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नई दिल्ली :– दिल्ली सरकार द्वारा कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में भगत सिंह और अन्य शहीदों की याद में कार्यक्रम का आयोजन किया । इस कार्यक्रम का नाम ‘एक शाम शहीदों के नाम’ रहा।इस कार्यक्रम में खासकर भगत सिंह की जीवन गाथा को प्रदर्शित किया गया और आज़ादी की लड़ाई में उनके योगदान से दिल्ली वालों को रूबरू कराया गया।
दिल्ली सरकार आजादी के 75 साल पूरा होने से पहले के 75 हफ़्तों में इंडिया@75 कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. यह इस कार्यक्रम का दूसरा हफ्ता है. इस हफ्ते यह कार्यक्रम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को समर्पित है।
वही इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय , राजेंद्र पाल गौतम समेत गणमान्य लोग शामिल हुए । इस कार्यक्रम में कलाकारों द्वारा देशभक्ति के गीत दर्शकों के सामने पेश किए। वही दूसरी तरफ कलाकारों द्वारा भगतसिंह के ऊपर नाट्य प्रस्तुत किया गया , वही इस नाट्य को देख दर्शक काफी ज्यादा उत्साहित हुए , साथ ही दर्शकों ने वन्दे मातरम और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए।
दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा कि शहीद भगत सिंह, महात्मा गांधी और डाॅ. अंबेडकर ने देश की आजादी के साथ लोकतंत्र और समानता के लिए संघर्ष किया था। कभी अंग्रेज सत्ता के अहंकार में जनता को कीड़ा-मकोड़ा समझते थे और आज भी देश में हुकूमत सत्ता के अहंकार में है कि हमारी हुकूमत कौन छीन सकता है।
उन्होंने कहा कि कल भी हिंदुस्तान अपने विचारों के दम पर आजाद हुआ था और आज भी हिंदुस्तान अपने विचारों के दम पर ही नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। आज हमें शहीद भगत सिंह से सीखने और लोकतंत्र को बचाने के लिए निरंकुश शासन के खिलाफ लड़ने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भगत सिंह ने अंग्रेजों के बीच इंकलाब जिंदाबाद के नारे को बुलंद किया था। हिंदुस्तान की आजादी की लड़ाई के दौरान दो धाराएं थीं। भारत में भारतीयों के बीच में दो तरह की सोच थी। एक धारा थी, जो अंग्रेजो के तलवे चाटती थी, अपने स्वार्थ के लिए अंग्रेजों साथ मिलकर के हिंदुस्तानियों के साथ गद्दारी करती थी, जो हिंदुस्तान को बराबरी के रास्ते पर जाने से रोकना चाहती थी, जो हिंदुस्तान को आजादी के रास्ते पर जाने से रोकना चाहती थी। वहीं, दूसरी धारा वो थी, जो इस मुल्क को आजाद बना कर देश के अंदर बराबरी चाहती थी। एक नए भारत का निर्माण करना चाहती थी और उसके लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करना चाहती थी।