नई शिक्षा नीति बदलेगी भारत की दिशा व दशा

डॉ संध्या तरार, प्रोफेसर, कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय

भारत सरकार द्वारा जो शिक्षा नीति से सम्बंधित यह नया फ्रेमवर्क लाया गया है, वह शिक्षा के क्षेत्र में आने वाला अब तक का सबसे क्रांतिकारी परिवर्तन होगा। आज ऐसा प्रतीत हो रहा कि भारत गुलामी से सच में आज़ाद हो गया है। भारतीयों की शिक्षा भारतीय मूल्यों व संस्कृति के हिसाब से होगा। नई शिक्षा नीति में जिस तरह प्रयोगात्मक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया गया है उससे बच्चों की जो रचनात्मकता इतने लंबे समय से वर्तमान शिक्षा प्रणाली द्वारा कुचली जा रही थी, वह अब नही होगा। छात्रों को किताबों के बोझ तले दबाकर नही वरन उनमें नमोउन्मेष करने की इच्छा को जाग्रत करने से ही प्रत्येक छात्र राष्ट्र की उन्नति में भागीदारी कर सकेगा। इसके अतिरिक्त विदेशी भाषा में शिक्षा ग्रहण करने का जो अनावश्यक भार भारतीय बच्चों पर लगातार थोपा जा रहा था, उससे भी छात्रों को मुक्ति मिलेगी, और वे अपनी क्षेत्रीय व मातृ भाषा में शिक्षा ले पायेंगे। विदेशी भाषा की बाध्यता को खत्म करके भारतीय बचपन को हीन भावना से निकालकर रचनात्मक व नवीन प्रयोगात्मक शिक्षा की तरफ मोड़ने का केंद्र सरकार का यह प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत की दिशा व दशा दोनों को बदलने का काम भलीभाँति करेगा।


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