इतने समय से चल रहे कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन को लेकर भाजपा सांसद मुकेश राजपूत ने टेन न्यूज़ से खास बातचीत की । उन्होंने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री ने पहले भी कहा था और वह अभी कह रहे हैं। हमारे दरवाजे खुले हैं और वह हमसे सिर्फ एक कॉल दूरी पर है। वह हमसे कभी भी आकर बातचीत कर सकते हैं। अगर उन्हें लगता है कि कृषि कानून में किसी प्रकार का उनका हित नही है। तो हम उसमें संशोधन कर सकते हैं , लेकिन किसान नेता इस बात को मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं। वह सिर्फ यह कह रहे हैं कि यह कानून वापस लिया जाए।
आगे उन्होंने कहा की इससे पहले किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के पिताजी चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत भी इस तरीके के आंदोलन करते रहे हैं कि हमारे किसानों को मंडी से छुटकारा मिलना चाहिए। क्योंकि किसानों को मंडी से बांध दिया गया था। लेकिन मुझे पता नहीं जब यह बिल पास हुआ था। उस समय राकेश टिकैत और उनके भाई नरेश ने इस बिल का समर्थन किया था , लेकिन बिल पास होने के एक महीने बाद जब पंजाब और हरियाणा के किसानों ने इसका विरोध करना शुरू किया, तो वह भी इसमें शामिल हो गए।
आगे उन्होंने कहा की कुछ किसान गुमराह कर दिए गए हैं। मैं भी किसान हूं और मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा अगर कोई भी किसान यह बोल दे कि इस बिल से मुझको नुकसान है। इसी बिल की मांग किसान यूनियन के लीडर करते रहे। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह इस बिल की मांग करते रहे , लेकिन वह भी यह बिल नहीं ला पाए , उस समय लोग दोहरीकरण की राजनीति करते थे , कहते कुछ और थे करते कुछ और थे , लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे देश के ऐसे प्रधानमंत्री हैं , जिन्होंने साहस दिखाया और यह बिल लेकर आए , इसलिए अगर यह बिल वापस होता है , तो यह हिंदुस्तान के किसानों की सबसे बड़ी हार है।
संसद में हुए हंगामे को लेकर लोकसभा सांसद मुकेश राजपूत ने कहा बीजेपी का विश्वास है कि हमारे देश की लोकसभा चले , लेकिन यह जो विपक्षी पार्टियां सदन नहीं चलने देना चाहती है। वह चाहती हैं की जिस तरीके से उन्होंने किसानों को गुमराह किया है। उस तरीके से वह सदन को भी गुमराह करें। वह देश को भी गुमराह करना चाहते हैं , लेकिन इससे देश गुमराह होने वाला नहीं है।
आगे उन्होंने कहा की अब तक किसी क्षेत्र में चुनाव हुए हैं , उन सभी जगहों पर हमारी पार्टी ने कृषि बिल को लेकर वोट मांगे थे। अगर यह कानून गलत है, तो जनता हमें नहीं जिताती। किसान नेता और ये विपक्षी दल हमारे किसानों को गुमराह करने चाहते है। आगे वे कहते है मैं पूछना चाहता हूँ शरद पवार से वो भी तो कृषि मंत्री रह चुके है , वो यह बिल क्यों लेकर आए? आज वो विरोध कर रहे है तब उन्होंने किसनों के लिए क्या किया था? लेकिन जब ये सब लोग सही चीज़ों को लेकर प्रधानमंत्री पर उंगली उठाते है तो दर्द होता है।