नई दिल्ली :– दिल्ली हिंसा मामले में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता अपूर्वानंद, और डॉक्युमेंट्री फिल्म निर्माता राहुल रॉय का नाम समाने आया है , जिसको लेकर नई राजनीति शुरू हो गई है |
वही इस मामले में दिल्ली पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो गए है | सवाल खड़े होने पर आज दिल्ली पुलिस के अधिकारीयों ने सफाई दी | उन्होंने कहा की दिल्ली पुलिस उन रिपोर्ट्स का खंडन करती है, जिसमें माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव समेत सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाम दिल्ली दंगों के मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट शामिल करने की बात की गई है |
साथ ही दिल्ली पुलिस के अधिकारीयों ने कहा है की सिर्फ बयान पर किसी पर एक्शन नहीं होता है , हम सुबत के आधार पर जाँच करते है | वही दूसरी तरफ माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा की दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन आती है , इसलिए केंद्र सरकार जो कहेगी वो दिल्ली पुलिस करेगी |
केंद्र सरकार तो हमेशा से यह चाहती थी की विपक्ष की आवाज बुलंद न हो , वो विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरते हैं, और सत्ता का दुरुपयोग कर हमें रोकना चाहते हैं | साथ ही उन्होंने कहा की दिल्ली पुलिस उनपर कार्यवाही क्यों नहीं करती , जिन्होंने जहरीले भाषण दिए , उस मामले में अबतक कार्यवाही क्यों नहीं की गई |
वही दूसरी तरफ योगेंद्र यादव ने रिपोर्ट को ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ करार दिया है | उन्होंने कहा कि मैंने नोटिस किया कि पासिंग रेफरेंस में मेरे भाषण का एक वाक्य भी नहीं है. मुझे यह आश्चर्यजनक लगता है कि दिल्ली पुलिस ने मेरे भाषणों की रिकॉर्डिंग देखने की जहमत तक नहीं उठाई जो पब्लिक डोमेन में हैं |
फ़िलहाल इस मामले में दिल्ली पुलिस घिरती नज़र आई , जिसके बाद दिल्ली पुलिस के अधिकारीयों को सफाई देनी पड़ी , साथ ही उन्होंने उन रिपोर्ट्स का खंडन किया , जिसमें माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव समेत सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाम दिल्ली दंगों के मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट शामिल करने की बात की गई है |