किसानों को आंदोलन करते हुए पूरा हुआ एक महीना , संगठनों की आज अहम मीटिंग , वार्ता के लिए हो सकते है तैयार

ROHIT SHARMA

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नई दिल्ली :– नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को एक महीने पूरे हो गए हैं। 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर पर जुटे किसान इन कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।

 

इस बीच केंद्र सरकार के साथ बातचीत को लेकर किसान संगठनों की आज अहम मीटिंग हो सकती है। इसमें शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों को दिए गए संबोधन पर भी चर्चा हो सकती है।

 

इससे पहले सरकार की चिट्‌ठी पर किसानों के बीच चर्चा हुई थी। मीटिंग में कुछ किसानों ने मामले का हल निकालने के लिए सरकार से बातचीत फिर से शुरू करने के संकेत दिए। किसान संगठनों के मुताबिक, वे आज फिर से मीटिंग करेंगे, जिसमें केंद्र सरकार के बातचीत के न्यौते पर फैसला लिया जा सकता है।

 

आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में हजारों किसान और कार्यकर्ता आज राजस्थान से दिल्ली कूच करेंगे। इसके लिए राजस्थान के विभिन्न जिलों से आ रहे किसान जयपुर जिले में दिल्ली हाइवे पर कोटपूतली में एकत्रित होंगे। यहां से सभी बेनीवाल के साथ शाहजहांपुर बॉर्डर की ओर रवाना होंगे। फिलहाल यहां अतिरिक्त पुलिस फोर्स लगा दी गई है।

 

हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों से किसानों का दिल्ली पहुंचने का सिलसिला जारी है। 26 दिसंबर को पंजाब के खनौरी से और 27 दिसंबर को हरियाणा के डबवाली से 15-15 हजार किसान दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

 

आपको बता दें कि सरकार ने गुरुवार को एक और चिट्ठी लिखकर किसानों से बातचीत के लिए दिन और समय तय करने की अपील की थी। चिट्ठी में कहा गया था कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सरकार गंभीर है। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि मिनिमम सपोर्ट प्राइज से जुड़ी कोई भी नई मांग जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है, उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा।

 

इससे पहले सरकार ने 20 दिसंबर को भी किसान नेताओं को खत लिखकर बातचीत का समय तय करने को कहा था, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया था।

 

हरियाणा में किसानों ने शुक्रवार से टोल फ्री कर दिए। यह सिलसिला कल तक जारी रहेगा। उधर, भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) ने कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। भाकियू (भानु) गुट पहले ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ हो सकती है।

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