ग्रैड्स इंटर्नैशनल स्कूल में अंतर विद्यालय संस्कृत श्लोक स्पर्धा – के के गुप्त, एसीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने किया शुभारम्भ

Abhishek Sharma / Rahul Kumar Jha

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर ईटा 2 स्थित ग्रैड्स इंटरनेशनल स्कूल में आज पर्यावरण का महत्व व उसके प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाने के लिए अंतर विद्यालय संस्कृत श्लोक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ| जिला प्रशासन की इस पहल में ग्रैड्स इंटरनेशनलस्कूल ने अपनी हिस्सेदारी दर्ज कराते हुए कार्यक्रम का आयोजन स्कूल परिसर में कराया।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ तथा संस्कृत भाषा के अनुरागी के.के. गुप्ता, परीचौक डॉट कॉम के संस्थापक गजानन माली विशिष्ट अथिथि रहे । कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित के साथ हुई। स्कूल की प्रधानाचार्य अदिति बासु रॉय ने मोमेंटो व पौधा भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। प्रतियोगिता में जिले के अलग-अलग स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में ग्रेटर नोएडा वर्ल्ड स्कूल की अध्यापिकाओं रीना शर्मा और अनीता चौधरी, दूरदर्शन पर संस्कृत नूक पाठक व शिव नादर स्कूल नोएडा के मुकुल द्विवेदी ,संस्कृत विद्वान हरप्रीत कौर ,सेवानिवृत्त अध्यापिका किरण बाला मलिक, सावित्री बाई फुले बालिका इंटर कॉलेज की नीतू सिंह निर्णायक के रूप में मौजूद रहे। पर्यावरण के महत्व को दर्शाने के लिए बच्चों ने पानी की बचत, अपने आसपास पौधे लगाने सहित कई अन्य तरीकों से अपने विचार संस्कृत में व्यक्त किए। कक्षा 5 से कक्षा 8 तक के बच्चों के बीच आयोजित इस प्रतियोगिता में पर्यावरण के महत्व और संरक्षण की रूपरेखा भी तैयार की गई।

इस मौके पर मुख्य अतिथि एसीईओ के. के. गुप्ता ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें और अन्य लोगों को भी इसके उपाय बता कर जागरूक करें। उन्होंने अपने ज्ञान के माध्यम से प्रतिभाग  कर रहे बच्चों मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि संस्कृत ज्ञान की भाषा है। संस्कृत हमारी संस्कृति है, जिसे हमें भूलना नहीं चाहिए।

यह भाषा लोगों को ज्ञान से वाकिफ कराती है। उन्होंने छात्रों से कहा कि यही समय है , जहाँ से उनकी जड़ें मजबूत होंगी। बच्चों का मनोबल बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को भी अपने आसपास मुहिमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने बच्चों को स्वच्छता अभियान, जल संरक्षण, सिंगल यूज प्लास्टिक बैन को लेकर छात्रों को जागरूक किया। हमारे आसपास इस मौसम में प्रदुषण का स्तर बढ़ जाता है। हर इंसान अपनी गाड़ी से चलता है जिसके कारण प्रदुषण बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि आने वाले कुछ वर्षों में सड़क पर इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही दिखाई देंगी। तो इसके प्रति बच्चों को भी जागरूक होना जरूरी है।

वहीं परीचौक डॉट कॉम के संस्थापक गजानन माली ने इस प्रतियोगिता आयोजन के लिए स्कूल कि भरपूर प्रशंसा की। मुख्य अतिथियों के सामने  विद्यार्थियों ने  पर्यावरण से संबंधित नुक्कड़ नाटक और संगीत भी  प्रस्तुत किए। विद्यार्थियों के अभिनय ने लोगों की खूब तालियां बटोरी।

स्कूल की प्रधानाचार्या अदिति बासु रॉय ने मुख्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया और शांति पाठ किया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथियों डॉ तान्या गुप्ता, प्रतिभा गर्ग, मंजू क़ौल रैना तथा एड्वोकेट सिस्टर ट्रेसा को सम्मानित किया गया।
वहीं इस मौके पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ कृष्ण कुमार गुप्त ने टेन न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि बेहद प्रसन्नता हो रही है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में ऐसी संस्थाएं हैं , जो हमारी देव संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। वे संस्कृत को लेकर इतने सजग हैं। संस्कृत ने न जाने कितनी भाषाओं को जन्म दिया है। आज हम जो भी भाषा बोलते हैं , वह कहीं न कहीं संस्कृत से निकल कर आई है।

आज उसी भाषा को लेकर यहां पर प्रतियोगी कार्यक्रम आयोजित कराया गया है। 18 विद्यालयों के बच्चे यहां पर आए हैं , उनकी प्रिंसिपल और अध्यापक भी यहां पर पहुंची हैं।  उन्होंने कहा कि ऐसी संस्थाएं हैं जो हमारी संस्कृति को आगे बढ़ा रही हैं। तो अथॉरिटी , राज्य सरकार , भारत सरकार के जरिए इन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। प्राधिकरण या सरकार की जो भी मुहिम चल रही हैं उन पर यह संस्थाएं काम कर रही हैं और अपना सहयोग दे रही हैं। चाहे वो स्वच्छ भारत अभियान, सिंगल यूज प्लास्टिक बैन हो या पानी का संरक्षण समेत कई अन्य ऐसी मुहिम चल रही है जिन पर स्कूलों का साथ मिल रहा है।

बच्चों के जरिए भी संदेश जिए जा सकते हैं जैसे कि आज यहां पर बच्चों ने संस्कृत के जरिए प्लास्टिक को त्यागने का संदेश दिया हैं। देश में कहीं भी गंदगी ना हो पाए, जैसे विदेशों में लोग स्वच्छता के प्रति सजग हैं और कचरे को डस्टबिन में डालते हैं तो उसी प्रकार से यहां के निवासियों को भी सजग रहना पड़ेगा।  अपने आसपास स्वच्छता बनाकर रखनी होगी। यह शुरुआत अगर हम अपने बच्चों से ही करें तो समाज में बदलाव आएगा।

उन्होंने कहा कि भारत एक महान देश है और यहां पर विभिन्न संस्कृतियों को मानने वाले लोग रहते हैं। यहां अलग-अलग क्षेत्र में यहां पर अलग-अलग भाषा बोली जाती है। देश में बोली जाने वाली अधिकतम भाषाएं संस्कृत से मिलकर बनी है।  उन्होंने कहा कि अब तो शासन की तरफ से भी आदेश संस्कृत में जारी होने लगे हैं। तो निश्चित ही यह समय अब संस्कृत को बढ़ावा देने का है इसके लिए हर स्तर पर काम चल भी रहा है।


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