एमएलसी शिक्षक चुनाव : शिक्षकों को समान काम-समान वेतन दिलाना होगी पहली प्राथमिकता : डॉ. कुलदीप मलिक

Abhishek Sharma / Baidyanath Halder

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Greater Noida (22/02/2020) : मेरठ-सहारनपुर खंड में एमएलसी शिक्षक व स्नातक चुनावों का समय नजदीक आ गया है। मेरठ-सहारनपुर क्षेत्र की एमएलसी स्नातक व शिक्षक सीटों के लिए अप्रैल 2020 में चुनाव प्रस्तावित है। चुनावों के मद्देनजर प्रत्यासी प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

पिछले चार दशक से ज्यादा समय से मेरठ-सहारनपुर खंड एमएलसी शिक्षक सीट से माध्यमिक शिक्षक संघ के ओमप्रकाश शर्मा चुनाव जीतते आ रहे हैं। उन्हीं के साथ हेम सिंह पुंडीर भी दो दशक से एमएलसी स्नातक सीट से चुने जा रहे हैं। चुनाव नजदीक आने से दावेदारों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। ‘

ज्ञातव्य है कि इस बार एमएलसी शिक्षक सीट पर समाजसेवी व प्रोफेसर डॉ. कुलदीप मलिक ने भी अपनी दावेदारी पेश की है। चुनावों की तारिख नजदीक आते-आते उन्होंने भी कमर कस ली है और लगातार शिक्षकों के साथ संवाद कर रहे हैं।

वहीं टेन न्यूज़ को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इतनी पढ़ाई-लिखाई करने के बाद भी शिक्षकों की जो दुर्दशा हो रही है, उसका दर्द सिर्फ एक शिक्षक ही समझ सकता है। कई जगहों पर शिक्षक मात्र 10 हजार की नौकरी कर रहे हैं। उनका कहना है कि एमएलसी चुनाव जीतकर शिक्षकों को उनका मान-सम्मान, स्वाभिमान और हक़ दिलाना उनकी पहली प्राथमिकता रहेगी।

डॉ कुलदीप मलिक का कहना है कि वे पिछले 10 साल से देश में स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवस्था, जनसंख्या नियंत्रण कानून  और पर्यावरण के मुद्दों को लेकर संघर्षरत हैं। उनका कहना है कि इन मुद्दों को लेकर वे नेताओं के पास गए लेकिन किसी ने एक न सुनी। जिसके बाद उन्होंने ठाना है कि अगर नेता बात नहीं सुनते हैं तो हम खुद नेता बनेंगे और लोगों की इन समस्याओं का समाधान दिलाएंगे।

चुनावी तैयारियों पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले ढाई महीने से दिन रात वे शिक्षकों के साथ संवाद कर रहे हैं। 9 जिलों के शिक्षकों के पास जाकर उनको अपने बारे में जानकारी दे रहे हैं और जिस तरह का समर्थन सभी जिलों के शिक्षकों से उन्हें मिल रहा है। उससे वे पूरी तरह आश्वस्त हैं कि जल्द ही वे एमएलसी चुनाव जीत कर आने वाले हैं।

डॉ कुलदीप मलिक का कहना है कि उनके माता-पिता दोनों शिक्षक थे। वही उनकी धर्मपत्नी भी यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर हैं और वे खुद पिछले 18 सालों से शिक्षक की भूमिका में हैं। तो कहीं ना कहीं मुझे शिक्षकों की मूलभूत जरूरतों का एहसास है। उनका कहना है कि शिक्षकों की पहली जरूरत समान काम – समान वेतन है। जब तक इस देश में शिक्षकों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त नहीं बनाया जाएगा तब तक उनका विकास नहीं हो सकेगा।

उनका कहना है कि वे लगातार शिक्षकों से संवाद कर रहे हैं तो उनकी पीड़ा का और एहसास हुआ। शिक्षक ₹10-10 हजार में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।  देश में नेता भारत को विश्व गुरु बनाने की बात करते हैं लेकिन देश के शिक्षक किस मार से जूझ रहे हैं वह उनको नहीं दिखता है।

बता दें कि निजी कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ कुलदीप मलिक पिछले एक दशक से सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं। जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने को लेकर उनकी सामाजिक संस्था ‘वेदारणा फाउंडेशन’ के जरिए डॉ कुलदीप मलिक लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं।

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