कोरोना महामारी में जनता की पहली पसंद बनी पुलिस , बढ़ी उम्मीदें : एमएन तिवारी (एसीपी दिल्ली पुलिस )  

Rohit Sharma

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नई दिल्ली :– जब पूरा देश कोरोना वायरस से उपजी वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रहा है तब डॉक्टरों, स्वास्थ्य एवं सफाई कर्मियों , लोगों की मदद कर रहे टास्क फाॅर्स के पदाधिकारी के साथ-साथ पुलिस की भी भूमिका अहम हो गई है।

देश भर में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। भारत ने पिछले 24 घंटों में कोरोना के संक्रमण के मामले में चीन को पछाड़ दिया है। भारत में अब तक कोरोना के 85 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कुल 2700 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है। पिछले 24 घंटों में देश में कोरोना के मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ी है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटों में 3970 मामले सामने आए हैं।इस दौरान कुल 103 लोगों की मौत हो चुकी है।

टेन न्यूज़ नेटवर्क ने आज एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की | इस कार्यक्रम के विषय का नाम “हमारे कोरोना योद्धा को सलाम” है | वही इस कार्यक्रम में दिल्ली पुलिस के एसीपी एमएन तिवारी , बिमटेक संस्था के निदेशक डॉ हरवंश चतुर्वेदी , एंटी कोरोना टास्क फ़ोर्स के राष्ट्रीय संयोजक डॉ कृष्ण कुमार झा , दिल्ली के आरएमएल अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर राहुल खरे शामिल रहे | साथ ही इस कार्यक्रम का संचालन टेन न्यूज़ नेटवर्क के परामर्श संपादक डॉ सिद्धार्थ गुप्ता ने किया |

आपको बता दे कि समाज की निगाहें पुलिस के कामकाज और उसके तौर-तरीकों पर हैं। इस महामारी ने लोगों को घरों के अंदर बैठा दिया है और उनके पास करने को कुछ खास काम भी नहीं है। इस परिस्थिति में कोरोना के खिलाफ जंग में कौन कितना काम और कैसे कर रहा है, इसे जांचने-परखने के लिए लोगों को समय भी मिल गया है।

दिल्ली पुलिस के एसीपी एमएन तिवारी ने कहा कि कोरोना के कहर से बचने के लिए जारी लड़ाई में पुलिस की महती भूमिका ने इस बात को पूरी दुनिया में बड़ी मजबूती से स्थापित कर दिया है कि संकट काल में जनता की पहली पसंद पुलिस ही है। अब जब लोगों की पुलिस से उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं तब पुलिस कर्मियों के सामने एक ओर जहां अपना काम बखूबी निभाने की जिम्मेदारी है वहीं दूसरी ओर जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती भी है। वैसे तो कोरोना के कहर से सीधे तौर पर डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी ही जूझ रहे हैं, लेकिन उनके लिए अनुकूल परिस्थितियों के निर्माण में पुलिसतंत्र की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है।

साथ ही उन्होंने कहा की स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पुलिस सहायता के बिना काम करना लगभग असंभव है। ऐस में पुलिस के सामने दोहरी चुनौतियां हैं-एक कानून का पालन कराना और दूसरे, असामाजिक तत्वों से निपटते हुए कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए जा रहे उपायों में योगदान देना। इस पर भी गौर करने की आवश्यकता है कि जहां स्वास्थ्यकर्मी सेहत के लिए पैदा किसी आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षित होते हैं वहीं पुलिसकर्मी आमतौर पर ऐसे प्रशिक्षण से कम ही गुजरे होते हैं।

बावजूद इसके पुलिस इन विषम परिस्थितियों में अपनी कर्तव्यपरायणता द्वारा दूसरे सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के सामने अपने काम की मिसाल पेश कर रही है। चूंकि देशव्यापी लॉकडाउन को विस्तार दे दिया गया है इसलिए यह तय है कि आने वाले दिनों में पुलिस की भूमिका और भी अधिक महात्वपूर्ण होने वाली है। उम्मीद है कि मौजूदा चुनौतियां पुलिस को और अधिक जिम्मेदार एवं संवेदनशील बनाएंगी तथा उसके मानवीय चेहरे को और चमकाएंगी। यदि कठिन चुनौतियों से जूझती पुलिस आत्मसंतोष के भाव में अपनी पीठ खुद थपथपाए तो इसमें किसी को कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।

वही उन्होंने बताया कि देश की जनता न केवल पुलिस के कामकाज को देख रही है, बल्कि पुलिस के सामने आ रही चुनौतियों का संज्ञान भी ले रही है। वह पुलिस को उन समस्याओं से अवगत कराने का भी काम कर रही है जो देश में कहीं पर भी सामने आ रही हैं। यदि पुलिस किसी समस्या से अनजान भी होती है तो किसी न किसी के जरिये वह उससे परिचित हो जाती है। दरअसल मीडिया और खासकर सोशल मीडिया ने पुलिस तक आम लोगों की पहुंच बहुत आसान बना दी है। इसे आसान बनाने का काम खुद पुलिस ने भी किया है। वह सोशल मीडिया पर उपलब्ध है और कोई भी उसे अपनी समस्या-शिकायत से अवगत करा सकता है। अक्सर पुलिस की आलोचना होती है, लेकिन तमाम आलोचना के बावजूद एक सभ्य समाज संकट की घड़ी में आम तौर पर सबसे पहले उसे ही याद करता है, भले ही उस संकट से निपटना सीधे तौर पर पुलिस के कार्याधिकार में न आता हो। आज ऐसी ही परिस्थिति है। पुलिस लोगों को खाना दवाएं मुहैया कराने के साथ उनकी अन्य जरूरतों को पूरा कर रही है।

दिल्ली पुलिस के एसीपी एमएन तिवारी ने बताया की इस महामारी में पब्लिक डोमेन आने के वक्त हमे मास्क , सेनिटाइज़र , सोशल डिस्टेंस रखने की जरूरत है | साथ ही उन्होंने कहा की इस महामारी में सभी लोगों को सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन पर काम करना चाहिए | एसीपी एमएन तिवारी ने कहा की अक्सर देखा गया है की इस महामारी में सबसे ज्यादा सेक्टर के आरडब्लूए की शिकायत आ रही है | लोगों का आरोप है की वो अपने मनमाने तरीके अपना रहे है , किसी भी आवश्यक समानों पर रोक लगा रहे है , जो बिलकुल गलत है |

उन्होंने कहा की कोरोना का सिर्फ एक ही बचाव है , जो पब्लिक समझ चुकी है | पब्लिक चाहती है की आने वाले लॉकडाउन में बहुत सी राहत मिले , जिसमे पब्लिक दिखाना चाहती है की वो कितनी जागरूक है | मुझे अपेक्षा है की सरकार द्वारा जारी की गई एडवाईजरी का पालन जरूर होगा |  गरीब लोगों की मदद करे , में अपने पुलिस स्टाफ से भी कहता हूँ , जो दिख भी रहा है |

एसीपी एमएन तिवारी ने कहा कि लॉ एंड आर्डर भी देखना होता है , ज्यादा बेरोजगारी से क्राइम ग्राफ बढ़ता है , जब लॉकडाउन खुलेगा , तो ये अपराधी फिर से शहर में आएंगे | साथ ही उन्होंने एक विशेष महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाला , उन्होंने कहा की क्वारनटीन के नाम पर ग्राम के प्रधान धोखा धड़ी कर रहे है , उसको बंद करना चाहिए | उन्होंने बताया की इस महामारी में लोग शहर से गॉव के लिए पलायन कर रहे है | जिसके बाद जो लोग गॉव पहुँच रहे है , उनके लिए सरकार द्वारा ग्राम प्रधानों को पैसा दिया गया है की आप उन लोगों को सुविधा प्रदान करे , लेकिन ऐसा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है | जिसके कारण ये कदम सरकार को उठाना चाहिए , साथ ही वो पैसा बचेगा , जो मेडिकल काम पर लगाया जा सकता है |

बिमटेक संस्था के निदेशक डॉ हरवंश चतुर्वेदी ने कहा की देश में 20 लाख करोड़ का जो आर्थिक पैकेज दिया जा रहा है , जिसको लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तीन दिनों से प्रेस वार्ता करते हुए जानकारी दे रही है की किस तरह 20 लाख करोड़ आर्थिक पैकेज का इस्तेमाल किया जा सकता है | उन्होंने कहा की निर्मला सीतारमण ने किसानों , एमएसएमई सेक्टर में जान फुकने के लिए बहुत ही बढ़िया ऐलान किया है |

जिससे यह साफ हो जाता है की अब समय आ गया है की लोग अब आत्मनिर्भर होकर काम करे |  सो सालों के बाद ये बड़ी आपदा है , सरकार फिर भी काम कर रही है | विशेष योजनाए घोषित हुई है  , लेकिन ये योजनाए धरातल पर नज़र आनी चाहिए , जिससे लोगों को फायदा मिल सके |

 

साथ ही उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज 2020 में देश की विकास यात्रा को आत्मनिर्भर बनाने में नई गति देना शुरू कर दिया है  |  समाज के हर वर्ग आर्थिक पैकेज का लाभ मिलेगा .| बड़े पैकेज की मांग की जा रही थी. यह आर्थिक पैकेज जीडीपी का 10 फीसदी है. यह छोटा पैकेज नहीं है, 20 लाख करोड़ रुपये है |

उद्योग सेक्टर की जो मांग थी, वह उससे कई अधिक दिया गया है | समाज के हर वर्ग को कुछ न कुछ मिला है . हर स्तर के लिए कुछ न कुछ दिया है .| जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, वह रकम इतनी बड़ी है कि कई देशों के सालाना बजट इसमें समा जाएं | पैकेज भारत की जीडीपी का करीब-करीब दस प्रतिशत है |

उन्होंने कहा कि सबसे अहम ये है कि ये आर्थिक पैकेज उन लोगों के लिए है जो कोरोना के चक्र में बुरी तरह फंस गए हैं.इस आर्थिक पैकेज से कुटीर उद्योग, लघु-मंझोले उद्योग, श्रमिकों और किसान, मध्यम वर्ग को फायदा मिलेगा. इसके साथ ही आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत को भी नई ताकत देगा |

”हम उम्मीद करते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पैकेज की रूपरेखा तैयार की गई है , उससे गरीबों और जरूरतमंदों, एमएसएमई और उद्योग तथा आम लोगों की जरूरतों का समाधान होना चाहिए । भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जमीन, श्रम और नकदी पर जोर की जरूरत है।

एंटी कोरोना टास्क फ़ोर्स के राष्ट्रीय संयोजक डॉ कृष्ण कुमार झा ने कहा की कोरोना से बचने और लड़ने के लिए हम देशभर में प्रशासन के सहयोग से मेडिकल पीपीई किट, भोजन, सूखा राशन, टेंट, एम्बुलेंस की सुविधा देशभर में हज़ारों की संख्या में स्वयंसेवकों के नेटवर्क के साथ जनता को राहत पहुंचा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि हेल्पलाइन शुरू होने के बाद घरों में रहने वाले रोगियों को भी हम सही चिकित्सा परामर्श और दवाइयों सम्बंधित जानकारी उपलब्ध करा रहे है । हमें देशभर में प्रशासन से बहुत सहयोग मिल रहा है और हम बिना किसी सरकारी मदद के अपना योगदान देश की जनता को बचाने और राष्ट्र सेवा में दे रहे हैं, आगे भी हमारा यह अभियान जारी रहेगा, कोरोना को हराने तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
डॉ कृष्ण कुमार झा ने कहा कि देशभर में प्रवासियों और लॉकडाउन से प्रभावित जरूरतमंदों की मदद के लिए दिन रात मेडिकल से लेकर भोजन की सुविधाएं पहुँचाने कार्यरत एंटी कोरोना टास्क फ़ोर्स के प्रयास से भारत सरकार ने देशभर के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन के कारण फंसे विभिन्न प्रदेशों के प्रवासी नागरिकों को उसके गृह राज्य में जाने की औपचारिक अनुमति दे चुकी है। उन्होंने कहा की हमारी संस्था ने प्रधानमंत्री समेत गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर प्रवासियों को उनके गृह राज्य में ले जाने की अनुमति देने की सर्वप्रथम मांग की थी , जिसके बाद मंत्रालय ने गम्भीरतापूर्वक विचार के बाद अब यह अनुमति प्रदान कर दी है।

डॉ. कृष्ण कुमार झा ने बताया कि एंटी कोरोना टास्क फ़ोर्स देशभर में 22000 से भी अधिक स्वयंसेवक कोरोना योद्धाओं के माध्यम से एक डिजिटल फार्म प्रवासी लोगों से भरवा रही है जिससे उनके गृह राज्य जाने के डाटा को तैयार करके सरकारों को सौंप रही है  , जिससे उनके लॉकडाउन से निकलने का मार्ग प्रशस्त हो सके।

उन्होंने बताया की जिस व्यक्ति के मोबाईल में आरोग्य ऐप है , डिजिटल फार्म उसका ही भरा जायेगा इस मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को आरोग्य ऐप से जोड़ना है , ताकि कोरोना महामारी का अलर्ट मिलता रहे और जरुरी सावधानियां रखी जा सकें। डॉ. कृष्ण कुमार झा ने सभी प्रवासियों से अपील करते हुए कहा की जब भी एंटी कोरोना टास्क फ़ोर्स के स्वयंसेवक डिजिटल फार्म भरवाने आएं तो उनको सही जानकारी उपलब्ध कराएं ताकि एक सही जानकारी सरकार को मदद के लिए दी जा सके।

उन्होंने लॉकडाउन में सेवार्थ सभी डॉक्टरों,नर्सों,स्वास्थ्यकर्मियों,स्वयंसेवी संगठनों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा की आज कुछ हद तक हमने कोरोना को रोकने में जो सफलता पायी है वह इनके योगदान के बिना संभव नहीं हो सकती थी। उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने और स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाईन के अनुसार सावधानियां अपना कर घरों के भीतर रहने का आग्रह किया।

आरएमएल अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर राहुल खरे ने कहा कि कोरोना वायरस के इस समय में दुनियाभर के डॉक्टर्स अहम भूमिका निभा रहे हैं। कई कई दिनों तक अस्पताल में रुक कर मरीजों का इलाज करना पड़ा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा की अस्पताल में जितनी अहम भूमिका चिकित्सक की होती है उतनी ही मरीजों की देखभाल करने वाली मेडिकल स्टाफ की भी होती है।

आम दिनों की तरह नॉर्मल ड्यूटी हो या राष्ट्रीय आपदा घोषित हो चुकी कोरोना जैसी बीमारी हो, डॉक्टर कभी ड्यूटी से कतराते नहीं है। मरीजों के उपचार से लेकर उसके स्वास्थ्य होने तक मनोबल देने का काम किया जाता है ।

वर्तमान की स्थिति को देखते हुए सभी कोविड 19 अस्पतालों में तैनात मेडिकल स्टाफ जी जान से कोरोना संदिग्ध व संक्रमित मरीजों के उपचार में लगे हुए हैं। पूरा तरह एहतियात बरतने के बाद भी हमे संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहता है। इसके बावजूद खुद की और परिवार की फिक्र किए बिना पूरी लगन से ये अपना फर्ज निभा रहे है |

साथ ही उन्होंने कहा की कोरोना कितनी गंभीर बीमारी है, इस बात का सबको पता है। कई चिकित्सक कोरोना पॉजिटिव हुए है , लोगों का उपचार करते हुए | डॉक्टर की तरह स्टाफ नर्स कोरोना पॉजिटिव या संदिग्ध के सबसे अधिक संपर्क में रहती हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमित होने के खतरे से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ के कोरोना संक्रमित होने के मामले सामने आने के बाद भी कोविड-19 अस्पताल में तैनात डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ के हौसले में कमी नहीं आई है।

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