हाइपरटेंशन बढा़ता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

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NOIDA ROHIT SHARMA

अनेक बीमारियांं का वाहक माना जाने वाला उच्च रक्तचाप अथवा हाइपरटेंशन के कारण ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार सिस्टोलिक और डिस्टोलिक-दोनों तरह के उच्च रक्त चाप ब्रेन स्ट्रोक पैदा करते हैं और जितना अधिक उच्च रक्तचाप बना रहेगा उतना ही अधिक ब्रेन स्ट्रोक होने की आशंका रहेगी।
नौएडा स्थित फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरो एवं स्पाइन सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता ने 17 मई को मनाए जाने वाले विष्व हाइपरटेंंशन दिवस की पूर्व संध्या पर आज यहां कहा कि अनेक वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि हाइपरटेंशन के कारण ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा दोगुना हो जाता है। सिस्टोलिक रक्त चाप में हर 10 एमएम हीमोग्राम बढ़ने से इस्कीमिक स्ट्रोक का खतरा करीब 28 प्रतिशत तथा हैमेरेजिक स्ट्रोक का खतरा करीब 38 प्रतिशत बढ़ता है। हालांकि अच्छी बात यह है कि अगर आप उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण रखते हैं तो आपको स्ट्रोक होने का खतरा घट जाता है। अगर आप अपना सिस्टोलिक रक्त चाप 10 एमएम हीमोग्राम से घटा लेते हैं तो आप स्ट्रोक होने का खतरा 44 प्रतिशत तक घटा लेते हैं।
डॉ. राहुल गुप्ता की सलाह है कि ब्रेन अटैक से बचने के लिये रक्त चाप पर नियंत्रण रखना चाहिए, मोटापा, धूम्रपान और शराब सेवन से बचना चाहिय। बेहतर तो यही है कि 40 साल से अधिक उम्र के लोग नियमित तौर पर अपने रक्त चाप की जांच करायें। क्योंकि रक्त चाप नियंत्रित रहने से ब्रेन अटैक की आशंका कम रहती है। मधुमेह, उच्च रक्त चाप, अधिक कालेस्ट्रोल और ब्रेन स्ट्रोक आनुवांशिक कारणों से भी होते हैं इसलिये जिन परिवारों में इन रोगों का इतिहास रहा हो उस परिवार के सदस्यों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है।
अगर उच्च रक्त चाप के साथ-साथ तनाव भी हो तो स्ट्रोक का खतरा और अधिक बढ़ जाता हैं। ‘‘स्ट्रोक का एक अन्य कारण भावनात्मक तनाव है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या है और उसे काफी अधिक तनाव है तो उसका रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ेगा और मस्तिष्क की धमनी रक्तचाप में अधिक वृद्धि का सामना नहीं कर पाएगी और वह या तो फट जाएगी या मस्तिष्क की धमनी में रुकावट पैदा होगी।’’
उच्च रक्त चाप से रक्त नलिकाओं को भी नुकसान पहुंचता है और इसलिए इसके कारण वैस्कुलर डिमेंशिया होने का खतरा होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि उच्च रक्त चाप के कारण विवेक अथवा संज्ञान (कॉगनिटिव) क्षमता में कमी, वैस्कुलर डिमेंशिया एवं यहां तक कि अल्जाइमर रोग भी हो सकता है।
आज के समय में युवाओं में तनाव, प्रतिस्पर्धा की भावना और डिप्रेशन की समस्या बढ़ रही है और इसके कारण भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है। लंबे समय तक कायम रहने वाला तनाव तथा नकारात्मक भावनायें व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक कारक हैं। मरीजों तथा स्वास्थ्य कर्मियों को लंबे समय के तनाव तथा नकारात्मक भावनाओं से अवगत होना चाहिये क्योंकि ये स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
मधुमेह की तरह हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप अनेक गंभीर बीमारियों की जननी है। खामोश हत्यारे के रूप में कुख्यात उच्च रक्त चाप गुर्दे, हृदय, रक्त धमनियों और यहां तक कि मस्तिष्क को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। बिगडती जीवनशैली, बेतरतीब खानपान, धू्रमपान और शराब के सेवन तथा काम-काज के बढ़ते दवाब की वजह से पिछले कुछ समय में हाइपरटेंशन का प्रकोप तेजी से बढ़ा है।
एक अनुमान के अनुसार हर पांचवा व्यक्ति उच्च रक्त चाप से ग्रस्त है। भारत में लगभग 14 करोड़ लोग इसके शिकार हैं। यह आंकड़ा दुनिया भर में हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या का 15 फीसदी है। मस्तिष्क, गुर्दे एवं हृदय की बीमारियों के जनक माने जाने वाले उच्च रक्त दाब को खामोश हत्यारा कहा गया है क्योंकि ज्यादातर मामलों में यह कोई लक्षण प्रकट किये बगैर ही गुर्दे, हृदय और रक्त धमनियों को क्षतिग्रस्त करता रहता है। कई मामलों में इसका पता तब चलता है जब दिल का दौरा पड़ जाता है या गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं।
उच्च रक्त दाब रक्त की धमनियों पर पड़ने वाले रक्त के दवाब को कहा जाता है। जब रक्त धमनियों से रक्त का बहाव होता है तो इन धमनियों की दीवारों पर रक्त का दवाब पड़ता है। जब दवाब अधिक होता है तो उच्च रक्त दाब (हाई ब्लड प्रेशर) तथा जब दवाब कम होता है तो निम्न रक्त दाब (लो ब्लड प्रेशर) कहा जाता है। उच्च रक्त दाब की स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है। इनमें एक कारण धमनियों में सिकुड़न या संकरापन आ जाना है। उच्च रक्त दाब का एक प्रमुख कारण गुर्दे में खराबी आ जाना है।
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