसक भीड़ का शिकार हुए गोकुलपुरी के एसीपी अनुज कुमार आज मीडिया से मुखातिब हुए | उन्होंने मीडिया को बताया है कि उनके साथ उस दिन मौजूद डीसीपी अमित शर्मा भी उन्हीं के सामने घायल हुए थे|
उन्होंने बताया कि इस हिंसा में शहीद हुए हेड कॉन्सटेबल रतन लाल भी उन्हीं के साथ थे | अनुज कुमार ने बताया कि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों में से कुछ सर्विस लेन से रोड पर आ गए , इसके बाद अफवाह फैल गई कि पुलिस की गोलियों से बच्चे मारे गए , इसके बाद वहां हिंसा भड़क गई |
अनुज ने दावा किया कि यह 24 फरवरी की सुबह 11.30 बजे औ 12 बजे के बीच की बात है | उन्होंने बताया की मेरी और रतन लाल समेत अन्य कर्मियों की ड्यूटी चांदबाग मजार से 800 मीटर आगे लगाई गई थी | 23 तारीख को वहां वजीराबाद रोड को जाम किया गया था , जिसे देर रात खुलवाया गया | हमें निर्देश मिला था कि उस रास्ते को खुला रखा जाए |
उन्होंने दावा किया कि हिंसा वाले दिन धीरे-धीरे लोग जमा होने लगे और महिलाएँ आगे थी | वे सभी वजीराबाद रोड के पास आने लगे , हमने उन्हें समझाया फिर भी वे आगे बढ़ते रहे , हमने कोशिश की कि उन्हें सर्विस रोड की ओर से पीछे किया जा सके| हमें आदेश मिले थे कि जो प्रदर्शन हो रहा है वह सर्विस रोड तक ही सीमित रहे |
अनुज ने बताया कि पुलिस की ओर से फायरिंग और फिर उसमें बच्चों के मारे जाने की अफवाह ने के चलते मौके पर भीड़ जमा हो गई | 15-20 मीटर की दूरी थी और फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई |
वहां पहले से काम चल रहा था ऐसे में पत्थर भी बहुत थे , जैसे ही पत्थरबाजी शुरू हो गई लोग हम पर हावी हो गए और हम आंसू गैस का गोला तक नहीं छोड़ पाए | इसी दौरान देखा कि डीसीपी अमित शर्मा घायल हैं , उनके मुंह से खून आ रहा था और वह डिवाइडर पर थे |
अनुज कुमार ने बताया कि उन्हें यमुना विहार की ओर से भागकर अपनी जान बचानी पड़ी | दावा किया कि अगर वह चांदबाग मजार के रास्ते जाते तो आसपास भीड़ उन्हें मार देती | उन्होंने बताया कि रतनलाल घायल हो गए थे और उन्हें अस्पताल लेकर जाया गया लेकिन वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया |