भट्टा परसौल के किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लेने के लिए जेवर विधायक ने मुख्यमंत्री से की मुलाक़ात

ABHISHEK SHARMA

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Greater Noida (26/10/19) : भट्टा पारसौल के किसानों पर दर्ज मुकदमे जल्दी वापस लिए जाएंगे। जेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके मुकदमों को वापस लेने की मांग की। मुख्यमंत्री ने विधायक को आश्वासन दिया है कि जल्दी सारे मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे।



7 मई 2011 को भट्टा पारसौल में किसानों और पुलिस के बीच गोलीबारी हुई थी। जिसमें दो पुलिस कर्मी और दो किसानों की मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने किसानों के खिलाफ 22 मुकदमे दर्ज किए थे। जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण, सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने, बलवा, आगजनी, तोड़फोड़ सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, निषेधाज्ञा का उल्लंघन, सरकारी अधिकारियों पर हमला करने, गैंगस्टर और 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के तहत यह मुकदमे दर्ज हैं।

यह सारे मुकदमे प्रदेश में मायावती सरकार के कार्याकाल में दर्ज किए गए थे। इसके बाद प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी। अखिलेश यादव ने सरकार ने 17 मुकदमे वापस ले लिए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल को गोली मारने, एसएसपी सूर्य नारायण सिंह पर कातिलाना हमला करने, पीएसी की कंपनी पर हमला करके असलहा लूटने और दो पुलिस कर्मियों की हत्या करने के आरोपों में दर्ज मुकदमों को वापस नहीं लिया जा सका है।
दरअसल, शासन ने जब भी इन मुकदमों को वापस लेने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस से रिपोर्ट मांगी, हर बार प्रशासन और पुलिस ने मुकदमों को वापस  लेना कानून-व्यवस्था के अहित में माना। इस कारण अब तक यह मुकदमे वापस नहीं हो सके हैं। पिछले सप्ताह ग्रेटर नोएडा जिला न्यायालय ने आरोपी किसानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट और कुर्की आदेश जारी किए हैं। दरअसल, लंबे अरसे से किसान मुकदमों की तारीख पर अदालतों में पेश नहीं हो रहे हैं। वारंट जारी होने के बाद से भट्टा, पारसौल, आछेपुर और मुतैना गांवों से किसान फरार हो गए हैं।
जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने कहा, मैंने इन मुकदमों को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सिफारिश की है। निवेदन किया है कि यह राजनीतिक मुकदमे हैं। तत्कालीन बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने किसानों पर अत्याचार किए थे। किसानों से कोड़ियों के भाव में जमीन छीनकर बिल्डरों को दी जा रही थी। किसानों ने वाजिब मुआवजा मांगा था। सरकार ने किसानों की बात सुनने की बजाय दमन का रास्ता अपनाया था। जिसके कारण किसान और पुलिस के बीच टकराव हुआ। उस मामले में तत्कालीन प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की भूमिका भी नकारात्मक रही थी।
धीरेंद्र सिंह ने कहा, किसान इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच करवाना चाहते थे लेकिन बसपा सरकार ने खुद को फंसता देखकर सीबीआई जांच नहीं करवाई थी। विधायक ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण पर जल्दी और सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। सीएम ने यूपी के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह और न्याय विभाग के प्रमुख सचिव से बात की है।
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