डीएमआईसी प्रोजेक्ट से प्रभावित किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर किया धरना प्रदर्शन

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किसान संघर्ष समिति के बैनर तले फिर दोबारा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ख़िलाफ़ पाली, पल्ला, कठेहरा,बोड़ाकी के किसानों ने प्राधिकरण के दफ्तर पर महापंचायत का आयोजन किया। इस दौरान किसानों ने प्राधिकरण के अधिकारीयों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

डीएमआईसी प्रोजेक्ट से प्रभावित गांवों के किसानों ने पंचायत में कहा कि हम अपनी धरती माता को औने-पौने भाव में नहीं देंगे, नाहीं एक फावडा ज़मीन पर मारने देंगे, चाहे जेल जाना पड़ेगा तो जेल भी जायेंगे।

पंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता सुनील फौजी ने सभी किसानों को नये भूमि अधिग्रहण के सभी नियमों को ताक पर रखने की बात की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि या तो प्राधिकरण होश में आकर नये भूमि अधिग्रहण के हिसाब से सभी गांवों की मांगो को मान ले वरना किसानों की ज़मीन लेने का इरादा बदल ले।

ये हैं किसानों की मांगें 

किसानों ने कहा कि दिल्ली-मुम्बई औधोगिक कोरिडोर परियोजना हेतु अधिग्रहण प्रक्रिया अथवा सीधे बैनामे (रजिस्ट्री) के माध्यम से ज़मीने लिए जाने से प्रभावित सभी किसानों को नये भूमि अधिकरण क़ानून -2013 के सभी लाभ दिए जाये।

प्रभावित किसानों को नये भूमि अधिग्रहण क़ानून-2013 के अनुसार उचित प्रतिकर, धारा-26 के तहत ग्रामीण क्षेत्र मानते हुए बाज़ार दर का चार गुना मुआवज़ा अथवा यदि शहरी क्षेत्र माना जाता है तो जिस दिन से प्रभावित गांवो को ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र घोषित किया गया है, उस समय से गांवो की शहरी दरें, ग्रामीण दरों से लगभग दो गुनी तय करके फिर उसका दो गुना मुआवज़ा दिया जाये।

उन्होंने मांग की, प्रभावित किसानों को 20 प्रतिशत विकासित प्लांट की सुविधा दी जाये। प्रभावित किसानों के प्रत्येक बालिग बच्चे को रोज़गार दिया जाये। डीएमआईसी एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तथा अन्य सभी स्थानीय औद्योगिक इकाइयों में 50 प्रतिशत का आरक्षण सुनिश्चित किया जाये।

सभी किसानो को पुनर्वासन एवं पुनर्वयव्स्थापन की सभी सुविधाए दी जायें। प्रभावित गांवो का विकास नये क़ानून के अन्तर्गत तय किए गये ऊच-मानक़ों के अनुसार किया जाये। किसानों की आबादियों को ज्यों का त्यों छोड़ा जाये, तथा पेड़, नल-कूप, बोरिंग आदि परिसमपतियों का उचित मूल्य नये क़ानून के अनुसार दिया जाये। पंचायत में

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