650 गरीब बच्चों को पढ़ाने वाली वरिष्ठ समाजसेविका आर के ऊषा से टेन न्यूज़ ने की ख़ास बातचीत

Abhishek Sharma / Baidyanath Halder

बच्चे राष्ट्र की एक अमूल्य धरोहर हैं , हम सब व देश के प्रत्येक वर्गों का यह दायित्व बनता है कि इस धरोहर को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करें व इसके स्वास्थ्य एवं परिपूर्ण विकास में योगदान करें जिससे कि वह बड़े होने एक ज़िम्मेदार नागरिक बने और देश व समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण इकाई बनें। ये कहना है, विकास विश्रांति ट्रस्ट की अध्यक्ष व वरिष्ठ समाजसेविका आर के ऊषा का।

 

30 वर्ष टूरिज्म इंडस्ट्री में अपनी सेवा देने वाली आर के ऊषा ग्रेटर नोएडा में विकास विश्रांति नाम से एक एनजीओ चलाती हैं। इस एनजीओ में गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है और एक अच्छे इंसान के रूप में  बच्चे का विकास किया जाता है।



टेन न्यूज़ से ख़ास बातचीत करते हुए वरिष्ठ समाजसेविका आर के ऊषा ने बताया कि 30 वर्ष टूरिज्म इंडस्ट्री में उन्होंने नौकरी की जहां पर उन्होंने 30 वर्ष तक देश के अलग-अलग हिस्सों का भ्रमण किया। उन्होंने कहा कि उस नौकरी में पूरे देश में घूमने फिरने के अलावा आलिशान ज़िंदगी थी, दुःख दर्द क्या होते हैं इन सबके बारे में नहीं पता था। उसके बाद समय से पहले रिटायर होकर उन्होंने लॉ की प्रैक्टिस की, जहां पर ‘असली ज़िंदगी क्या होती है, मुझे यह पता लगा ‘| छोटे-छोटे बच्चे जब अपराध करके आते थे, उन्होंने देखकर मन उदास होता था कि इतनी सी उम्र में ही देश का भविष्य अपराध की दुनिया में कदम रख रहे है।

 

यह सब देखकर ख्याल आया कि अगर इन बच्चों को अपराध की दुनिया की ओर जाने ही ना दें तो भला हो सकता है। उन्होंने कहा कि मैंने मार्च 2011 में गामा-1 सेक्टर में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। आज 8 साल हो गए हैं बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते, अब हमारे पास 7 सेंटर हैं जहां पर 650 बच्चों को अलग-अलग सेंटरों में पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि झुग्गियों के बाचों को पढ़ाने जाते हैं तो वो छुप जाते हैं और बोलते हैं कि मैडम पढ़ाएंगी। इसलिए हमारे सभी सेंटरों में बच्चों के लिए कंप्यूटर ट्रेनिंग, स्पोर्ट्स व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित कराते हैं। उन्होंने कहा कि सभी बच्चो को कलेक्टर या डॉक्टर तो बना नहीं सकते हैं, लेकिन हमारी ज़िमेदारी भी बनती है कि उन्हें गलत रास्ते से रोका जाए। बच्चे आगे जाएं या नहीं, लेकिन पीछे नहीं जाने चाहिए।

 

उन्होंने  आगे कहा कि 650 बच्चों को रोजाना अलग-अलग सेंटरों पर पढ़ाया जाता है। ग्रेटर नोएडा में गामा-1, डेल्टा-1 डेल्टा-3, ऐच्छर, पाई-2, कासना व सूरजपुर में 7 सेंटर हैं जहां पर मुफ्त में बच्चों को शिक्षा मुहैया कराई जाती है। बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्चा उनकी संस्था उठाती है। बच्चों को हुनरमंद बनाने के लिए शिक्षा के अलावा कंप्यूटर ट्रेनिंग, हेंडीक्राफ्ट, पेपरमेसी, कढ़ाई, बुनाई, सिलाई, पेंटिंग, पेपर फ्लावर बनाना भी सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में सामजिक परिवेश तथा परिस्थितियों का कुप्रभाव समाज के बड़े वर्ग पर जिसको हम वरिष्ठ नागरिक के नाम से पहचानते है , पर पड रहा है। कुछ विवशता वश व कुछ अपनी मानसिकता के चलते युवा बच्चे वृद्ध माता-पिता को बोझ समझने लगते हैं। इसी कारण धीरे-धीरे वृद्धाश्रम ने जन्म लिया परन्तु वृद्धाश्रम  अनजान वातावरण में आपने आप को एडजस्ट करना बेहद कठिन होता है।
संस्था की ओर से हर माह के शनिवार को वरिष्ठ नागरिकों का सामजिक मेल-मिलाप कार्यक्रम, माह के हर चौथे शनिवार को रामकथा का आयोजन किया जाता है। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों द्वारा बच्चों को कुछ नई  चीजे शिखाने, शिक्षा प्रदान करने तथा मनोरंजन कथा सुनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
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