जमील मज़हरी का एक शेर है कि,
“जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर
ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की”
वर्तमान परिवेश में एक ऐसा ही चराग़ जलाने का कार्य कर रहे हैं ग़ाज़ियाबाद के इकला में रहने वाले,”मोहित नागर” आपको बता दें कि मोहित पिछले सात वर्षो से गाजियाबाद जिले के औधोगिक क्षेत्र(यादव नगर), की झुग्गी – झोपड़ियों में रहने वाले गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए नि:स्वार्थ भाव से कार्य कर रहे हैं, मोहित ने कोरोना काल में भी सिलसिलेवार ढंग से इन बच्चों के लिए पूरी सुरक्षा और सावधानी के साथ कक्षाएं जारी रखीं, वो इन गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा कोचिंग के माध्यम से दे रहे हैं, साथ ही मोहित ने 4 महीनों तक लाॅकडाउन में मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चो को भी निःशुल्क शिक्षा दी है।
मोहित झुग्गी में रहने वाले बच्चों की काॅपी ,किताबों, कपडों आदि का खर्चा स्वयं अकेले दे रहे हैं, मोहित ने TEN NEWS को बताया कि वो किसी से कोई सरकारी या गैर सरकारी सहयोग नही लेते हैं, ना ही उनका कोई एनजीओ है और ना ही कोई टीम है, यह सेवा कार्य वह अपने व्यक्तिगत खर्चे कम करके कर रहे हैं। आपको बता दें कि इन प्रयासों के लिए उन्हें अब तक, उत्कृष्टता अवार्ड,यूथ फोर सोशल डवल्पमेट अवार्ड, यूथ आईकन अवार्ड,काल्कि गौरव सम्मान आदि से अलंकृत किया जा चुका है।
मोहित ने बताया कि वो काॅलेज के दिनों से ही समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं उन्होने कहा कि जब वो काॅलेज मे थे तो उन्हें अक्सर यही देखने को मिलता था कि गरीब किसानों के बच्चे समय पर फीस नहीं भर पाते थे जिसके कारण काॅलेज उन पर फाइन लगा देता था यह देखकर उन्होंने काॅलेज प्रशासन को पत्र लिखे और पत्र पर प्रतिक्रिया ना मिलने पर उन्होंने काॅलेज के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते हुए आर्धिक रूप से कमज़ोर साथियों की फीस कम कराई।
वर्तमान में मोहित एक प्राथमिक विद्यालय चलाते हैं जिसमें वो वहां पढ़ने वाले बच्चों से कम से कम फीस लेने का प्रयास करते हैं, साथ ही अपने गाँव तधा झुग्गी के बच्चों के लिए फ्री कोचिंग क्लास चलाते हैं, मोहित का मानना है कि “शिक्षा ही सर्वोच्च है।” इसीलिए वो एक पूर्ण रूप से निःशुल्क विद्यालय शुरू करने के निरंतर प्रयास में हैं।
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