६८वे स्वाधीनता दिवस के अवसर पर प्रधान मंत्री मोदी का भाषण – परिवर्तन का अहसास : श्रवण कुमार शर्मा

लाल किले की प्राचीर से नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए जब स्वयं को देश का प्रधान सेवक कहा तो उन्होंने देश के १२५ करोड लोगो के दिलो को छू लिया .६५ मिनट का उनका यह भाषण एक लिखित औपचारिक भाषण नहीं था,ऐसा लग रहां था जैसे शब्दों का यह प्रवाह उनके दिल से निःसृत हो रहा हो..जोधपुरी साफा पहने हुए सेनाओ की परेड की सलामी लेते हुए प्रधान मंत्री न केवल स्वयं भव्य लग रहे थे अपितु अपने आस पास आत्म विश्वास बिखेर रहे थे .यह वातावरण गत वर्ष से एकदम उल्टा था ,जब एक निःशक्त और बेचारा प्रधान मंत्री बुलेट प्रूफ कक्ष से एक लिखित भाषण पढ़ कर अपनी भार सी लगती जुम्मेदारी को पूरा कर रहा था और वातावरण में एक उदासी और बोरियत सी छाई हुई थी .नरेन्द्र मोदी के भाषण की पृष्ठ भूमि में मौजूद था,देश के समक्ष आर्थिक संकट की चुनौती ,पिछली सरकार के misgovernance की विरासत और लोगो की गगन चुम्बी आशाएं .प्रधान मंत्री ने लोगो से उनकी ही भाषा में ख़ूब बातें की और उन्हें अपने सपनो और दस वर्षीय कार्य योजना का साथी बना लिया .उन्होंने देश को ग्लोबल पावर बनाने के मिशन में युवा शक्ति को शामिल करने की बात की और COME MAKE IN INDIA का नारा देकर भारत के कमजोर मेनुफेक्चरिंग सेक्टर को प्रोत्साहित किया. उनका नया घोष है ZERO DEFECT AND NO EFFECT ON POLLUTION.प्रधान मंत्री नेजन धन योजना और प्रधान मंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा कर ग्रामीण भारत के विकास के अपने वादे की दिशा में पहल की .स्वच्छ भारत निश्चय ही उनका प्रिय संकल्प है .उन्हाने भारतीय महिलाओं की स्थितिऔर इससे जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की ,उन्होंने योजना आयोग को समाप्त कर एक नया THINK TANK बनाये जाने की भी घोषणा की .योजना आयोग निष्क्रिय नौकरशाहों और अर्थ शास्त्रियों का शरणगाह बन गया था और योजनाओं को देरी से लागू होने देने में ही इसकी मुख्य भूमिका रह गयी थी . फिर भी कुछ आलोचक जुगलबंदी करते रहे , शायद धन्धे की मजबूरी

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