शोभित विश्वविद्यालय द्वारा कोविड-19 के हमारे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव विषय पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता भारत के जल पुरुष कहे जाने वाले मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित श्री डॉ राजेंद्र सिंह जी रहे। वेबीनार की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र जी द्वारा की गई। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं के रूप में शोभित विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रो अमर गर्ग, शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो डी के कौशिक, प्रतिकुलपति प्रो रणजीत सिंह, नॉर्थ कैरोलिना यूएसए से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रजत पंवार मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
वेबीनार के मुख्य वक्ता में बोलते हुए डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा कि बहुत कम लोग कोविड-19 के हमारे पर्यावरण पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव व इसमें छुपे प्रकृति के संदेश के बारे में सोचते हैं। शोभित विश्वविद्यालय की यह पहल काबिले तारीफ है। हमें सबसे पहले कोविड-19 को समझना जरूरी है। जिस देश ने इस वायरस को इजाद किया है और इस हथियार के जरिए वह बाकी सभी देशों का शिकार करना चाहता था। प्रकृति ने सबसे पहले उसे ही उसका शिकार बना दिया।
उन्होंने कहा प्रकृति में बहुत ताकत है। अगर आप प्रकृति को प्यार नहीं करोगे तो प्रकृति के अंदर गुस्सा पैदा होगा और उसका भयानक रूप आपको कई बार देखने को मिलेगा। इसलिए हमें हर परिस्थिति को गहराई से समझने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भगवान क्या है।
भ से भूमि
ग से गगन
व से वायु
आ से अग्नि
न से नीर
इन पांचों तत्वों में ही भगवान व्याप्त है। सनातन में ही भारतीय आस्था और पर्यावरण की रक्षा छुपी हुई है। कोविड-19 हमें सीख देता है – प्रकृति में वही रह पाएगा जो प्रकृति के अनुकूल रहेगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जो भारत कभी प्रकृति का विश्व गुरु हुआ करता था दुनिया को सिखाने वाला था। आज वह दूसरों से सीख रहा है। पहले हमारे बड़े हमें बहुत कुछ सिखाते थे लेकिन आजकल बच्चे अपने दादा दादी के साथ नहीं रहते। जिस कारण वह उन बातों को सीख नहीं पाए हैं जैसे पानी का सम्मान, पानी का सदुपयोग इत्यादि।
अगर हमारा प्रकृति के साथ रिश्ता टूट जाएगा तो इस तरह की महामारी और वायरस दोबारा आएगा। आजादी के बाद से हमारे देश में बाढ़ का प्रकोप 10% से ज्यादा बढ़ गया है और जिसका मुख्य कारण प्रकृति की अनदेखी करना है। हमारे लालच की वजह से यह सब कुछ होता है। यदि हम इस देश के भविष्य को अच्छा देखना चाहते हैं तो हमें नेचुरल रूरल इकोनामी ऑफ इंडिया को मजबूत करना होगा।
अंत में उन्होंने कहा कि अगर हमें अपने गांव को स्वावलंबी बनाना है तो हमें गांव का पानी, गांव की जवानी और गांव की किसानी को ठीक करना होगा। क्योंकि हमारे प्रकृति के अंदर लोगों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है किंतु लोगों के लालच को पूरा करने की क्षमता प्रकृति के अंदर नहीं हैं ।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि जो भी व्यक्ति समाज के लिए चिंता करता है वह समाज का सन्यासी हो जाता है श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने डॉ राजेंद्र सिंह जी के सुझाव को मानते हुए शोभित विश्वविद्यालय गंगोह मैं प्रकृति के पोषण के लिए अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की घोषणा की जिसके मानद अध्यक्ष जल पुरुष श्री डॉ राजेंद्र सिंह जी होंगे।
वेबीनार में उपस्थित शोभित विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रो ए पी गर्ग ने कहा कि आज समय है राइट ऑफ नेचर की बात करने का जिसके अंदर स्वस्थ वायु, स्वच्छ जल एवं स्वस्थ मिट्टी प्रमुख है ।
प्रतिकुलपति प्रोफेसर रंजीत सिंह ने डॉ राजेंद्र सिंह से पूछा कि एक विश्वविद्यालय के रूप में हम ऐसा क्या करें जिससे हम अपनी प्रकृति को बेहतर कर सकें । जिसका जवाब देते हुए डॉ सिंह ने बताया कि आज भारत के अंदर कोई भी विश्वविद्यालय प्रकृति के पोषण के ऊपर किसी भी तरह का डिप्लोमा डिग्री या कोई भी कोर्स नहीं कराते हैं । जिस कारण इस क्षेत्र में ज्यादा जागरूकता नहीं है । अगर हमें अपने गांव की जवानी, गांव की किसानी और गांव के पानी को बेहतर करना है तो हमें इस तरह के पाठ्यक्रम चलाने होंगे ।
प्रो डॉ रजत पंवार ने यमुना नदी के विलुप्त होते अस्तित्व पर चिंता जाहिर करते हुए उसके रिजूवनेशन पर चर्चा की । शोभित विश्वविद्यालय गंगोह के कुलपति प्रो डी के कौशिक ने बताया कि कोविड-19 के चलते दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर घटा है लेकिन अब इस स्तर को कैसे मेंटेन किया जाए इस पर उन्होंने अपनी चिंता जाहिर करते हुए अपने विचार व्यक्त किए।
वेबीनार को मॉडरेटर का कार्य डॉ एस के गुप्ता जी द्वारा किया गया। वेबीनार में सैकड़ों छात्र छात्राएं, शिक्षक, पर्यावरणविद ऑनलाइन जैसे फेसबुक, यूट्यूब के माध्यम से लाइव वेबीनार से जुड़े रहे।
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