*एक्वा लाइन मेट्रो की कनेक्टिविटी से लोग परेशान, सेक्टर-51 और 52 मेट्रो स्टेशन के बीच फुटओवर ब्रिज बनाने की मांग*

Abhishek Sharma

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नोएडा मेट्रो के स्टेशन सेक्टर 51 और दिल्ली मेट्रो के सेक्टर 52 स्टेशन को जोड़ने वाले मार्ग पर रात के समय पर्याप्त रोशनी की कमी और उसपर निर्माणधीन सड़क पर ई-रिक्शों के बीच से निकल कर जाना महिलाओं के लिए बहुत मुश्किल होता है।केवल महिलाओं के लिए ही नही बल्कि बुजुर्गों सहित कई अन्य यात्रियों ने भी दोनों मेट्रो लाइनों के बीच की इस खराब कनेक्टिविटी को लेकर चिंता व्यक्त की है।
अभी यात्रियों को नोएडा मेट्रो की एक्वा लाइन पर बने सेक्टर 51 स्टेशन से दिल्ली मेट्रो ब्लू लाइन पर बने सेक्टर 52 स्टेशन तक जाने के लिए 300 मीटर चलना पड़ता है। इन दोनों मेट्रो स्टेशनों के बीच 15 फुट चौड़ी सीमेंट की सड़क बननी है।रोजाना करीब 4,000 यात्री एक्वा लाइन के सेक्टर 51 स्टेशन से मेट्रो पकड़ते हैं। दिल्ली मेट्रो के सेक्टर 52 स्टेशन पर से भी बड़ी संख्या में लोग मेट्रो में सवार होते हैं। इन दो मेट्रो का उपयोग करने वाले यात्री सहज कनेक्टिविटी न होने से परेशान होते हैं।



नोएडा के निवासी लक्ष्मीकांत का कहना है कि सेक्टर 51 स्टेशन से उतर कर सेक्टर 52 स्टेशन की ओर जाने के लिए इस निर्माणाधीन सड़क पर चलना काफी जोखिम भरा है। इस संकीर्ण सड़क का इस्तेमाल ई-रिक्शा वाले भी करते हैं, जो चलते समय यातायात के किसी नियम का पालन नहीं करते। उन्होंने कहा कि रात में खराब रोशनी वाली इस सड़क पर चलना बहुत मुश्किल होता है। नोएडा मेट्रो को दिल्ली मेट्रो से जोड़ने के लिए सेक्टर-51 से सेक्टर 52 तक एनएमआरसी और नोएडा प्राधिकरण को फुटओवर ब्रिज का निर्माण करना चाहिए ताकि लोगों को सहूलियत हो सके.
उनका कहना है कि लोग एक्वा लाइन मेट्रो के स्टेशन सेक्टर-51 से दिल्ली मेट्रो के स्टेशन सेक्टर-52 तक जाने के लिए काफी दिक्क्तों का सामना करते हैं . एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक चलने के लिए लोगों को काफी दूर तक पैदल चलना पड़ता है. मेट्रो बदलने के लिए एक इंसान को करीब 20 मिनट लगते है. इसपर एनएमआरसी को ध्यान देना चाहिए और जल्द से जल्द फुटओवर ब्रिज का निर्माण करना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि हम अधिकारियों से इस पर तुरंत कार्रवाई करने और हमारी मदद करने की अपील करते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चार महीने के अपने परिचालन के दौरान नोएडा मेट्रो कार्ड की बिक्री में भी गिरावट आई है। वहीं जब अधिकारीयों से फुटओवर ब्रिज बनाने के लिए बात करते हैं तो उनका कहना है कि दोनों मेट्रो स्टेशन के बीच में खाली पड़ी जगह कमर्शियल प्लाट है इसपर फुटओवर ब्रिज का निर्माण नहीं किया जा सकता. ‘
उनका कहना है कि अगर प्राधिकरण या एनएमआरसी यहाँ पर स्थायी रूप से फुटओवर ब्रिज नहीं बना सकती तो लोगों को सहूलियत देने के लिए अस्थायी तौर पर यहाँ फुटओवर ब्रिज सकता है. इससे निश्चित ही यात्रियों का समय बचेगा और परेशानियों से भी निजात मिलेगी.

वहीं इस मामले में सेक्टर 51 के महासचिव संजीव कुमार का कहना है कि एक्वा लाइन मेट्रो दिल्ली मेट्रो के सेक्टर 52 मेट्रो स्टेशन की कनेक्टिविटी नजदीक करने के लिए एक्वा लाइन मेट्रो के सेक्टर 51 को घुमाया गया था, ताकि और नजदीक आ सके। लेकिन उसके बावजूद भी दोनों मेट्रो स्टेशनों में अभी भी काफी फासला है और लोगों को आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए प्राधिकरण और एनएमआरसी को जल्द ही कोई ना कोई कदम उठाना चाहिए या फिर दोनों मेट्रो स्टेशनों के बीच फुटओवर ब्रिज बनाया जाए। जिससे कि लोग स्टेशन के ऊपर से ही दूसरे स्टेशन पर पहुंच सकें।

सेक्टर 50 आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष विमल शर्मा का कहना है कि दोनों मेट्रो स्टेशनों के बीच खाली जगह पड़ी हुई है। प्राधिकरण उस जगह की नीलामी कर किसी बिल्डर को देने वाली थी। जो कि दोनों मेट्रो स्टेशन की कनेक्टिविटी के लिए स्काईवॉक का निर्माण कराएगा। हालांकि अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। उनका कहना है कि नोएडा प्राधिकरण को जल्द से जल्द दोनों मेट्रो की कनेक्टिविटी के लिए फुटओवर ब्रिज बनाना चाहिए और उस पर चढ़ने के लिए लिफ्ट या स्वचालित सीढ़ियां बनाए। जिससे कि बुजुर्ग और महिलाओं को फुटओवर ब्रिज पर चढ़ने के लिए किसी परेशानी का सामना न करना पडे।

इस बारे में नोएडा के समाजसेवी अमित गुप्ता का कहना है कि सबसे पहले नोएडा मेट्रो और दिल्ली मेट्रो के लिए एक ही कार्ड होना चाहिए। उससे लोगों की समस्याओं का निस्तारण हो सकता है। और दूसरी बात एक्वा लाइन मेट्रो से सेक्टर 52 मेट्रो स्टेशन पर पहुंचने के लिए यात्रियों को करीब 20 मिनट का समय लग जाता है तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए यहां पर जल्द से जल्द फुटओवर ब्रिज बनाया जाए।

वहीं इस मामले में एनएमआरसी के प्रबंध निदेशक पी.ड़ी उपाध्याय का कहना है कि हमने यात्रियों की सुविधा के लिए पैदल पथ बनाया है, जिससे आने-जाने वाले यात्रियों के लिए सविधा हो पाएगी. यहां पर फुटओवर ब्रिज बनाना संभव नहीं है, क्योंकि यहां खाली पड़ा प्लाट नोएडा प्राधिकरण का है और प्राधिकरण यहाँ पर फुटओवर ब्रिज बनाने की अनुमति नहीं देता है. हालांकि, यहां पर इस प्लॉट के लिए बोली लगाईं जाएगी. उसके बाद यहां पर अंडरग्राउंड पार्किंग और स्काईवॉक बनाया जाएगा.
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