देश की बिगड़ती वायु गुणवत्ता का लेकर ग्रेटर नोएडा के शिक्षक और छात्रों ने दी अपनी राय
Abhishek Sharma
Greater Noida (07/0319) : दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे प्रदूषित शहरों में नोएडा छठे नंबर पर है। ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया की ओर से किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। वायु प्रदूषण के मामले में सबसे खराब हालत वाले शुरुआत के 6 शहरों में नोएडा के अलावा एनसीआर के गुड़गांव, गाजियाबाद और फरीदाबाद का नाम शामिल है। यह रिपोर्ट बताती है कि ‘क्लीन नोएडा-ग्रीन नोएडा’ का नारा हकीकत बनने से अभी काफी दूर है।
ग्रीनपीस ने शहरों में वायु प्रदूषण की निगरानी करने के लिए लगे स्टेशनों से मिले डेटा का तुलनात्मक अध्ययन कर यह रिपोर्ट तैयार की गई। इसके लिए पूरे साल का डेटा जुटाया गया। इसमें ये बात सामने आई कि मानकों के हिसाब से एनसीआर में पूरे साल वायु प्रदूषण का स्तर खराब ही बना रहता है। दिल्ली-एनसीआर की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंचते ही तमाम महकमे सक्रिय हो जाते हैं। उससे पहले किसी को नियमों की परवाह नहीं होती।
एनसीआर में बढ़ रहे इस खतरनाक प्रदर्शन को किस तरह से नियंत्रित किया जाए या इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं, इसको लेकर टेन न्यूज़ ने ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित आईटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों और शिक्षक व पर्यावरण प्रेमी कुलदीप मालिक से खास बातचीत की।
कुलदीप मालिक ने कहा कि खतरनाक होती जा रही हवा वायु प्रदूषण को रोकने की दिशा में अभी से सख्ती से काम नहीं किया गया तो आने वाले 5 साल में एनसीआर की हवा सांस लेने लायक नहीं रह जाएगी। शहर की हवा में प्रदूषण बढ़ाने के लिए यहां पर हो रहे निर्माण कार्य, बढ़ते वाहनों की संख्या, खुले पड़े मैदान, क्रशर प्लांट ज्यादा जिम्मेदार हैं। एनजीटी ने शहर में होने वाले सभी निर्माण कार्यों को कवर करके उसे किए जाने के निर्देश दिए हैं मगर यहां इनका कोई पालन नहीं होता है। सिर्फ दिखावे के लिए ग्रीनमेट लगा दी जाती है। बाकी सारी चीजें खुली रह जाती हैं। बिल्डिंग मटीरियल के भी ढेर लगे रहते हैं। ये चीजें लगभग सभी निर्माण वाली जगहों पर देखी जा सकती है।
वहीं छात्रों ने कहा कि डूब एरिया में चोरी छिपे कई क्रशर प्लांट चलाए जा रहे हैं। इनसे भी बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण फैलता है। डूब एरिया में इन पर रोजाना निगरानी नहीं हो पाती। इस वजह से ये चोरी छिपे काम करते रहते हैं। शहर में लगातार वाहनों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। सड़क पर लगातार वाहन रहने से धूल के महीन कणों की मात्रा कम नहीं होने पाती है। ये कण इतने महीन होते हैं कि आंखों से दिखाई नहीं देते। सांस लेने पर ये शरीर के अंदर चले जाते हैं और फेफड़ों का नुकसान पहुंचाते हैं।
उन्होंने बताया कि आईटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज कई छात्र और शिक्षक साथ मिलकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली में हरियाली के लिए पौधे लगाते हैं, इनमे नीम, पीपल अशोक समेत कई किस्म के पौधे वो जगह-जगह लगाते हैं। जो लगातार हमारे आसपास शुद्ध वायु पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जनसँख्या लगातार बढ़ती जा रही, जिसके चलते हमारे आसपास कई प्रकार की समस्याएं आ रही हैं। उन्होंने बताया कि ग्रेटर नोएडा के छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर 21 दिन का वृक्षारोपण का अभियान चलाया था। इस दौरान सभी ने मिलकर पूरे ग्रेटर नोएडा में पंचवटी वृक्ष लगाए जिससे की वायु का शुद्धिकरण हो सके।
शिक्षक व पर्यावरण प्रेमी कुलदीप मालिक ने बताया कि ग्रेटर नोएडा के शिक्षक और छात्र मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। नॉलेज पार्क में उन्होंने मिलकर कई प्रकार के वृक्ष लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा में बड़ी संख्या में शिक्षक कॉलेज आने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते हैं। उन शिक्षकों से प्रेरणा लेकर उन्होंने कॉलेज साइकिल से आना जाना शुरू कर दिया। जिसके बाद से छात्र और शिक्षक बड़ी संख्या में साइकिल का इस्तेमाल कर रहे है। इससे समाज में प्रदुषण नियंत्रण के लिए एक अच्छा सन्देश जा सकता है।
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